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फिर पुरानी 'जगह' पर पहुंचे स्थानांतरित लिपिक

By Edited By: Published: Sun, 27 Jul 2014 01:25 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jul 2014 01:25 AM (IST)
फिर पुरानी 'जगह' पर पहुंचे स्थानांतरित लिपिक

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : एक ही पटल पर बीस वर्ष से जमे कई लिपिकों और कर समाहर्ताओं को पूर्व नगर आयुक्त डीपी गिरि ने करीब सवा महीने पहले स्थानांतरित किया था। लेकिन मौजूदा नगर आयुक्त आरपी सिंह ने शनिवार को उन्हें फिर से पूर्व तैनाती स्थल पर भेज दिया। खास यह कि स्थानांतरण के बारे में महापौर अभिलाषा गुप्ता और अधिष्ठान विभाग को जानकारी नहीं है।

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पूर्व नगर आयुक्त डीपी गिरि ने 19 जून को प्रथम और द्वितीय श्रेणी के 10 लिपिकों का स्थानांतरण किया था। इसमें शकील अहमद को जोन एक से लेखा विभाग, देवपति त्रिपाठी को जोन दो से उद्यान विभाग, सुदीप कुमार श्रीवास्तव को जोन तीन से नजूल विभाग, सियाराम द्विवेदी को जोन चार से चुंगी, विनोद कुशवाहा को जनकार्य से स्वास्थ्य विभाग, विनोद कुमार श्रीवास्तव को चुंगी से जोन एक, कृष्ण कुमार पाल को उद्यान विभाग से जोन दो, धनंजय श्रीवास्तव को लेखा विभाग से जोन तीन, अशोक कुमार को नजूल विभाग से जोन चार, संजय श्रीवास्तव को स्वास्थ्य विभाग से जनकार्य विभाग में स्थानांतरित किया गया था। बाद में 15 कर समाहर्ताओं, जिलेदार और मोहर्रिर का भी स्थानांतरण किया गया था। सभी स्थानांतरण अधिष्ठान विभाग से किए गए थे। लेकिन 26 जुलाई को सियाराम द्विवेदी, धनंजय श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, सुदीप कुमार श्रीवास्तव, विनोद कुमार कुशवाहा को फिर से पूर्ववत तैनाती कर दी गई। जिलेदार सुभाष पांडेय को भी नजूल से जोन नंबर तीन, कर समाहर्ता अकबर को जोन नंबर एक से नजूल और दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव को जोन संख्या एक से चुंगी, कर समाहर्ता अली हसन को जोन तीन से जोन एक, नायब मोहर्रिर राजेश कुमार को जोन संख्या एक से जोन चार, कर समाहर्ता महेंद्र कुमार श्रीवास्तव को जोन दो से जोन तीन और कमलेश कुमार ने जोन संख्या तीन से जोन दो में स्थानांतरित कर दिया गया है। सवा महीने में ही फिर हुए स्थानांतरण के पीछे लेनदेन नगर निगम परिसर में चर्चा का विषय बना रहा। इससे कर्मचारियों में आक्रोश भी है। महापौर का कहना है कि पूर्व में स्थानांतरण की अनुमति ली गई थी। लेकिन इस बार तबादले की उन्हें जानकारी नहीं है। तीन साल से ज्यादा एक स्थान पर तैनाती न होने का शासनादेश भी है। कहा कि आगामी सदन की बैठक में इस मसले को उठाया जाएगा। यहां बैठे अफसर शासन में आसीन उच्चाधिकारियों के चहेते हैं, इसकी शिकायत होगी।


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