फाफामऊ चौकी के सस्पेंड दारोगा के घर चोरी
फाफामऊ, इलाहाबाद : फाफामऊ चौकी क्षेत्र के शांतिपुरम कॉलोनी में रहने वाले निलंबित दारोगा धर्मेन्द्र प्रताप सिंह के घर का ताला तोड़कर सोमवार की रात चोरों ने लाखों के जेवरात और नकदी पार कर दी। वारदात पुलिस महकमे के लिए भी शर्मिदा होने का सबब है क्योंकि फाफामऊ चौकी से निलंबित हुए दारोगा के घर की सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा लगाया गया है। मंगलवार सुबह पड़ोसियों ने दारोगा के परिजनों को बताया तो उनके रिश्तेदार घर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी।
खबर मिलते ही क्षेत्राधिकारी व इंस्पेक्टर सोरांव फोरेंसिक एक्सपर्ट और डॉग स्क्वॉयड के साथ मौके पर पहुंचे, जांच पड़ताल की तो पता चला कि घर में रखी पांच आलमारी और बक्शे का ताला टूटा हुआ है जिसमें रखे करीब 72 लाख के जेवरात और 82 हजार रुपये गायब हैं। पुलिस का खोजी कुत्ता ताला सूंघने के बाद कुछ दिन पूर्व मारे गए नीरज सिंह के घर पहुंचा जिसके बाद धर्मेन्द्र की मां ने नीरज के पिता आशोक सिंह व भाई धीरज सिंह के खिलाफ चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट दर्ज करके मामले की जांच की जा रही है। हालांकि इलाके में इस बात की भी चर्चा रही कि पुलिस नीरज की हत्या के मामले में फंसे दारोगा धर्मेन्द्र सिंह को बचाने के लिए नीरज के परिजनों को चोरी के आरोप में फंसाना चाहती है।
बताते चलें कि 18 जुलाई को फाफामऊ में मनप्रीत रेस्टोरेंट के सामने शांतिपुरम कालोनी निवासी सीआरपीएफ के दारोगा अशोक सिंह के बेटे नीरज सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुहल्ले में ही रहने वाले चौकी प्रभारी फाफामऊ धर्मेन्द्र सिंह को आरोपी बनाया गया तो वह अपने परिवार के साथ घर में ताला लगाकर फरार हो गए। पुलिस ने एहतियात के तौर पर दारोगा के घर की रखवाली के लिए सिपाही अमित मिश्रा और नरेन्द्रनाथ मिश्रा की ड्यूटी लगा दी। इसी दौरान सोमवार की रात शातिर चोरों ने सूने मकान का ताला तोड़ लाखों के गहने और नकदी पार कर दी।
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आखिर कहां थे दोनों सिपाही
चोरी को लेकर जहां तरह-तरह की चर्चा हो रही है वहीं सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर घर की सुरक्षा में लगाए गए दोनों सिपाही सोमवार की रात कहां पर थे। एसएसपी समेत अन्य अधिकारी यह बात कहकर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ले रहे हैं कि मामले की जांच की जा रही है। सीओ का कहना है कि हो सकता है कि ड्यूटी में तैनात सिपाही किसी वीआइपी को पास कराने चले गए हों। यदि ऐसा है भी तो क्या चोर इतनी जल्दी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि आखिर दारोगा के घर 72 लाख के जेवर और 82 हजार नकद कहां से आए। इसकी भी जांच होगी या नहीं इस पर पुलिस अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।
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फंसाने की साजिश तो नहीं
सस्पेंड दारोगा के घर चोरी होना महज संयोग है या कुछ और यह तो तो जांच का विषय है। लेकिन इलाके में व्याप्त चर्चा और पुलिस की कारगुजारी पर कई सवाल उठ रहे हैं। पहला सवाल तो यही है कि आम तौर पर पुलिस जिले में हुई ज्यादातर चोरी की घटनाओं का खुलासा नहीं कर सकी है। फिर चोरी के मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है। ऐसे में इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि कहीं नीरज हत्याकांड के आरोपी दारोगा के परिजन मृतक के परिजनों को फंसाने की साजिश तो नहीं रच रहे हैं। जिसमें पुलिस की भी मिलीभगत हो।