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'भाग्य विधाता' पहुंचने लगे 'भिखारियों' की दर पर

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 01:00 AM (IST)
'भाग्य विधाता' पहुंचने लगे 'भिखारियों' की दर पर

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद : गंगा-यमुना की मिलन स्थली 'संगम' से चंद कदम दूर बांध के पास बड़े हनुमान मंदिर के बाहर कमला, मोना व रमेश का वर्षो से बसेरा है। मंदिर में आने वाले भक्तों से भिक्षा (भीख) मांगकर वह अपना जीवनयापन करते हैं लेकिन इधर कई दिनों से वे लोग इस अड्डे पर नहीं आ रहे हैं। इनके पास बैठने वाली सुमन, सरला सहित दूसरे साथी उनका कुशलक्षेम पूछने कीडगंज स्थित झुग्गी में पहुंचे तो पता चला की सभी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। उन्हें इसके बदले दो से तीन सौ रुपये प्रतिदिन मिलता है, भोजन व चाय-नाश्ता अलग।

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मनकामेश्वर मंदिर के पास भिक्षा मांगने वाले विकास, कमल भी इसी काम में लगे हैं। इनके जीवन में यह बदलाव लेकर आया है वोटर आइडी कार्ड। चुनाव में कौन जीतेगा, देश का क्या भविष्य होगा। इससे बेखबर भिक्षुक अपना वर्तमान संवारने में जुटे हैं।

उपेक्षा और सामाजिक तिरस्कार के साथ जीने को अभिशप्त भिखारियों की चुनावी मौसम में चल निकली है। एक-दो रुपये के लिए मंदिरों, गुरुद्वारों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर गिड़गिड़ाने वाले भिक्षुक भी लोकतंत्र के 'महापर्व' में महत्व पा रहे हैं। हाथ में वोटर आइडी कार्ड ने तिरस्कार और उपेक्षा के भावों को सम्मान में बदल दिया है। अब तक उन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखने वाले 'भाग्य विधाता' खुद उनके दर पर उम्मीदों का कटोरा और तमाम वादे लेकर पहुंच रहे हैं। ----------------

बस्तियों में टिकी नजर

हर प्रत्याशी की नजर मलिन बस्तियों पर है। वहां मेहनत, मजदूरी करने वाले या फिर भिक्षुक रहते हैं। हर बस्ती में पांच सौ से दो हजार के बीच लोग रह रहे हैं, इसमें 70 प्रतिशत के लगभग वोटर हैं। यही कारण है कि हर नेता उन्हें उपहार देकर भावनात्मक रूप से पैठ बनाने में जुटे हैं।

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खिला रहे कसमें

कुछ नेता ऐसे हैं जिन्होंने भागदौड़ करके सैकड़ों नये मतदाता बनवाएं हैं। वह उनके वोटों पर अपना अधिकार रखना चाहते हैं। इसके लिए अब वह स्वयं के बनाये गए मतदाताओं के घर पर जाकर दूसरे को वोट न देने की कसमें खिला रहे हैं। इसके बदले तरह-तरह के प्रलोभन, मिठाई, कपड़ा व खाना भी पहुंचाया जा रहा है। इनके जो रिश्तेदार, घर के सदस्य दूसरे शहर, गांव-कस्बों में हैं उन्हें किराया देकर मतदान से एक हफ्ते पहले से बुलाने की तैयारी है।

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छुटभैया नेता ले रहे ठेका

मौके की नजाकत को देखते हुए हर बस्तियों के छुटभैया नेता भी प्रत्याशियों के यहां अपनी हाजिरी देने लगे हैं। वह उनसे एकमुश्त पांच सौ से दो हजार वोट दिलाने का वादा करके अपनी जेब गरम कर रहे हैं। दारागंज भिखारियों की बस्ती के नेता राकेश संत का कहना है कि चुनाव हमारे लिए वरदान बनकर आया है। हमारी सारी जरूरतें बिना मांगे पूरी हो रही है। भिक्षा मांगने वाली कौशल्या का कहना है कि वोटर आइ कार्ड में इतनी शक्ति है यह मुझे पता ही नहीं था। इससे मेरी सारी जरूरत घर बैठे पूरी हो रही है।


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