अलीगढ़ में फाइलों से जमीन पर नहीं पहुंचा गंगाजल, जानिए वजह
शहर में भूगर्भ जल स्तर लगातार गिर रहा है। ऐसे में सबमर्सिबल से दोहन भी नहीं रुक रहा है। पानी के लिए और कोई विकल्प नहीं है।
By Edited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 11:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 09:15 AM (IST)
अलीगढ़ (जेएनएन)। शहर में भूगर्भ जल स्तर लगातार गिर रहा है। ऐसे में सबमर्सिबल से दोहन भी नहीं रुक रहा है। पानी के लिए और कोई विकल्प नहीं है। ऐेसे में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ऊपरी गंग नहर से शहर को पानी पिलाने की योजना 11 साल में साकार नहीं हो पाई। यदि शहर में पानी के लिए भूगर्भ जल के अलावा कोई और स्रोत समय रहते नहीं तैयार नहीं किया तो हालात और गंभीर होंगे।
जलस्तर के मौजूदा हालात
शहर में भूगर्भ जल स्तर 250 फीट तक पहुंच गया है। पोखरें सिमटने से जल संचय भी कम हुआ है। यहां प्रयोग किए हुए पानी के फिर से प्रयोग करने का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में सतही पानी के लिए अपर गंग नहर से पानी लाने की जरूरत है।
ये हैं पानी के इंतजाम
शहर में नगर निगम की सप्लाई के अलावा लोग सबमर्सिबल व हैंडपंप से पानी की जरूरतें पूरी करती है। इसके अलावा जल एकत्रित करने का कोई और साधन नहीं है।
करोड़ों लीटर वर्षा जल बेकार
शहर में हर साल करोड़ो लीटर वर्षा जल बेकार हो जाता है। यह पानी जलभराव के रूप में दिखाई देता है। इसके फिर से प्रयोग करने के लिए इंतजाम नहीं है। पोखरों भी छोटी होने के कारण वे पानी नहीं ले पाती है। यदि बरसात के जल को एकत्रित कर लिया जाए तो काफी हद तक जल स्तर में सुधार हो सकता है, लेकिन अफसर जमीनी कम कागजी कार्रवाई ज्यादा होती है।
क्या है गंगा जल परियोजना
जवां क्षेत्र में कासिमपुर स्थित हरदुआगंज तापीय परियोजना के पास से ऊपरी गंग नहर गुजरती है। इसी नहर से शहर को लोगों को पानी पिलाने के लिए जल निगम और नगर निगम ने मिलकर 2007 में एक योजना तैयार की थी। 50 क्यूसेक पानी को पाइप लाइन के माध्यम से लाना था। बीच में पानी को ट्रीटमेंट करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए पांच एकड़ जमीन की जरूरत थी। छेरत के आसपास जमीन देखी गई लेकिन फाइनल नहीं हुई। उसका हश्र यह हुआ कि अभी तक योजना फाइलों में ही रही।
पब्लिक बोल
बढ़ रही है पानी की मांग
शहर के सराय हरनारायण निवासी जतिन बताते हैं कि शहर में जमीन का पानी कम हो रहा है। हैंडपंप भी खराब हो रहे हैं। इसके लिए पानी का और स्रोत जरूरी है। नौरंगाबाद के सुमित का कहना है कि शहर की आबादी बढ़ रही है और उसके लिए पानी की मांग बढ़ी है। पानी की कमी देखते हुए काम करना चाहिए।
जारी है कोशिश
जलकल विभाग के महाप्रबंधक सुचिंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि गंग नहर से पानी लाने के लिए जलनिगम से बात चल रही है। जगह के लिए भी अफसरों से बात करेंगे। शहर की जरूरत को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है।
जलस्तर के मौजूदा हालात
शहर में भूगर्भ जल स्तर 250 फीट तक पहुंच गया है। पोखरें सिमटने से जल संचय भी कम हुआ है। यहां प्रयोग किए हुए पानी के फिर से प्रयोग करने का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में सतही पानी के लिए अपर गंग नहर से पानी लाने की जरूरत है।
ये हैं पानी के इंतजाम
शहर में नगर निगम की सप्लाई के अलावा लोग सबमर्सिबल व हैंडपंप से पानी की जरूरतें पूरी करती है। इसके अलावा जल एकत्रित करने का कोई और साधन नहीं है।
करोड़ों लीटर वर्षा जल बेकार
शहर में हर साल करोड़ो लीटर वर्षा जल बेकार हो जाता है। यह पानी जलभराव के रूप में दिखाई देता है। इसके फिर से प्रयोग करने के लिए इंतजाम नहीं है। पोखरों भी छोटी होने के कारण वे पानी नहीं ले पाती है। यदि बरसात के जल को एकत्रित कर लिया जाए तो काफी हद तक जल स्तर में सुधार हो सकता है, लेकिन अफसर जमीनी कम कागजी कार्रवाई ज्यादा होती है।
क्या है गंगा जल परियोजना
जवां क्षेत्र में कासिमपुर स्थित हरदुआगंज तापीय परियोजना के पास से ऊपरी गंग नहर गुजरती है। इसी नहर से शहर को लोगों को पानी पिलाने के लिए जल निगम और नगर निगम ने मिलकर 2007 में एक योजना तैयार की थी। 50 क्यूसेक पानी को पाइप लाइन के माध्यम से लाना था। बीच में पानी को ट्रीटमेंट करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए पांच एकड़ जमीन की जरूरत थी। छेरत के आसपास जमीन देखी गई लेकिन फाइनल नहीं हुई। उसका हश्र यह हुआ कि अभी तक योजना फाइलों में ही रही।
पब्लिक बोल
बढ़ रही है पानी की मांग
शहर के सराय हरनारायण निवासी जतिन बताते हैं कि शहर में जमीन का पानी कम हो रहा है। हैंडपंप भी खराब हो रहे हैं। इसके लिए पानी का और स्रोत जरूरी है। नौरंगाबाद के सुमित का कहना है कि शहर की आबादी बढ़ रही है और उसके लिए पानी की मांग बढ़ी है। पानी की कमी देखते हुए काम करना चाहिए।
जारी है कोशिश
जलकल विभाग के महाप्रबंधक सुचिंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि गंग नहर से पानी लाने के लिए जलनिगम से बात चल रही है। जगह के लिए भी अफसरों से बात करेंगे। शहर की जरूरत को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है।
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