अलीगढ़ के डॉ.नजमुद्दीन ने अनाथों के 'नाथ' बन संवारी जिंदगी
जिन बच्चों को दुनिया में आते ही अपनों ने बिसार दिया। उन बच्चों को अपनाकर डॉ. नजमुददीन अंसारी ने जिंदगी संवार दी। उन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार दिया और सुविधाएं भी।
अलीगढ़ (गौरव दुबे)। जिन बच्चों को दुनिया में आते ही अपनों ने बिसार दिया। उन बच्चों को अपनाकर डॉ. नजमुददीन अंसारी ने जिंदगी संवार दी। उन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार दिया और सुविधाएं भी। केला नगर में ताज हॉस्पिटल चला रहे डॉ. अंसारी ने इन बच्चों को गले लगाया। लालन-पालन कर शिक्षित कर रहे हैं। उनके खुद के तीन बेटे मोहम्मद अमन, मोहम्मद आदिल, मोहम्मद हम्माद व बेटी निदा अंसारी डॉक्टर हैं। उनके साहसिक कदमों के बारे में जानकर आप भी उनको सलाम करने से पीछे नहीं हटेंगे...
तो मिट्टी में मिल जाती जाहरा
2008 में दो साल की बच्ची को टप्पल के कुछ लोग एसएसपी दफ्तर में सौंपने ले जा रहे थे। उस बच्ची को डॉ. अंसारी ने अपनाया व घर ले आए। अपनी बच्ची की तरह पाला और नाम दिया जाहरा परवीन। बच्ची बोलने-सुनने में अक्षम थी, लेकिन डॉक्टर साहब के प्रयासों से अब कुछ बोलने लगी है। केला नगर के गिलोरिया पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ रही है।
बच्चों को अस्पताल में छोड़ गईं मां
2008 में ही उनके अस्पताल में एक महिला ने बेटे को जन्म दिया और रात में उसे छोड़कर चली गई। उसको भी डॉ. अंसारी अपने घर ले आए और नाम रखा मोहम्मद काशान। उसे पालने के साथ पढ़ाया भी। आज वो विजडम पब्लिक स्कूल में पांचवीं का छात्र है।
बच्चे को नहीं छोड़ा अकेला
2009 में भी उनके ही अस्पताल में महिला ने बेटे को जन्म दिया। अगली सुबह वो भी बच्चे को छोड़कर चली गई। डॉ. अंसारी ने उसे अकेला नहीं छोड़ा, घर लाए और मोहम्मद फरहान नाम रखा। अब वो विजडम पब्लिक स्कूल में चौथी का छात्र है।
जाहरा की शादी कराना संकल्प
डॉ. अंसारी बताते हैैं कि अपने तीनों बेटों की तरह ही दोनों लड़कों को भी डॉक्टर बनाएंगे। बेटी जाहरा परवीन की शादी अच्छे परिवार में कराना उनका संकल्प है। कुरान में भी लिखा है कि जिस घर में यतीम पलते हैं, उससे अच्छा घर कोई नहीं होता।