Move to Jagran APP

अब बाजरा निकाल रहा किसानों का दम

अलीगढ़ : इगलास की मंडी में बाजरा की आवक शुरू हो गई है, लेकिन इसकी उचित कीमत नहीं मिलने से किसान परेश

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 12:25 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 12:25 AM (IST)
अब बाजरा निकाल रहा किसानों का दम
अब बाजरा निकाल रहा किसानों का दम

अलीगढ़ : इगलास की मंडी में बाजरा की आवक शुरू हो गई है, लेकिन इसकी उचित कीमत नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। इस बार न उपज क्षमता के अनुसार हुई है और लागत भी नहीं निकल पा रही है। कम उपज का कारण मौसम में बारबार बदलाव बताया जा रहा है, जबकि कीमत कम मिलने की वजह आर्थिक मंदी मानी जा रही है।

loksabha election banner

क्षेत्र सब्जियों के राजा आलू की बेल्ट माना जाता है। आलू की खुदाई के बाद किसान खेत में बाजरा की फसल की बुवाई करते हैं। आलू की फसल में घाटा सहने के बाद बाजरा की फसल ने भी किसानों का दम सा निकाल दिया है। क्षेत्र में आलू के साथ बाजरा का भी रकबा बढ़ा है।

400-900 तक मिल रहा भाव :

बाजरा की फसल का कोई समर्थन मूल्य घोषित नहीं होता है। जैसी फसल होती ही व्यापारी उसी के अनुसार भाव तय करते हैं। इस समय मंडी में बाजरा का भाव 400 से 900 रु पये प्रति कुंतल तक चल रहा है। ज्यादातर किसानों को 600 से 800 रु पये कुंतल का भाव ही मिल पा रहा है। पिछले वर्ष 1600 रु पये प्रति कुंतल का भाव मिला था।

ये आती है लागत : किसानों की मानें तो बाजरा की फसल में प्रति बीघा 200 का बीज, 250 की जुताई, 600 का पानी, 100 का यूरिया, 1000 कटाई व निकासी, पट्टे पर खेत लिया है तो 1200 रु पये बीघा की बाकी व खेत से मंडी तक का भाड़ा व किसान की मेहनत अलग। एक बीघा में 2 से 3.5 कुंतल तक उत्पादन होता है।

ऐसे समझें नुकसान: इगलास क्षेत्र में 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरा की फसल की गई। एक हेक्टेयर क्षेत्र को 13 बीघा क्षेत्र माना जाता है। एक बीघा में बाजरा की फसल पर 3350 रुपये लागत आती है। एक बीघा में तीन कुंतल फसल मिलती है। 800 रुपये प्रति कुंतल कीमत के हिसाब से 24 सौ रुपए मंडी में मिल रहे हैं।

तेज हुई बाजरे की आवक: नगर की उपमंडी में बाजरे की बंपर आवक हो रही है। प्रतिदिन आठ हजार कुंतल तक बाजरा की आवक हो रही है। किसान सुबह चार बजे से ही मंडी में आना प्रारंभ हो जाते हैं। मंडी के बाहर तक ट्रैक्टर व बुग्गियों की लाइन लग रही है। मंडी परिसर छोटा पड़ने के कारण हो रही परेशानियों से बचने के लिए किसान हाथरस व खैर की मंडियों में बाजरा बेचने जाने को मजबूर हो रहे हैं।

इनका कहना है..

सुबह चार बजे लाइन में लगने के बाद एक बजे बाजरा बिका। एक दिन तो लौट कर ही जाना पड़ा था। इतनी मेहनत के बाद जो भाव मिला है उससे लागत भी नहीं निकल पा रही है।

-बौबी शर्मा, हस्तपुर

सरकार को चाहिए कि गेहूं की तरह बाजरा का भी समर्थन मूल्य घोषित करे, जिससे किसानों को फसल के उचित दाम मिल सकें। आलू के साथ किसानों को बाजरा की फसल में भी घाटा हो रहा है।

मुनेश कुमार, चंदफरी

जैसा माल होता है वैसा ही भाव तय होता है। बाजरा गीला व साफ न होने पर भाव कम मिलता है। किसानों को ज्यादा से ज्यादा भाव व सुविधा दिलाने का प्रयास किया जाता है। दिनेश चौधरी, आढ़तिया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.