Move to Jagran APP

अतिक्रमण हटाने गई टीम से हाथापाई की नौबत

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : योगी सरकार तो कब्जेदारों से जमीन मुक्त कराने का अभियान चला रही है, लेकिन व

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 02:00 AM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 02:00 AM (IST)
अतिक्रमण हटाने गई टीम से हाथापाई की नौबत
अतिक्रमण हटाने गई टीम से हाथापाई की नौबत

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : योगी सरकार तो कब्जेदारों से जमीन मुक्त कराने का अभियान चला रही है, लेकिन वोट बैंक के खेल में कुछ भाजपा नेता ही बाधा पैदा कर रहे हैं। शनिवार को करोड़ों रुपये की जमीन मुक्त कराने पहुंची नगर निगम टीम को भी विधायक और उनके समर्थकों के विरोध के कारण उल्टे पांव लौटना पड़ा। टीम के साथ हाथापाई की नौबत तक आ गई। बाद में, शहर विधायक ने कब्जा जमाए लोगों के साथ बैठक की और बुधवार को दोनों पक्षों को दस्तावेज लेकर आने को कहा।

loksabha election banner

दरअसल, बन्नादेवी क्षेत्र में नगर निगम ने सलेज फार्म के लिए 29 बीघा जमीन ले रखी है। वर्षो से इस पर लोगों ने कब्जा जमा रखा है। कई लोगों ने दस्तावेजों में जमीन का मालिकाना हक तक पा लिया। मई-16 में नगर निगम ने कानूनी लड़ाई के बाद जमीन वापस पाई। दशकों पुरानी खींचतान और ढील के कारण तमाम मकान बन चुके हैं। नगर निगम इन्हें अवैध निर्माण बताता है। शनिवार को इसे ढहाने के लिए निगम के वरिष्ठ कर अधीक्षक सभापति यादव व एसीएम प्रथम दिलीप कुमार दल-बल के साथ पहुंच गए। जेसीबी ने निर्माण तोड़ना शुरू ही किया था कि स्थानीय लोग विरोध पर उतर आए। कहासुनी होने लगी। इस बीच शहर विधायक संजीव राजा को खबर दी गई। उनके आने की खबर से जोश में आई भीड़ ने विरोध और तेज कर दिया। दबाव में आई टीम पूरा निर्माण गिराए बगैर ही बन्नादेवी थाने आ गई। इस बीच, मौके पर विधायक पहुंचे तो टीम के कुछ सदस्य एक जीप में दिख गए। उनसे विधायक ने सख्त लहजे में पूछा कि आखिर किस आधार पर कार्रवाई के लिए आए हैं? उन्होंने नगर आयुक्त से भी कार्रवाई पर नाराजगी जताई। शहर विधायक भीड़ के साथ बन्नादेवी थाने आए और एसीएम प्रथम के आगे निगम अफसरों से सवाल किए। उन्हें बताया गया कि अवैध निर्माण के खिलाफ कोर्ट से उनके पक्ष में आदेश हो चुका है। .........

पक्के निर्माण क्यों नहीं रोके?

बात 1955-56 की है। शक्ति नगर व गूलर रोड के पास 129 बीघा जमीन थी। इसका किसानों से विवाद चला तो 103 बीघा किसानों और 29 बीघा जमीन नगर निगम को मिलने पर सहमति बनी। आठ बीघा जमीन अन्य को चली गई। बाद में, नगर निगम अपनी जमीन की निगरानी नहीं कर सका और कारखाने व मकान बनते चले गए। बैनामा पर रोक की बाबत जरूर रजिस्ट्रार कार्यालय को सूचना दी गई। फिर भी प्लॉट कटते रहे। 2015 में निगम ने 29 बीघा का सलेज फार्म बनाने का निर्णय लिया। यहां कब्जे को लेकर अंशू गौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका डाली। तब, नगर निगम से कोर्ट को बताया कि कब्जेदार चिह्नित हैं। जल्द ही कब्जा हटेगा। पर, इसमें भी रोड़े कम नहीं।

....

यह पुराना मामला है। नगर निगम अफसरों ने बिना मेयर को बताए कार्रवाई की है। कुछ अफसर सरकार को बदनाम करना चाहते हें।

संजीव राजा, शहर विधायक

सरकार की मंशा के अनुरूप अतिक्रमण हटाया जा रहा है। पूर्व में आचार संहिता के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई थी। यहां तालाब बनाने की योजना है, ताकि कोई फिर कब्जा न कर सके।

संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.