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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हलफनामा कुरान के खिलाफ

जागरण संवाददता, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विधि विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. मोहम्मद

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Apr 2017 01:51 AM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 01:51 AM (IST)
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हलफनामा कुरान के खिलाफ
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हलफनामा कुरान के खिलाफ

जागरण संवाददता, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विधि विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. मोहम्मद शब्बीर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है। उसकी ओर से तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में दिया गया हलफनामा कुरान के खिलाफ और गुमराह करने वाला है। बेहतर यह होता कि बोर्ड मुस्लिम देशों से सीख लेकर तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाता। पाकिस्तान तक में तलाक व हलाला पर पाबंदी है।

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दिल्ली के कृष्ण मेनन भवन में फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी दिल्ली चैप्टर की ओर से पिछले दिनों आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने तीन तलाक, राम जन्मभूमि व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राय रखी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार की मौजूदगी में हुई कार्यशाला में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रो. शब्बीर ने तीन तलाक पर लंबा भाषण दिया। कहा, शाफई, मालकी व हंबली स्कूल ऑफ थॉट में तीन तलाक मान्य नहीं है। शियाओं में भी तीन तलाक मान्य नहीं है। हनफी से मुक्ति का रास्ता इस्लाम है। दुनिया के 22 मुस्लिम देशों ने भी तीन तलाक को सिरे से खारिज कर दिया है। पाकिस्तान में इसके लिए फैमिली ऑर्डिनेंस एक्ट-1961 पास हुआ, जिसके तहत तीन तलाक, हलाला पर पाबंदी लगाई गई। वहां कोर्ट के जरिए ही तलाक होता है । प्रो. शब्बीर ने कहा कि तीन तलाक सुन्नी स्कूल ऑफ थॉट में जायज है। इसे खत्म कराने के लिए बोर्ड कानून बनाने की पहल करता और एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखता तो बेहतर होता। ब्रिटिश शासन में भी रिज्युलेशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट-1939 और शरियत एप्लीकेशन एक्ट-1939 पास हुआ था। मौलाना अशरफ थामनी ने यह पहल की थी।

ऐसे ही नहीं हो जाता तीन तलाक : प्रो. शब्बीर ने कुरान की रोशनी में तीन तलाक प्रक्रिया को स्पष्ट किया। कुछ आयतों का भी हवाला दिया। कहा, कुरान में तीन तलाक देने की प्रक्रिया है, जिसके तहत मियां-बीवी में अच्छे संबंध नहीं हैं तो पहले दो लोग पति की ओर से और दो लोग पत्नी की ओर से मतभेद खत्म करने की कोशिश करेंगे। बात नहीं बनती है तो बीवी जब मासिक धर्म से फ्री हो, तब पति कहेगा कि वह तलाक देता है। इसके बाद एक महीने तक पत्नी से संबंध नहीं बनाएगा। दूसरे महीने में दोनों ओर के पंच फिर जमा होंगे। उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे। बात नहीं बनने पर पति पहले की तरह फिर तलाक देगा। तीसरे महीने भी यही होगा। पंचों के समझाने पर वे नहीं मानते हैं तो पति फिर तलाक देगा। यह तलाक पक्का होता है।

जब लाल हो गया चेहरा : प्रो. शब्बीर ने हदीश में कहा कि एक बार पैगंबर मोहम्मद को एक व्यक्ति ने बताया कि एक साहब ने अपनी पत्नी को तीन तलाक कहकर तलाक दे दिया। इस पर पैगंबर का चेहरा लाल हो गया। बोले, मेरे जीते जी कुरान का मजाक उड़ाया जा रहा है। यह तीन तलाक प्रभावशाली नहीं है। उस आदमी को बुलाया गया। उससे कहा कि वह पत्नी के साथ प्यार-मोहब्बत से रहे।


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