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गृहयुद्ध देखकर चकरघिन्नी हो गए सपाई

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : ठीक 13 दिन बाद समाजवादी पार्टी 25 साल की होने जा रही है। इस उपलब्धि पर एक

By Edited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 02:49 AM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 02:49 AM (IST)
गृहयुद्ध देखकर चकरघिन्नी हो गए सपाई

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : ठीक 13 दिन बाद समाजवादी पार्टी 25 साल की होने जा रही है। इस उपलब्धि पर एक तरफ लखनऊ में सिल्वर जुबली समारोह की तैयारी चल रही है, भीड़ जुटाने के लिए 100 बसें भी बुक हो चुकी हैं, लेकिन समाजवादी कुनबे की अचानक बढ़ी कलह ने यहां भी कोहराम मचा दिया है। सरकार से चार मंत्री और पार्टी से राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के निष्कासन के बाद कार्यकर्ता कुछ समझ नहीं पा रहे कि किसका साथ दें, किसका छोड़ें। सबसे ज्यादा परेशान टिकट के दावेदार हैं। किसी को टिकट न मिलने की चिंता सता रही है तो किसी को कटने की।

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अखिलेश यादव विधायकों की बैठक में बम फोड़ेंगे, इसका एहसास चुनिंदा विधायकों को शनिवार को ही हो चुका था। इनके पास लखनऊ से बैठक के बारे में जो फोन आया था, उसमें कहा गया था कि आप किसी को बताएंगे नहीं। ये बुलावा अलीगढ़ के चारो पार्टी विधायकों को आया था। शहर विधायक जफर आलम, छर्रा विधायक ठा. राकेश कुमार सिंह, अतरौली विधायक वीरेश यादव व कोल विधायक जमीरउल्लाह बैठक में शामिल भी रहे। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री की बात सुनने के बाद जमीरउल्लाह दोपहर में शिवपाल यादव से भी मिलने पहुंचे। उन्हें शिवपाल का करीबी भी माना जाता है।

फेसबुक पर फोटो

लखनऊ में मुख्यमंत्री के विधायकों के साथ बैठक से पूर्व खींची गई एक तस्वीर को महानगर अध्यक्ष अज्जू इशहाक ने फेसबुक पर दोपहर एक बजे साझा किया है। इसमें विधायक वीरेश यादव हैं और जफर आलम भी। दो नेता और भी हैं। सभी के चेहरों पर तनाव साफ बताता है कि अंदर क्या घुमड़ रहा है।

अखिलेश के अज्जू

अलीगढ़ में संगठन से जुड़े तमाम नेता दो खांचों में बंटे हुए हैं। एक है, शिवपाल गुट, दूसरा अखिलेश का। सपा कुनबे में घमासान शुरू होने और अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद ही 11 स्थानीय नेता पद से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि, अभी इन्हें स्वीकार नहीं किया गया है। इस्तीफा देने वालों में महानगर अध्यक्ष अज्जू इशहाक भी हैं। 10 दिन से लखनऊ में डेरा डाले अज्जू पिछले दिनों शिवपाल यादव की जिला व महानगर अध्यक्षों की बुलाई बैठक में भी नहीं पहुंचे थे। अज्जू खुलकर मुख्यमंत्री के साथ हैं। तीन नवंबर से प्रस्तावित समाजवादी रथयात्रा में भी साथ रह सकते हैं। वह विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार भी हैं।

पसरा रहा सन्नाटा

रविवार को सपा के क्वार्सी स्थित जिला कार्यालय व महानगर दफ्तर पर कुछ लोग पहुंच ही जाते हैं, लेकिन रविवार को सियासी भूचाल आने के बाद पूरी तरह सन्नाटा पसर गया। चारो विधायक लखनऊ में हैं, इसलिए उनके घरों पर समर्थक भी नजर नहीं आए। आवासों पर सन्नाटा पसरा है। कार्यकर्ता टीवी के जरिये लगातार अपडेट खबरें ले रहे हैं। युवा कार्यकर्ता अखिलेश के ही पक्ष में दिख रहे हैं। सबका एक ही जवाब था कि पार्टी को नया चेहरा चाहिए। नई विचारधारा से ही प्रदेश और पार्टी का भला हो सकता है। पुरानी परंपरा और बेईमान नेताओं को कब तक ढोया जाए।

पहली बार चार विधायक

अलीगढ़ में सपा ही सबसे बड़ी पार्टी है। चुनाव में उसे कुल सात में से चार सीटें हासिल हुई थीं। तीन सीटें रालोद के कब्जे में गईं। सपा ने किसी को मंत्री नहीं बनाया, इसका कार्यकर्ताओं को अभी तक मलाल है। इन विधायकों में कोई मुलायम के आदर्शो को अपनाए रहा तो कोई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सोच का सारथी बना। समय के साथ बदलाव भी हुए और कुछ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के करीब हो गए। कोल विधायक जमीरउल्लाह को शिवपाल का अति करीबी माना जाता है। उन्होंने जमालपुर में शिवपाल यादव की सभा भी कराई थी। कलक्ट्रेट मार्ग का चौड़ीकरण भी उसी के बाद हुआ।

टिकट की चिंता

पार्टी में गृहयुद्ध से टिकट के दावेदारों की हवाइयां उड़ी हुई हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि किसकी परिक्रमा लगाएं। मुख्यमंत्री के जैसे तेवर हैं और जिस तरह का माहौल बन चुका है, उससे टिकट में बड़ा उलटफेर हो सकता है। इसका खतरा मौजूदा विधायकों को भी झेलना पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि जिले में एक-दो विधायकों के टिकट बदले जा सकते हैं। अभी सिटिंग सीटों पर पार्टी ने पत्ते नहीं खोले हैं। सुरक्षित सीट खैर व इगलास में ही प्रत्याशी का एलान किया गया है।

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हम अखिलेश के साथ हैं। उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। पार्टी उनकी है। मुख्यमंत्री का चेहरा भी वही हैं। मौजूदा दौर दुखद है। उम्मीद है कि नेताजी सब संभाल लेंगे।

- जफर आलम, शहर विधायक।

जो कुछ हो रहा है, उससे पार्टी को नुकसान होना तय-सा है। 25 साल में जो नहीं देखा था, वो अब देखना पड़ रहा है। हालात ऐसे हैं कि विधायकों का भविष्य तक खतरे में दिख रहा है।

- जमीरउल्लाह, कोल विधायक।

आज का घटनाक्रम बेहद दुखद है। पार्टी को हमने सींचा है। कुछ लोगों ने नजर लगा दी। वे अपने मंसूबे में कामयाब हो गए। सीएम ने उन्हें भी जवाब दे दिया है, जो यूपी में साढ़े चार मुख्यमंत्री बताते थे। जिले में कोई गुटबाजी नहीं है।

- अशोक यादव, जिलाध्यक्ष।

पार्टी में स्थापना के समय से ही हूं। वर्तमान हालात से बहुत दुखी हूं। पार्टी सत्ता मिलने के बाद संगठन को भूल गई। न तो सत्ता में बैठे लोगों ने ध्यान दिया, न संगठन पर काबिज लोगों ने। आज संगठन में लोग सक्रिय नहीं हैं। ताजा विवाद से संगठन को और नुकसान होगा। पिता-पुत्र का विवाद कभी फायदेमंद नहीं होता।

- डॉ. रक्षपाल सिंह, सदस्य सपा प्रदेश कार्यकारिणी।

जो अपने परिवार को नहीं संभाल पा रहे हैं, वे प्रदेश को क्या संभाल पाएंगे? भाजपा ने सपा को कभी पार्टी नहीं माना। यह तो सिर्फ एक परिवार की थी, जिसमें सबके अपने-अपने स्वार्थ थे। स्वार्थ सिद्ध नहीं हुए तो टकराव हो गया।

- चौ. देवराज सिंह, जिलाध्यक्ष, भाजपा।

परिवारवाद में सपा बर्बाद हो गई। एक ही पार्टी में परिवार के दो दर्जन से अधिक लोग होंगे तो फिर क्या होगा? सबके स्वार्थ टकराते हैं तो बंटवारे की स्थिति पैदा हो जाती है। सपा में यही स्थिति हुई। सभी नेता अपनी-अपनी बचाने में लगे हैं।

- चौ. कल्यान सिंह, जिलाध्यक्ष, रालोद।

इस गृहयुद्ध से सपा को नुकसान होगा। पार्टी खोखली हो रही है, जनता का विश्वास कम हो रहा है। इससे कांग्रेस की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा। सबको पता है कि बसपा-भाजपा के गठबंधन में भी किसी का भला नहीं हुआ था।

- चौ. बिजेंद्र सिंह, पूर्व सांसद कांग्रेस।

मुख्यमंत्री के साथ पहले थे और अब भी हैं। युवाओं को उन्होंने मार्गदर्शन दिया है। पार्टी में जो हो रहा है, उसे उचित नहीं कहा जा सकता। इससे नुकसान उठना पड़ सकता है। बाहरी लोगों का हस्तक्षेप पार्टी के लिए हितकारी नहीं हैं।

- सलमान शाहिद, पूर्व प्रदेश सचिव, सपा युवजन सभा।

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मुख्यमंत्री की खातिर दे चुके हैं इस्तीफा

सपा मुखिया मुलायम सिंह ने जब प्रदेश अध्यक्ष पद से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हटाया था, तभी से उनके समर्थक आग बबूला थे। मुख्यमंत्री के समर्थन में 11 पदाधिकारियों ने इस्तीफा देकर हाईकमान को संदेश भी दिया। इस्तीफा देने वालों में महानगर अध्यक्ष अज्जू इशाक, युवजन सभा के प्रदेश सचिव सलमान शाहिद, दिनेश यादव, लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष आशीष मोहन यादव, छात्रसभा जिलाध्यक्ष रंजीत चौधरी, यूथ ब्रिगेड जिलाध्यक्ष मोहम्मद अकरम, युवजन सभा महानगर अध्यक्ष कासिम आब्दी, छात्र सभा महानगर अध्यक्ष मुंतजिम किदवई, लोहिया वाहिनी महानगर अध्यक्ष पंकज यादव, यूथ बिग्रेड महानगर अध्यक्ष मोहम्मद सलीम, यूथ ब्रिगेड प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य इरशाद शामिल हैं।


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