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कभी मर्सिडीज में चलते थे.. आज आ गए बाइक पर

जागरण संवाददाता, अलीगढ़: ये बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगेगी, लेकिन है सच। कुछ समय पहले तक मर्सिड

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 02:13 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 02:13 AM (IST)
कभी मर्सिडीज में चलते थे.. आज आ गए बाइक पर

जागरण संवाददाता, अलीगढ़: ये बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लगेगी, लेकिन है सच। कुछ समय पहले तक मर्सिडीज में घूमने वाले आज बाइक और स्कूटर पर दिखाई दे रहे हैं। उनकी लाइफ स्टाइल में एक साथ ऐसा बदलाव आया है कि हर कोई देखकर हैरान है। इसका कारण रियल एस्टेट में एक साथ आई मंदी है। पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो कॉलोनियों और अपार्टमेंटों की बिक्री आधे से भी कम हो गई है। हाल यह है टावरों और फ्लैटों में कोई मकानों को पूछने वाला नहीं हैं। बिल्डर हाथ पर हाथ रखे अपने अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं।

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बिल्डरों की थी भरमार

-एक समय था जब शहर में बिल्डरों की भरमार थी। हर तिराहे, चौराहे पर कोई न कोई बिल्डर दुकान सजाए बैठा था। जानकारों की मानें तो तीन साल पहले शहर में कम से कम 300 से अधिक बिल्डर थे। होते भी क्यों न, बड़े पैमाने पर लोग घर और अपार्टमेंट खरीद रहे थे, लेकिन समय के साथ सबकुछ बदलता चला गया। आज स्थिति यह है कि शहर में महज चंद बिल्डर ही दिखाई दे रहे हैं। कुछ ऐसे हैं, जो महज अपनी लगाई हुई रकम की पूर्ति का इंतजार कर रहे हैं। जबकि कुछ ऐसे हैं, जो करोड़ों रुपये फंसे होने के कारण अपना व्यवसाय भी नहीं बदल सकते। कई छोटे बिल्डरों ने तो घाटे का सौदा देख कर अपना व्यवसाय ही बदल लिया।

पकड़ से हो रहे थे दूर

-कुछ समय पहले तक रियल एस्टेट में खासी महंगाई छायी हुई थी। हर साल मकानों और जमीनों की कीमतों में 20 से 30 फीसद तक बढ़ोत्तरी हो रही थी, जिससे आम आदमी के लिए आशियाना का सपना भी सपना रह गया था। कीमतें बढ़ने की वजह से मकान पकड़ से दूर जा रहे थे।

बीते तीन सालों में एडीए से पास नक्शे

साल- पास नक्शों की संख्या

2013-14 767

2014-15 461

2015-16 348

रेट बढ़े नहीं ,घटे

-महंगाई आसमान छू रही है। अधिकांश वस्तुओं के दामों में हर साल बढोत्तरी हो रही हैं, लेकिन रियल एस्टेट में सब कुछ इससे उलट है। हर साल इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो जो अपार्टमेंट तीन साल पहले 25 लाख रुपये में मिल रहा था, वही अब महज 20 लाख रुपये का रह गया है।

प्रॉपर्टी डीलरों की भी बिगड़ी सूरत

बिल्डरों के साथ ही प्रापर्टी डीलरों की भी सूरत बिगड़ गई है। जमीनों की कीमतें भी पिछले काफी समय से स्थिर हैं। जानकारों की मानें तो सर्किल रेट बढ़ने के बाद भी जमीन के दाम नहीं बढ़ रहे है। चार साल पहले जिस जमीन की कीमत 50-60 हजार रुपये गज थी, वह अभी भी इन्हीं कीमतों में खरीदी जा सकती है।

सातवें वेतन आयोग से बंधी आस

-केंद्र सरकार ने सातवां वेतन आयोग जारी कर दिया, जबकि राज्य सरकार ने भी कर्मचारियों को इसका लाभ देने की घोषणा कर दी है। ऐसे में जल्द ही सरकारी कर्मचारियों को एक मुश्त एरियर मिलेगा, जिसे कर्मचारी प्रॉपर्टी में लगा सकते हैं।

यह है वजह

डीएस कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. इंदू वाष्र्णेय बताती हैं, तीन साल पहले प्रॉपर्टी खरीदने में सबसे अधिक प्रयोग काले धन का हो रहा था, लेकिन जब से मोदी सरकार केंद्र में आई है, उन्होंने प्रॉपर्टी खरीदने में केवल सफेद पैसे का प्रयोग ही अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में माफियाओं के लिए बिल्डिंग खरीदना काफी मुश्किल हो गया। वहीं, आम आदमी को सर्किल रेट अधिक होने की वजह से दिक्कतें होती है। इसी कारण लोग बिल्डिंग और जमीन में पैसे फंसाने से बच रहे है।

-रियल एस्टेट में इतनी मंदी कभी नहीं आई। तैयार खड़े अपार्टमेंटों को खरीदने के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों से लोगों का मोह भंग हो रहा है।

-राजीव शर्मा, बिल्डर कावेरी अपार्टमेंट।

-हर साल सर्किल रेट में बढ़ोत्तरी हो रही है। टैक्स के दाम भी बढ़ाए हैं। ऐसे में आम आदमी के लिए मकान खरीदना काफी मुश्किल हो जाता है। इसी से एक साथ मंदी आई है।

-अनिल पाराशर, बिल्डर, सिग्नेचर होम

-पांच साल में 50 फीसद बिक्री कम हो गई। सर्किल रेट और टैक्स से अपार्टमेंट के दाम दो गुने हो जाते हैं। ऐसे में आम आदमी का मकान खरीदना बहुत मुश्किल है।

-तेजेंद्र सांगवान, बिल्डर सांगवान सिटी

-पांच साल पहले काफी संख्या में मकानों और कॉलोनियों की बिक्री होती थी। लेकिन सरकारों की गलत नीतियों के कारण लोगों का मकान खरीदने के प्रति मोहभंग हो रहा है।

-श्यौराज सिंह, बिल्डर वैष्णों इन्फ्रा

-पिछले तीन सालों में 50 फीसद तक बिक्री कम हो गई है। जो फ्लैट तैयार हैं, वे भी नहीं बिक रहे। केंद्र सरकार ने नीतियां नहीं बदली तो रियल एस्टेट का व्यापार चौपट हो जाएगा।

आलोक सिंह गौड़, केशव इन्फ्रा

रियल एस्टेट बाजार काफी सस्ता है। इसी कारण एडीए में नक्शा स्वीकृति संख्या में कमी आई है। हाल यह है कि पिछले तीन सालों में किसी भी बड़े अपार्टमेंट या टावर के लिए एडीए से नक्शा पास नहीं हुआ है।

-एनके पालीवाल, उपाध्यक्ष, अलीगढ़ विकास प्राधिकरण

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