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धरना-प्रदर्शन व बहिष्कार दरकिनार, बजट पास

जागरण संवाददाता, अलीगढ़: नगर निगम के पुनरीक्षित बजट अधिवेशन के दौरान सोमवार को खूब हंगामा हुआ। ना

By Edited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 02:10 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 02:10 AM (IST)
धरना-प्रदर्शन व बहिष्कार दरकिनार, बजट पास

जागरण संवाददाता, अलीगढ़:

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नगर निगम के पुनरीक्षित बजट अधिवेशन के दौरान सोमवार को खूब हंगामा हुआ। नाराज पार्षदों ने अधिवेशन पर सवाल उठाते हुए धरना-प्रदर्शन और बहिष्कार तक किया। हंगामे के बीच ही 325 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित बजट स्वीकृत हो गया। स्मार्ट सिटी व अमृत योजना के प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पास हुए।

जवाहर भवन में सोमवार को महापौर शकुंतला भारती की अध्यक्षता में बोर्ड का अधिवेशन शुरू हुआ। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि एक अप्रैल-2015 को वास्तविक अवशेष 40.97 करोड़ रुपये, पुनरीक्षित बजट 2015-16 की वास्तविक आय 289.87 करोड़ रुपये तथा पुनरीक्षित बजट (2015-16) का अनुमानित प्रस्ताव व्यय रुपये 281.98 करोड़ है। इस तरह 31 मार्च 2016 को अनुमानित अंतिम अवशेष 48.88 करोड़ की धनराशि का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। नामित पार्षद मसरूर अली, शहजाद अल्वी, मुकर्रर जहां, अलाउद्दीन आदि ने स्मार्ट सिटी के लिए नगर आयुक्त के प्रयासों की सराहना की। मीडिया प्रभारी सभापति यादव, एहसन रब व संजय सक्सेना मौजूद रहे।

अधिवेशन शुरू होते ही हंगामा

जवाहर भवन में पुनरीक्षित बजट अधिवेशन शुरू हुआ। पार्षदों के एक गुट ने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जब कार्यकारिणी में ही बजट पास नहीं हुआ तो बोर्ड में क्यों लाया गया? यह महापौर व अधिकारियों की मनमानी नहीं तो क्या है? महापौर शकुंतला भारती व नगर आयुक्त संतोष कुमार शर्मा ने कहा कार्यकारिणी में सर्वसम्मति से बजट पास हुआ है। पार्षद रिजवान हुसैन व मुसर्रफ हुसैन ने कहा कि दोनों लोग गंगाजल उठाकर कसम लें कि बजट पास हुआ है। जनसमस्याओं व अन्य मुद्दों पर भी खूब बहस हुई। कुछ पार्षदों ने समझाया कि विवाद होते रहते हैं, इससे विकास पर असर नहीं पड़ना चाहिए, मगर पार्षदों ने एक नहीं सुनी और बोर्ड का बहिष्कार कर परिसर में आ गए और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि जनता की गाड़ी कमाई का 20 फीसद कमीशन के रूप में उड़ाया जा रहा है। शहर में गंदगी और सड़कें टूटी हुई हैं। स्ट्रीट लाइट व हैडपंप खराब पड़े हैं। उन्होंने कमीशन खोरी बंद न होने पर मुख्यमंत्री के सामने पोल खोलने का एलान किया। जय कुमारी, हेमलता, गुड्डो बेगम अल्वी, रुकसाना, नवाब, आस मोहम्मद बिलकिस, चंद्रप्रकाश चंद्र, नईम अख्तर, जावेद भाटी, बिलकिस, अफजाल हमीद आदि मौजूद रहे।

नहीं बनाईं समितियां

अधिवेशन में हंगामे के दौरान पार्षद पुष्पेंद्र जादौन ने सदन से कहा कि कार्यकारिणी का चुनाव अक्टूबर में होना था, नहीं हुआ। साढ़े तीन माह बीत चुके हैं, आज तक विकास समितियां नहीं बनाई गईं। यदि समितियां बनती तो जनता को अधिक से अधिक सुविधाएं मिलती हैं।

पेट्रोल की बोतल लेकर पहुंचे पार्षद पति

अलीगढ़: अधिवेशन में हंगामे के दौरान ही पार्षद हेमलता के पति गवर्नर लोधी ने पेट्रोल से भरी बोतल निकाल ली। यह देखकर सदन में अफरा-तफरी मच गई। पार्षद पुष्पेंद्र जादौन व अन्य पार्षदों ने काफी मशक्कत के बाद उनके हाथ से बोतल छीनी। गवर्नर सिंह ने कहा कि सासनी गेट क्षेत्र में पानी की समस्या है। जल निगम में एक ही जेई 11 साल से तैनात है खुद ठेकेदारी करते हैं। गंभीरपुरा में ड्रैनेज लाइन, मैनहोल खुला रहता है। सीवर प्रभारी लापरवाह है। पिछले दिनों यहां बच्चे की मौत का कारण मैन होल खुला होना है। लाइट विभाग के जेई अपने परिजनों के माध्यम से ठेकेदारी कर रहे हैं। पार्षदों ने उन्हें समझाकर शांत किया।

भाजपा पार्षद का बहिष्कार

अधिवेशन में भाजपा पार्षद मधु आंधीवाल ने बहिष्कार किया। उन्होंने कहा कि 12 सदस्यीय कार्यकारिणी का कार्यकाल 31 सितंबर को पूरा हो चुका है। क्यों चुनाव नहीं कराया जा रहा? पुराने लोगों से बजट पास कराने पर जोर क्यों है? हालांकि, उन्होंने सपा समर्थित पार्षदों के धरने का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि बजट पास होना चाहिए, ताकि लोगों को सुविधाएं मुहैया हों।

पहले सिटी, फिर स्मार्ट सिटी

सपा पार्षद बाबा फरीद ने अधिकारियों के रसूख पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ये लोग लग्जरी गाड़ियों में घूम रहे हैं, और जनता को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं। शहर में गंदगी और कूड़े के ढेर लगे हैं। अधिकारी अलीगढ़ को शहर तो बना नहीं सके और स्मार्ट सिटी की बात कर रहे हैं। आरोपों के जवाब में कोई प्रतिक्रिया न होने पर अधिवेशन का बहिष्कार कर बाहर चले गए।

इनका कहना है..

नगर निगम एक परिवार है। यह परिवार मेरे बच्चों की तरह है। बच्चा रोता है तो मां की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें सुने और उनकी समस्याओं का समाधान करें। पार्षदों की जो बात भी सही होगी, उसमें उचित फैसला लिया जाएगा। गवर्नर लोधी पार्षद पति हैं, उन्हें अधिवेशन में आने की इजाजत नहीं।

- शकुंतला भारती, महापौर।


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