सीवीसी जांच बैठने से गरमाया एएमयू
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : एएमयू कुलपति के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच बैठने से खलबल
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : एएमयू कुलपति के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच बैठने से खलबली मच गई है। सोमवार को पूरे दिन अधिकारी इससे जुड़े दस्तावेज जुटाने में लगे रहे है। इंतजामिया ने कुलपति की सीवीसी में की गई शिकायत को गलत बताया है।
एएमयू के पूर्व सेक्शन आफिसर खलीकुज्जमा ने राष्ट्रपति (विजिटर), प्रधानमंत्री व केंद्रीय सतर्कता आयोग में शिकायत की थी। आरोप लगाया कि एएमयू के पूर्व छात्र सैयद अबरार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कुलपति की नियुक्ति को चुनौती दी थी। कुलपति ने केस लड़ रहे निजी वकील को एएमयू के खाते से पांच लाख का भुगतान किया है। सीवीसी में शिकायत दर्ज हो गई है। वहीं, एएमयू ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय को केंद्रीय सतर्कता आयोग की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। एएमयू रजिस्ट्रार ने कहा है कि पूर्व सेक्शन आफिसर खलीकुज्जमा की शिकायत पूरी तरह से निराधार व दुर्भावना से प्रेरित है। उन्हें प्रशासनिक ब्लाक में स्थित कार्यालयों व अधीनस्थ प्रकोष्ठ आदि में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सूचित किया है कि कुलपति जमीरउद्दीन शाह की कुलपति की हैसियत से नियुक्ति एएमयू की विजिटर की हैसियत से राष्ट्रपति ने की थी। सैयद अबरार अहमद की रिट याचिका में कुलपति जमीरउद्दीन शाह को प्रतिवादी नम्बर 3 बनाया गया है, जबकि प्रथम व द्वितीय प्रतिवादी के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा विजिटर (राष्ट्रपति) का नाम दर्ज है। नियुक्ति के विजिटर के आदेश के न्यायालय में बचाव के लिए अधिवक्ता शम्स ख्वाजा व शशि नंदन की सेवाएं ली गई, उन्हें उनका मानदेय भी अदा किया गया। एएमयू ने इस संबंध में केवल ढाई लाख रुपये ही मानदेय के रूप में अदा किए हैं। मानदेय अदायगी की कोई नई बात भी नहीं हैं अन्य मामलों में भी अधिवक्ताओं की सेवाएं ली गई हैं और मानदेय अदा किया गया।
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अगली सुनवाई 11 को
एएमयू कुलपति व सहकुलपति की नियुक्ति को लेकर दायर की गई याचिका पर हाईकोर्ट में 11 अगस्त को सुनवाई होगी। सोमवार को भी इस केस की सुनवाई होनी थी, लेकिन नहीं हो सकी।