भंवर से निकाली पानी की कश्ती
राज नारायण सिंह, अलीगढ़ पानी की कश्ती भंवर में फंसी है..इससे कौन अनजान है? ऐसा है, तभी दुनियाभर मे
राज नारायण सिंह, अलीगढ़
पानी की कश्ती भंवर में फंसी है..इससे कौन अनजान है? ऐसा है, तभी दुनियाभर में यह आशंका पसरी हुई है कि अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए ही होगा। एक प्रिंसिपल दुश्वारियों में घिरी पानी की कश्ती को पार लगा रही हैं। शहर से लेकर गांव तक वर्षा जल संरक्षण संयंत्र (रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम) लगवा रही हैं। पोखर खुदवा रही हैं। प्रयासों का सुखद नतीजा यह कि एक गांव में भूजल स्तर पांच फीट तक ऊपर आ चुका है।
बर्बादी से बचत की ओर
पानीपत निवासी सुनीता सिंह का पारिवारिक माहौल ऐसा बीता कि बचपन में ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो गईं। 1992 में विकास नगर कॉलोनी निवासी सिविल इंजीनियर मनोज कुमार से शादी हुई तो अलीगढ़ आ गईं। 10 साल पहले सासनीगेट में विश्व भारती पब्लिक स्कूल खोल लिया। स्कूल जाते हुए एक रोज एक पानी की टंकी से पानी ओवरफ्लो होते देखा। वे रुकीं और मकान मालिक को टोका। उम्मीद से इतर, जवाब मिला, 'क्या हुआ..पानी जमीन पर ही तो गिर रहा है?' सुनीता ने समझाया, 'जमीन पर ही तो, जमीन के अंदर तो नहीं। ..यह पानी जमीन में जाएगा तभी तो कल के लिए बचेगा।' कुछ देर में ही सुनीता की दलीलों के आगे वो शख्स नतमस्तक हो गए। बहस में बाजी मार चुकीं सुनीता को यह महसूस हुआ कि पानी बचाने की बात में वाकई दम है। एक मान सकता है तो दूसरा क्यों नहीं?
छेड़ा अभियान
सुनीता ने बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए अभियान छेड़ दिया। कहीं नल खुला मिला तो खुद टोंटी लगवाई। सड़क, गाड़ी, मकान आदि की धुलाई में बेतहाशा पानी की बर्बादी देखकर रुक जातीं। उन्हें समझातीं। कई बार बात उल्टी भी पड़ी, लेकिन हौसले के कदम कमजोर नहीं पड़े। वे समझातीं कि हर आदमी रोजाना सिर्फ एक कप पानी बचा ले तो पूरी दुनिया में एक लाख गैलन पानी प्रतिदिन बच सकता है। सोचो.यह छोटी-सी कोशिश कितना बड़ा काम करेगी?
वाटर हार्वेस्टिंग की पहल
सुनीता कहती हैं, 'मैंने हर शुरुआत अपने से की है। खुद किसी बात पर अमल नहीं कर सकती तो दूसरे कैसे मानेंगे? लिहाजा, 2011 में अपने स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया। बारिश के दिनों में पूरा पानी इसी में जाता है। पांच रिश्तेदारों के घरों में सिस्टम लगवाए। विद्यालय में कई वर्षो से भूजल स्तर नीचे लुढ़क रहा था। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के बाद यह स्थिर हो चुका है।'
युवाओं को जोड़ा
पानी बचाने की लड़ाई अकेले की नहीं है। सुनीता ने मुहिम से युवाओं को जोड़ना शुरू किया। शुरुआत गभाना तहसील क्षेत्र के गांव ओगर से की। यहां उनकी ननिहाल है। वे बताती हैं, एक बार ननिहाल आई थी। भाइयों ने बताया कि गांव का पानी हर साल दो-तीन फीट नीचे गिर रहा है। यह सुनकर भाइयों से कहा कि गांव का पानी पोखर में क्यों नहीं गिराते?' सुनीता ने भाइयों के जरिए गांव के कई युवकों को बुलवाया। पोखर साफ कराई। दो साल के अंदर सभी घरों के पानी का रुख भी पोखर की ओर मोड़ दिया। बकौल सुनीता, गांव का भूजल स्तर पहले 30 फीट पर था। इस वक्त यह 25 फीट पर है। यहां पानी का स्तर इसलिए बेहतर है, क्योंकि पड़ोस से कई नहरें निकल रही हैं।
स्कूलों में कार्यशाला
सुनीता के मुताबिक, 'कोई भी जागरूकता अभियान चलाना हो, बच्चों से बेहतर कोई नहीं। एक बार में ही उनके जेहन में बात उतर जाती है। लिहाजा, स्कूलों में सेमिनार करके पानी की अहमियत समझाती हूं। पानी की बर्बादी रोकने की अपील करती हूं।' वे अब शहर के निजी स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने की मुहिम चलाने वाली हैं। इससे स्कूलों में तो बर्बादी रुकेगी ही, बच्चे भी जागरूक होंगे।
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बदला नजरिया
पहले मैं भी बेतहाशा पानी बहाता था, अब ऐसा कदापि नहीं करता। यह सुनीता मैडम की मुहिम की वजह से है। पानी के महत्व को समझ गया हूं। अब कोई दूसरा भी पानी बर्बाद करे तो उसे फौरन टोकता हूं। लोगों को बताता हूं कि पानी सबके लिए कितना जरूरी है।
- प्रवीन कुमार।
जिस समय भूजल स्तर गिरने की दुखदायी खबरें आ रही हैं, मेरे गांव ओगर में पांच फिट पानी ऊपर आ चुका है। यह सुनीता जी के प्रयास का फल है। मुझे नहीं मालूम था कि हमारी छोटी-सी कोशिश का इतना बड़ा फल मिल जाएगा। अब गांव-गांव जाकर पोखर खुदवाने को प्रेरित कर रहा हूं।
- संजय सिंह।