गरम तार से सांस नली को जलाते ही रोगी को राहत
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को एक मरीज
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को एक मरीज की सांस की नली को गरम तार डालकर जलाया गया तो देखने वालों की सांसें थम गई। दमा के इस रोगी को पहले सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। नली जलने के बाद राहत महसूस की। यह एक वीडियो का दृश्य था, जिसके जरिये मलेशिया से आए डॉ. जमालुल अजीजी ने जेएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को इस इलाज के बारे में बताया। यह विधि भारत में इस्तेमाल नहीं की जाती है।
जेएन मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को नेशनल कांफ्रेंस ऑफ पल्मोनोलॉजी 'नेपकॉन-2014' का शुभारंभ हुआ। मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड रेस्पाइरेटरी विभाग व आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) व इंडियन चेस्ट सोसायटी की चार दिन चलने वाली कांफ्रेंस एक दिन यहां हुई। अब 21 से 23 नवंबर तक आगरा के होटल जेपी पैलेस में होगी।
पहले दिन यहां मेडिकल कॉलेज में जुटे टीबी रोग विशेषज्ञों ने आधुनिक इलाज के बारे में डॉक्टरों को बताया। मलेशिया के डॉ. जमालुल अजीजी ने जिस विधि के बारे में बताया, उससे सब चकित थे। हैदराबाद से आए प्रो. राजीव गोयल, डॉ. पत्तवी रमन व डॉ. रवि मेहता ने ई-बस के बारे में जानकारी दी। टीबी मरीज के इलाज की ये वो विधि है, जिसमें अल्ट्रासाउंड के जरिये फेफड़े के उस भाग को देखा जा सकता है, जो दिखाई नहीं देता। डॉ. अनंत मोहन, डॉ. आनंद जैसवाल ने भी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
कांफ्रेंस का शुभारंभ कुलपति जमीरउद्दीन शाह ने किया। उन्होंने कहा कि अब टीबी लाइलाज नहीं है, लेकिन इस बात पर चिंता जाहिर की कि टीबी बैक्टीरिया पर दवाओं का असर कम हो रहा है। सहकुलपति एस. अहमद अली ने कहा कि भारत में टीबी से प्रभावित लोगों की संख्या विश्व की कुल आबादी का 24 फीसद है, जो चिंताजनक है। कांफ्रेंस के सचिव प्रो. राकेश भार्गव ने कहा कि यह आयोजन मेडिकल कॉलेज के लिए गौरव की बात है। प्राचार्य प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में जल्द ही एमडीआर टीबी का अत्याधुनिक वार्ड तैयार हो जाएगा। मेडिसिन संकाय की डीन प्रो. शाहजहां बानो ने आयोजन पर बधाई दी।