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हिंदू भाइयों से भी रहें खुशगवार ताल्लुकात

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 02:20 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 02:20 AM (IST)
हिंदू भाइयों से भी रहें खुशगवार ताल्लुकात

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : ईद-उल-फितर का खुशनुमा त्योहार शांति-सद्भाव के साथ मनाया गया। जिले की तमाम छोटी-बड़ी मस्जिदों में नमाज अदा की गई। शाहजमाल ईदगाह में एक लाख से अधिक लोगों ने नमाज अदा करते हुए दुआ की, 'या अल्लाह हम तेरे पर हाजिर होकर तुझसे अपनी तमाम गलतियों की माफी मांगते हैं। हमने रमजान के दिनों में जो रोजे रखे, तरावीह पढ़ी, उनको कबूल फरमाना। गरीब, बेसहारा, बीमार व परेशान लोगों की मदद अता फरमाना। शहर व मुल्क में अमन-ओ-अमान कायम रखना। हिंदू भाइयों से भी हमारे ताल्लुकात खुशगवार रहें।'

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इससे पहले शहर मुफ्ती मुहम्मद खालिद हमीद ने तकरीर करते हुए कहा कि जिस शख्स ने भी अपने जज्बातों पर काबू रखकर पूरे माह रोजे रखे और इबादत की है, ऐसे इंसानों का इस्तकबाल फरिश्ते करते हैं। हमें रोजे दोजख की आग से बचने और जन्नत में जगह पाने की गरज से नहीं, बल्कि अल्लाह की रजा के लिए रखने चाहिए। जिन हराम चीजों से हमें रोका गया है, उनसे हमें अलग रहने की जरूरत है। क्योंकि, हर गुनाह का हिसाब लिया जाना है। हम सबको हलाल रोजी व हलाल चीजों को ही अपनाना चाहिए। अपनी जिंदगी सादगी से बसर करनी चाहिए।

शहर मुफ्ती ने कहा कि रमजान माह में एक से दस तारीख तक का पहला अशरा (भाग) रहमत वाला कहलाता है। दूसरे अशरा में हमारे गुनाह को बख्श दिया जाता है। तीसरा अशरा आग से निजात दिलाने वाला कहलाता है। जिस शख्स से तीनों चीजों को हासिल कर लिया, वह मुबारकबाद का हकदार होता है। उन्होंने कहा कि अल्लाह ताला के खजाने में किसी भी चीज की कमी नहीं है। रहमत की बारिश रमजान में होती हैं। अल्लाह ताला ऐसे लोगों से बेहद खुश होता है और हर चीज नवाजता है, जिन्होंने अल्लाह की रजा के लिए पूरे रोजे रखे और तरावीह की।

तकरीर के बाद सुबह करीब आठ बजे हाफिज मुहम्मद सागिल ने ईद की नमाज अदा कराई। फिर उन्होंने ही खुतवा पढ़ा, जिसे बीच में रोककर मुहम्मद सागिल ने फितरा के बारे में कहा, ईद की नमाज से पहले फितरा अदा करना वाजिब है। ये इसलिए जरूरी है, क्योंकि हमसे रोजे और अन्य इबादतों में कोई गलती हो गई हो, उसे फितरा के जरिये माफ फरमाया जाए। उनके मुताबिक, शहर मुफ्ती ने हर शख्स पर तीस रुपया फितरा वाजिब करार दिया है। तकरीबन साढ़े आठ बजे दुआ के साथ लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हुए वहां से रुखसत हुए।

संचालन हाजी यासीन पेंटर ने किया। इससे पहले सुबह साढ़े सात बजे एएमयू की जामा मस्जिद में ईद की नमाज हुई। साढ़े आठ बजे ऊपरकोट जामा मस्जिद व पौने नौ बजे बूअली शाह की मस्जिद में भी नमाज हुई।


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