वीरमपुर में दहशतजदा सन्नाटा, फोर्स तैनात
अलीगढ़ : जमीनी विवाद में इकलौते दलित परिवार के तीन सदस्यों की पीट-पीटकर हत्या व एक को मरणासन्न करने के 24 घंटे बाद भी गांव में दहशत और सन्नाटा है। पीड़ितों के घर में चूल्हे तक नहीं जले। तीनों मृतकों का विवादित जमीन पर ही अंतिम संस्कार करा दिया गया। जातीय तनाव देखते हुए गांव में अभी फोर्स तैनात है। वहीं, बुधवार को हत्थे चढ़े हत्यारोपी रिटायर्ड होमगार्ड व उसके भाई को जेल भेज दिया गया। फरार पांच आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने तीन घरों में दबिश दी। तोड़-फोड़ भी बताई जा रही है। इस बीच, दलित उत्पीड़न के बहाने राजनीति भी शुरू हो गई है।
फ्लैश बैक
लोधा थाना क्षेत्र के गांव वीरमपुर में बुधवार को रिटायर्ड होमगार्ड पुरुषोत्तम शर्मा ने आधा दर्जन महिला-पुरुषों के साथ मेवाराम जाटव के घर पर लाठी-डंडों और फरसों से लैस होकर धावा बोल दिया था। हमलावरों ने मेवाराम के घर आए दो रिश्तेदारों को भगा दिया। मेवाराम के भाई बाबूलाल, बहन बंसती देवी, बेटे कैलाश व प्रताप उर्फ कालू को घर से करीब 200 कदम दूर तक लाए और पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। इन्हें दफनाने को गढ्डे तक खोदने लगे। बाद में, मेवाराम, कैलाश की पत्नी प्रवेश देवी व उसके बच्चे को भी मारने दौड़े। इन्होंने पड़ोसी के घर में छुपकर जान बचाई। चारों घायलों को पुलिस जेएन मेडिकल कॉलेज लाई, जहां बसंती देवी (60), उनके भाई बाबूलाल (50) व भतीजे कैलाश (25) को मृत करार दिया गया। प्रताप उर्फ कालू का अभी इलाज चल रहा है।
पीड़ित दलितों के मुताबिक गाटा संख्या 19 में मेवाराम को एक बीघा, उनके भाई बाबूलाल व बहन बसंती देवी को छह-छह बीघा आवंटन में मिली थी। बेटे प्रताप उर्फ कालू ने तीन बीघा जमीन यहीं खरीद ली थी। इसी गाटा संख्या में हिस्सेदार पुरुषोत्तम व उनके भाइयों की भी 40 बीघा जमीन है। मेड़बंदी को लेकर दोनों के बीच 15 साल से विवाद चला आ रहा था। 23 जून को तहसील के हल्का लेखपाल रमेश चंद व कानूनगो रोशनलाल ने पक्की मेड़बंदी भी करा दी, लेकिन 15 दिन पूर्व फिर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। पुलिस ने मेवाराम के बेटे प्रताप को शांति भंग में जेल भेज दिया। पुरुषोत्तम ने विवादित जमीन पर धान की पौध लगवा दी थी।
गांव में कोहराम
गुरुवार को पोस्टमार्टम कराकर पुलिसिया साये में तीनों लाशें गांव लाई गईं तो कोहराम मच गया। 80 फीसद ब्राह्मणों के इस गांव में सजातीय दबंगों का खौफ जरूर दिखा। पीड़ितों के कुछ रिश्तेदार व बचे सदस्यों के अलावा पुलिस ही थी। बताते हैं कि पीड़ित दलितों को कोई ग्रामीण सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा। गभाना एसडीएम राजपाल सिंह, सीओ कल्याण सिंह, तहसीलदार ओउमवीर सिंह समेत कई थानों की पुलिस-पीएसी की मौजूदगी में तीनों का विवादित जमीन पर ही अंतिम संस्कार कराया गया। दबंगों ने यहां धान की फसल बो रखी है।
गांव पहुंचे बसपाई
बसपा के पूर्व मंत्री व एमएलसी ठा. जयवीर सिंह, एमएलसी व बसपा के जोनल कोआर्डिनेटर सुनील चित्तौड़, जिलाध्यक्ष गजराज विमल, रामअवतार सिंह, जवां ब्लाक प्रमुख उपेंद्र सिंह नीटू, विमला राज, निशा गौतम, शीलू ठाकुर, चरन सिंह नेताजी, मुकेश कुमार, वीरपाल सिंह गांव पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, अंबेडकर समाज पार्टी समेत कई दलों के नेता भी गांव पहुंचे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कराने का भरोसा दिया।
मिलेगी आर्थिक सहायता
एसडीएम राजपाल सिंह ने बताया कि पीड़ित दलितों की माली हालत बेहद खराब है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद दिलाएंगे। किसान दुर्घटना बीमा योजना के तहत पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना के तहत भी पीड़ितों को लाभ दिलाएंगे।
लेखपाल-कानूनगो पर सवाल
गांव वालों ने हल्का लेखपाल व कानूनगो की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और कार्रवाई की मांग की। आरोप लगाया कि दबंगों से मिलकर इन्होंने ही जमीन पर कब्जा कराया था। अधिकारियों ने कार्रवाई का भरोसा दिया है।
ग्रामीणों ने साधी चुप्पी
वीरमपुर के लोगों ने मौन धर लिया है। पुरुष-महिलाएं भी घरों में ही दुबके रहे। बच्चे जरूर सन्नाटे को तोड़ते रहे।
स्कूल नहीं गए बच्चे
गुरुवार को गांव के सरकारी प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल खुले जरूर लेकिन बच्चे गायब थे। अध्यापक उनके इंतजार में बैठे रहे।