छुट्टी चाहिए तो रात को घर आना!
कार्यालय संवाददाता, अलीगढ़ : बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) पर एक टीचर ने कुछ ऐसे ही सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। कहा है, मातृत्व अवकाश को मंजूर कराने के लिए 'साहब' ने उन्हें आवास पर बुला लिया। नहीं गई तो फाइल महीनेभर उनके यहां पड़ी रही और छुट्टी मंजूर नहीं की गई। बात उर्दू टीचर्स एसोसिएशन तक गई तो सोमवार को टीचर ने बीएसए कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन किया। फिर, खलबली मचनी ही थी। सपा के शहर विधायक जफर आलम के नाराज होने पर सीडीओ ने आरोपों की जांच कराने का निर्देश दिया है।
यह सनसनीखेज आरोप लगाया है, जवां ब्लाक स्थित छेरत प्राइमरी विद्यालय की सहायक अध्यापक शाहिद परवीन ने। बकौल शाहिदा, तीन महीने के बेटे की तबियत खराब होने के कारण एक सितंबर को खंड शिक्षा अधिकारी के यहां मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। उनकी संस्तुति के बाद पत्रावली नौ सितंबर को बीएसए कार्यालय आ गई। तब से अक्सर बीएसए कार्यालय पर जाती रहीं, लेकिन अवकाश स्वीकृत नहीं हुआ। आरोप है कि बीएसए ने रात नौ बजे घर आने को कहा। यह सूचना उसने यूपी उर्दू टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष गुलजार अहमद को दी।
गुलजार अहमद की मानें तो एक महीने से बीएसए कभी सुबह 10 से 12 बजे तक कार्यालय में नहीं बैठे हैं। रात में नौ बजे किसी टीचर को अपने घर बुलाने का कोई औचित्य नहीं है। पीड़ित टीचर को अवकाश देने के लिए शहर विधायक जफर आलम ने भी बीएसए से बात की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। एबीएसए उसे बच्चे को स्कूल लाने से भी रोकते हैं। ऐसे में टीचर क्या करे? सो, उन्हें धरना-प्रदर्शन को मजबूर होना पड़ा। शाम को शहर विधायक जफर आलम ने सीडीओ से फोन पर बात की। सीडीओ शमीम अहमद ने पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
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टीचर के आरोप गलत हैं। मैंने किसी को रात में घर नहीं बुलाया। रही बात मातृत्व अवकाश स्वीकृति की तो उसे देते वक्त पढ़ाई भी देखनी पड़ती है। शिक्षिका का अवकाश हमने मंजूर कर लिया है।
- एसपी यादव, बीएसए
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