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सिनेमाघर में 'हेराफेरी' रिलीज!

By Edited By: Published: Tue, 23 Jul 2013 02:46 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2013 02:48 AM (IST)
सिनेमाघर में 'हेराफेरी' रिलीज!

संतोष शर्मा, अलीगढ़ : जिस वक्त जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं, क्या कोई ऐसा दरियादिल मिलेगा कि वो किराएदार को ही मालिक बना दे? नगर निगम ने यहां कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है। निगम ने एक सिनेमाघर को जमीन तो 30 साल की लीज पर दी थी, लेकिन टॉकीज मालिक ने जमीन फ्री-होल्ड करने को अर्जी डाली तो मालिक बनने का भेद खुल गया। निगम को अदालत से स्टे मिल गया तो टॉकीज मालिक ने सरकार से गुहार लगाकर टेंशन बढ़ा दी। शासन के रिपोर्ट तलब करने से यहां खलबली है।

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निशात टाकीज की कहानी

उदय सिंह जैन रोड स्थित निशात टॉकीज नगर निगम की जमीन पर बना है। 6 जनवरी 1930 को नगर पालिका अलीगढ़ (तब नगर निगम का गठन नहीं हुआ था।) ने कोर्ट ऑफ वार्ड के तहत कलक्टर मुजफ्फर नगर से यह जमीन खरीदी थी। एक अपै्रल 1986 को निशात टाकीज के मालिक विश्वनाथ खन्ना ने नगर पालिका से 30 साल की लीज पर जमीन ले ली। विश्वनाथ एंड संस से किराया तय हुआ 1000 रुपये प्रतिमाह। यह लीज 31 मार्च 2016 तक है। जमीन का मालिकाना हक नगर निगम का है।

फ्री-होल्ड को गए कोर्ट

1999 में विश्वनाथ के बेटे राजेश ने नजूल की जमीन बताते हुए डीएम कार्यालय में फ्री-होल्ड कराने की अर्जी डीएम कार्यालय में दी। शुल्क भी जमा करा दिया। निगम अफसरों को पता लगा तो डीएम से अर्जी खारिज करने की गुजारिश की। इसपर 2005 में राज्य सरकार व नगर निगम के खिलाफ सिविल जज के यहां वाद दायर किया। इस बीच विश्वनाथ खन्ना का निधन हो गया तो 12 सितंबर 2009 को उनकी पत्नी व्रजरानी खन्ना ने आवंटित जमीन अपने नाम करा ली। निगम ने किराया जरूर 1600 रुपये प्रतिमाह कर दिया।

स्वामी बनाईं व्रजरानी

नगर निगम से भूल हुई या कोई साठ-गांठ की गई, व्रजरानी को दस्तावेजों में मालिक मान लिया गया। फिर, राजेश खन्ना ने किराए को अवैध बताते हुए तर्क दिया कि फ्री-होल्ड कराने का जब शुल्क दे दिया तो किराया किस बात का? चेते निगम अफसरों ने व्रजरानी का स्वामित्व निरस्त किया। पैमाइश से पता लगा कि किराए पर जमीन तो 1543 वर्ग गज ही दी थी, ले रखी है 2130 वर्ग गज।

हाईकोर्ट तक

27 अप्रैल 2011 को एडीजे सप्तम ने व्रजरानी के पक्ष में फैसला सुना दिया। नगर निगम ने हाईकोर्ट में अपील करके स्टे पा लिया। राजेश खन्ना ने इसे निगम की मनमानी बताते हुए शासन से शिकायत की। इसपर नगर विकास विभाग ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। यहां खलबली इसलिए मची है क्योंकि स्टॉफ की मिलीभगत से ही ऐसी नौबत आई है।

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नगर निगम की जमीन हथियाने की कोशिश कामयाब नहीं होने देंगे। व्रजरानी कैसे मालिक बन गईं, इसकी जांच कराएंगे। शासन को रिपोर्ट दे रहे हैं।

- शैलेंद्र कुमार सिंह, नगर आयुक्त

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