Move to Jagran APP

World Osteoporosis Day: हड्डियां हो रहीं कमजोर, गिरते ही फ्रैक्चर, पहचान लीजिए लक्षण Agra News

50 साल की उम्र के बाद बढ़ने लगे केस। 60 साल से अधिक उम्र के 70 फीसद मरीजों में समस्या।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 01:41 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 01:41 PM (IST)
World Osteoporosis Day: हड्डियां हो रहीं कमजोर, गिरते ही फ्रैक्चर, पहचान लीजिए लक्षण Agra News
World Osteoporosis Day: हड्डियां हो रहीं कमजोर, गिरते ही फ्रैक्चर, पहचान लीजिए लक्षण Agra News

आगरा, अजय दुबे। हड्डियां कमजोर हो रही हैं, गिरते ही फ्रैक्चर हो रहा है। 60 साल की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस के केस लगातार बढ़ रहे हैं। महिलाओं में समस्या तेजी से बढ़ी है।

loksabha election banner

आराम तलब जिंदगी, फास्ट फूड का सेवन और धूप में ज्यादा देर न रहने से हड्डियां कमजोर होने लगी हैं। हड्डियों में कैल्शियम और अन्य तत्वों की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ने लगी है। बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) कम होने के साथ ही हड्डी पतली हो रहीं हैं। महिलाओं में मीनोपॉज के बाद हार्मोन के असंतुलन से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ रही है। इससे बचने के लिए अस्थि रोग विशेषज्ञ लोगों को 50 साल की उम्र के बाद पौष्टिक आहार लेने के साथ ही नियमित व्यायाम करने को प्रेरित कर रहे हैं।

क्‍या है ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस को खोखली हड्डियों की बीमारी भी कहते हैं। ऐसी बीमारी, जिसमें हड्डियों की मजबूती और घनत्व कम होता जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण बोन मास (घनत्व) कम हो जाता है और हड्डियां भुरभुरी हो जाती हैं। दरअसल हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। बढ़ती उम्र, पल्यूशन व बदलती लाइफ स्टाइल के साथ ये पोषक तत्व कम होने लगते हैं, जिससे हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि छोटी-सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है। फ्रैक्चर ज्यादातर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं।

महिलाएं ज्यादा होती हैं इस बीमारी की शिकार

ऑस्टियोपोरोसिस चालीस की उम्र के बाद महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करती है। एक रिसर्च के मुताबिक दुनियाभर में हर 3 में 1 महिला और 8 में एक पुरुष इस बीमारी से पीड़ित हैं। महिलाओं में इस बीमारी के ज्यादा होने की एक बड़ी वजह मीनोपॉज है। महिलाओं के शरीर में कुछ ऐसे हॉर्मोंस होते हैं, जो उन्हें इस बीमारी से दूर रखते हैं, लेकिन बढ़ती उम्र में जब इन हॉर्मोंस का बनना कम होने लगता है तो बीमारी की आशंका भी बढ़ जाती है। इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट स्तनपान को भी इसकी वजह मानते हैं। मां बनने के बाद महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान करवाती हैं, जिससे उनके शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है। कई बार खान-पान पर ध्यान न देने के कारण भी उस कमी की भरपाई नहीं हो पाती, जिससे आगे चलकर दिक्क्तें होने लगती हैं। महिलाओं में 45 से 50 साल और पुरुषों में 55 साल के आसपास इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी से मीनोपॉज के बाद यह समस्या ज्यादा आम है। यह हॉर्मोन महिलाओं को हड्डियों के साथ-साथ दिल की समस्या से भी बचाता है। हालांकि, कई बार पीरियड्स जल्द खत्म होने या किसी और हॉर्मोन के डिसबैलेंस की वजह से हड्डियां जल्दी कमजोर होने लगती हैं।

40 की उम्र के बाद करवाएं बीडीटी

अगर आपकी उम्र 40 के पार है और कमर दर्द, शरीर में दर्द या हल्की चोट पर भी फ्रैक्चर होने की शिकायत है तो बोन डेंसिटी टेस्ट (बीडीटी) करवाएं। इसे डेक्सास्कैन कहते हैं। डेक्सा का मतलब ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्सॉर्पटीओमेट्री है। इस तरह के स्कैन को एडीएक्सए स्कैन भी कहा जाता है। केवल दर्द की आम समस्या है तो भी विशेषज्ञ की सलाह से टेस्ट करवा लेना चाहिए। जरूरी नहीं है कि हर दर्द ऑस्टियोपोरोसिस या ऑर्थराइटिस का ही हो, लेकिन टेस्ट से भविष्य की समस्याओं से बचा जा सकता है।

ये होते हैं मुख्य कारण

- जेनेटिक फैक्टर

- प्रोटीन, कैल्शियम, शरीर में

- विटामिन डी की कमी

- बढ़ती उम्र भी है एक वजह

- बच्चों का बहुत ज्यादा सॉफ्ट

- ड्रिंक्स पीना

- स्मोकिंग

- डायबीटीज, थायरॉइड जैसी बीमारियां

- दवाएं (दौरे की दवाएं, स्टेरॉयड आदि)

- महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होना या मीनोपॉज की स्थिति

कैसी लें डायट

प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर डाइट लें। प्रोटीन के लिए फिश, सोयाबीन, स्प्राउट्स, दालें, मक्का और बीन्स आदि को खाने में शामिल करें। कैल्शियम के लिए दूध और दूध से बनी चीजें जैसे पनीर, दही ज्यादा खाएं।

ऐसे करें पहचान

- शरीर में लगातार थकावट

- हाथ-पैरों में दर्द

- कमर में दर्द

- छोटी-सी चोट पर हड्डियों का टूट जाना

- मॉर्निंग सिकनेस

- काम की इच्छा न करना

ये सावधानियां बरतें

- खाने में कैल्शियम और प्रोटीन युक्त पदार्थों को शामिल करें।

- हर रोज कम से कम 15-20 मिनट धूप में जरूर बैठें।

- हर रोज कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। चाहें तो - आउट डोर गेम्स भी खेल सकते हैं।

- स्मोकिंग और शराब से दूर रहें।

- समस्या होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें। खुद अपने डॉक्टर न बनें। समस्या गंभीर होने पर ज्यादा परेशानियां हो सकती हैं।

- मीनोपॉज होने पर महिलाएं समय-समय पर अपनी जांच करवाएं, ताकि बीमारी से बचा जा सके।

ऑस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस में होता है फर्क

ऑस्टियोपोरोसिस का मतलब होता है बोन मास में कमी के कारण हड्डियों का कमजोर हो जाना, जिससे हड्डियां जरा-सी चोट लगने पर टूट जाती हैं। वहीं, आर्थराइिटस जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थ के खत्म हो जाने की बीमारी है, जिससे जोड़ों में दर्द और सूजन रहती है। वैसे तो आर्थराइटिस को बुढ़ापे की बीमारी कहा जाता था, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक अब युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं।

शरीर में कैल्शियम कितना जरूरी है

शरीर का 99% कैल्शियम हड्डियों में स्टोर रहता है और उसी से जरूरत के हिसाब से खून में घुलकर अंगों में पहुंचता रहता है। खून में कैल्शियम की मात्रा 8.5 से 10.2 डेसी लीटर बनाए रखना जरूरी है। इससे ज्यादा या कम दोनों स्थितियां शरीर पर बुरा असर डालती हैं। कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूती देने के अलावा तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के ठीक ढंग से काम करने से लेकर खून जमने तक में बड़ी भूमिका निभाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक हर दिन शरीर को इतना कैल्शियम चाहिए होता है :

19-50 साल : 800-1000 मिलीग्राम

51-70 साल : 1000-2000 मिलीग्राम

71 साल से ऊपर : 1200-2000 मिलीग्राम

गर्भवती महिलाएं : 1500-2000 मिलीग्राम

इलाज और एक्सरसाइज दोनों जरूरी

ऑस्टियोपोरोसिस से बचने और इसके इलाज, दोनों के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी सबसे जरूरी है। जिस एरिया पर बार-बार स्ट्रेस पड़ेगा, वहां कैल्शियम और मिनरल ज्यादा बनेंगे, जिससे हड्डियां मजबूत होंगी। वॉकिंग एक बेहतरीन एक्सरसाइज है। कोशिश करें कि महिलाएं रोज 45 मिनट तक चलें। इसके अलावा जंपिंग, स्किपिंग, जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग के साथ गेम्स भी खेले जा सकते हैं।

विशेषज्ञों की राय

आराम तलब जिंदगी, फास्ट फूड का सेवन करने से कैल्शियम की कमी हो रही है, इससे 50 साल की उम्र के बाद ऑस्टियोपोरोसिस के केस देखने को मिल रहे हैं। 60 साल की उम्र के बाद समस्या तेजी से बढ़ी है।

डॉ. सीपी पाल, विभागाध्यक्ष अस्थि रोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज

60 साल की उम्र के बाद फ्रैक्चर के 80 फीसद केस में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या मिल रही है, इस तरह के केस महिलाओं में बढ़े हैं। दूध सहित प्रोटीन रिच डायट लेनी चाहिए। साथ ही सुबह 30 मिनट से एक घंटा धूप में जरूर बैठें।

डॉ. डीवी शर्मा, अस्थि रोग विशेषज्ञ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.