Pulwama Terror Attack: वीर सपूत की शहादत पर गमजदा हुई ताजनगरी, बेटे ने दी मुखाग्नि
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल किशोर रावत का हुआ अंतिम संस्कार। जनसमुद्र ने बहाए शहादत पर आंसू।
आगरा, जागरण संवाददाता। आंखें आंसुओं से भीग रही थीं तो सीने में बदले की आग धधक रही थी। हां, बेशक गर्व था अपने लाल पर लेकिन उसे खोने का गम भी कम न था। ताजमहल का शहर आज बेहद गमजदा था...।
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की बस पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कहरई पहुंचा। शमसाबाद रोड पर स्थित गांव में भोर से ही पूरा शहर उमड़ पड़ा था। हजारों शहरवासी शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए। परिजन बिलख रहे थे। आम हो या खास हर कोई भीगी आंखों से परिजनों को सांत्वना देने का प्रयास कर रहे थे।
शहीद के निवास से जैसे ही उनकी अंतिम यात्रा आरंभ हुई भारत माता की जय, भारत माता जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगते रहे। सीआरपीएफ के जवानों ने बंदूकों के साथ अंतिम सलामी दी। इसके बाद शहीद के बड़े बेटे अभिषेक ने मुखाग्नि दी।
विधायक हेमलता दिवाकर सहित अन्य पार्टियों के नेता भी मौजूद थे। पुलिस और सेना के जवान गर्व के साथ अपने वीर साथी को सलामी दे रहे थे। तिरंगे में लिपटा शहीद कौशल कुमार रावत को पार्थिव शरीर देखकर लोगों ने गम और गुस्से का इजहार किया। हरेक की जुबान पर बस एक ही बात थी खून का बदला खून।
आक्रोश की ज्वाला उस वक्त और अधिक ज्वलित हुई जब शहीद का बेटा विकास शव वाहन पर चढ़कर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे और वंदे मातरम के जयघोष लगाने लगा। बस अब और नहीं आर पार की लड़ाई हो, 40 की जगह 400 से वीर सपूतों की शहादत की भरपाई हो...ये मांग हर ओर से उठ रही थी।
मंत्री ने दी सहायता की घोषणा
शुक्रवार को प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल शहीद के परिजनों से मिलने पहुंचे थे। परिजनों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश देते हुए 25 लाख रुपये की मदद की घोषणा की। परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी।
बैंड बाजों से दी गई अंतिम विदाई
शहीद कौशल कुमार को अंतिम विदाई देने के लिए बैंड भी पहुंचे। देशभक्ति गीतों की धुन बजाते हुए अंतिम यात्रा में बैंड भी चल रहे थे।
घर की छतों से बरसे फूल, शामिल हुईं महिलाएं
शहीद की अंतिम यात्रा पर फूल बरसाने के लिए क्षेत्र में लोग घरों पर चढ़ गए थे। उधर परंपराएं तोड़ते हुए महिलाएं भी अंतिम यात्रा में शामिल हुईं।
दो दिन पहले ही पहुंचे थे कौशल
पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत दो दिन पहले ही सिलीगुड़ी से तबादले पर जम्मू पहुंचे थे। कौशल कुमार रावत वर्ष 1990 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। 47 वर्षीय कौशल कुमार केंद्रीय अर्ध सैनिक बल में नायक थे। गुरुवार शाम को उनके शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। कौशल की पत्नी ममता और बच्चे गुरुग्राम में रहते हैं। कौशल 15 साल पहले गुरुग्राम में एनएसजी कमांडो थे। तभी से परिवार वहां रहने लगा था। शुक्रवार को परिजन गांव पहुंच गए थे। कहरई में उनके पिता गीताराम, मां धन्नो देवी और भाई कमल कुमार का परिवार रहता है।