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Pulwama Terror Attack: रावत परिवार के अभी बीस और 'कौशल' देश की सेवा में हैं जुटे हुए

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल किशोर रावत के परिवार सहित गांव के दो सौ से अधिक लोग पुलिस, सेना, सीआरपीएफ आदि में कार्यरत।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 03:08 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 03:08 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: रावत परिवार के अभी बीस और 'कौशल' देश की सेवा में हैं जुटे हुए
Pulwama Terror Attack: रावत परिवार के अभी बीस और 'कौशल' देश की सेवा में हैं जुटे हुए

आगरा, जागरण संवाददाता। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे गांव के अकेले सपूत नहीं हैं। उनके परिवार के 20 लोग देश की सेवा में कार्यरत हैं।

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शहर से सटे कहरई गांव भले ही इस वक्त गम में डूबा है लेकिन गर्व इस गांव के हर बाशिंदे के चेहरे पर है। ऐसा हो भी क्यों न। ताजगंज क्षेत्र के कहरई गांव की आबादी करीब 8 हजार की है। शहीद कौशल कुमार रावत का परिवार काफी बड़ा है। गांव के दो सौ से अधिक लोग सेना, सीआरपीएफ, पीएसी और पुलिस में तैनात हैं। इनमें अकेले कौशल के परिवार के बीस लोग हैं।

कौशल कुमार के अंदर भी देश की सेवा का जज्बा बचपन में से ही था। परिवार में काफी लोग सेना, सीआरपीएफ और अन्य सेवाओं में हैं। ऐसे में बचपन से ही वह भी फौज में भर्ती होना चाहते थे। उनके रिश्ते में चचेरे भाई और सेना से रिटायर हुए आशाराम कौशल के बेहद करीबी थे। गांव में जब कौशल आते थे, तो उनसे ही सबसे ज्यादा बात होती थी। ड्यूटी के दौरान भी फोन पर उनसे बात करते थे। आशाराम बताते हैं कि वह बचपन से ही फौज में भर्ती होना चाहते थे। 1990 में जब वह सीआरपीएफ में भर्ती हुए तो गर्व से सीना चौड़ा था, गांव में घूम-घूमकर कहते थे कि अब मैं भी देश की सेवा करूंगा। ये कहते -कहते आशाराम की आंखों से आंसू में आ गए। बोले, आखिर देश की रक्षा में ही हमारा लाल शहीद हो गया।

गांव के स्कूल से एमडी जैन तक पढ़ाई

कौशल ने शुरुआती पढ़ाई गांव के प्राथमिक स्कूल से की। इसके बाद हाईस्कूल तक पढ़ाई शहर के एमडी जैन इंटर कॉलेज से की। बाद में उनकी सीआरपीएफ में नौकरी लग गई।

मां होली पर आऊंगा...

जिस बेटे कौशल को नौ माह तक गर्भ में पाला, फोन पर जब उसकी आवाज सुनी तो बुजुर्ग धन्नो देवी की आंखें खुशी से चमक उठीं। कौशल ने एक दिन पहले ही कहा था, मां में होली पर गांव आऊंगा। बस बेटे के यही शब्द मां और छोटे भाई कमल के कानों में अब तक गूंज रहे हैं।

अंतिम पोस्टिंग बन गया कश्मीर

कौशल कुमार की सिलीगुड़ी में सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में नायक के रूप में तैनाती थी। 15 दिन पहले उनका तबादला जम्मू-कश्मीर की 115 बटालियन में हुआ था। 12 फरवरी को उन्होंने जम्मू में ज्वॉइन किया था। अगले ही 13 फरवरी को दिन में करीब 11 बजे कौशल ने छोटे भाई कमल कुमार को फोन किया। कमल को बताया कि 12 को ज्वॉइन कर लिया है, अब उन्हें पोस्टिंग मिलेगी। फिर कौशल ने मां से बात करने की इच्छा जताई। मां धन्नो देवी से फोन पर कहा कि मां मैं होली पर छुïट्टी में आऊंगा। ये शब्द सुनकर मां की आंखों में खुशी छलक उठी। बस यही लाल के आखिरी शब्द थे, जो अब तक मां और भाई के कानों में गूंज रहे हैं। उन्हें क्या पता था जिस भाई से वह फोन पर बात कर रहे हैं, उन्हीं की शहादत की 32 घंटे बाद खबर मिलेगी।

27 साल देश की सेवा

कौशल कुमार वर्ष 1990 में भर्ती हुए थे। उन्होंने 27 साल तक देश की सेवा की। उनकी शादी 1991 में फतेहपुर के जाजऊ गांव की ममता से हुई थी। अजमेर में पहली गल्र्स बटालियन की स्थापना के बाद वहां भी उनकी तैनाती रही। उन्होंने महिला कमांडो को भी प्रशिक्षित किया।


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