साल दर साल जानिए किसी सीट से खिसकती गई कांग्रेस की जमीन और डूबी नैया
वर्ष 2002 में विधानसभा के बाद लोकसभा और पालिका में भी मिली जीत।
आगरा, जेएनएन। वर्ष 2002 में मथुरा में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के सांसद और पालिकाध्यक्ष भी चुने गए। इन जीत के बाद कांग्रेस की जमीन खिसकना शुरू हुई और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के साथ सूखे में बदल गई।
वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में मानवेंद्र और 1985 के विधानसभा चुनाव में प्रदीप माथुर को जीत मिली थी। इसके बाद कांग्रेस को जीत के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। वर्ष 2002 में प्रदीप माथुर एक बार मथुरा-वृंदावन विधानसभा क्षेत्र से विजयी हुए। इस जीत के बाद कांग्रेस के ग्राफ में वृद्धि हुई। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह फिर से कांग्रेस से सांसद बन गए। जीत का यह सिलसिला रुका नहीं। वर्ष 2006 में नगर पालिका चुनाव के अध्यक्ष पद पर श्याम सुंदर उपाध्याय को जीत मिली।
वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव में मानवेंद्र की हार हुई। 2014 में कांग्रेस का रालोद से गठबंधन हुआ। इस चुनाव में भी गठबंधन हार गया। श्याम सुंदर उपाध्याय के पालिकाध्यक्ष बनने के बाद हुए पालिका और निगम के चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को शहरी क्षेत्र में प्रदीप माथुर ने जिंदा रखा और 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदीप माथुर को भी शिकस्त मिली और एक बार फिर मथुरा में कांग्रेस के लिए सूखा पड़ गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस को मथुरा में किसी चमत्कार की उम्मीद हैं।