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अक्षय नवमी 2108: रास्ते के कंकड़ और पांव के छाले भी न डिगा सके अक्षय पुण्य कमाने का मन

सुबह की पहली भोर के साथ ही शहर में दिखा सैलाब। नंगे पांव पत्थर-कंकड़ की परवाह किए बगैर दी परिक्रमा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 01:47 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 01:47 PM (IST)
अक्षय नवमी 2108: रास्ते के कंकड़ और पांव के छाले भी न डिगा सके अक्षय पुण्य कमाने का मन
अक्षय नवमी 2108: रास्ते के कंकड़ और पांव के छाले भी न डिगा सके अक्षय पुण्य कमाने का मन

आगरा, जेएनएन: भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में शनिवार की सुबह बेहद खास थी। जब कई लोग सोकर भी नहीं उठे, तब तक हजारों लोग हरे कृष्णा- हरे राम का संकीर्तन कर परिक्रमा कर रहे थे। यमुना मां में स्नान कर कारवां आगे बढ़ता जा रहा था। मंदिरों में दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी।

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अक्षय नवमी पर अक्षय पुण्य कमाने को शहर में कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। सुबह की पहली भोर के साथ सड़कों पर आस्था का सागर उमड़ पड़ा। जहां तक नजर जा रही थी, वहीं आस्था दिख रही थी। हालांकि इस पंचकोसीय परिक्रमा देने के लिए एक दिन पहले से भक्तों ने शुरुआत कर दी थी, लेकिन मुख्य दिन आज था। दूर- दूराज से आए लोगों ने सरकारी अव्यवस्थाओं की परवाह किए बगैर बस भक्ति को प्राथमिकता दी। नंगे पांव पत्थर- कंकड़ की परवाह किए बगैर बस निरतंर भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ती जा रही थी आस्था। इस दौरान यमुना के घाटों पर भी बेहद विहंगम नजारा था, लोगों ने स्नान और दान कर पुण्य कमाया। साथ ही साथ मंदिरों के भी दर्शन किए। भूतेश्वर, चामुंडा, रंगेश्वर, गोकर्णनाथ, पीपलेश्वर, महाविद्या, कंकाली आदि पर मंदिरों पर मेले का माहौल नजर आया। वहीं, भक्तों ने आंवला वृक्ष की पूजा की।

श्रद्धालुओं से पटे रहे ये मार्ग

विश्राम घाट, बंगाली घाट, अंबाखार, जनरल गंज, डैंपियर नगर, ब्रज नगर, बीएस कॉलेज, कंकाली, भूतेश्वर, पोतराकुंड, गोङ्क्षवद नगर, सरस्वती कुंड, चामुंडा, गायत्री, तपोभूमि, गोकर्ण नाथ, मोक्षधाम, गऊघाट, कंस किला जैसे मार्ग श्रद्धालुओं से पटे रहे।

अक्षय नवमी का क्या है महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देने वाला होता है। आंवला नवमी का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन- गोकुल छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था। ज्योतिषाचार्य डॉ. शोनू मेहरोत्रा के अनुसार आंवला नवमी का व्रत संतान और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। अगर पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो उन्हें इसका दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है।

आंवला वृक्ष की करते हैं पूजा

इस दिन सुबह स्नानादि के बाद किसी आंवला वृक्ष के पास साफ-सफाई कर वृक्ष की पूजा की जाती है। जड़ में शुद्ध जल व कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। फिर विविध पूजन सामग्री से विधिवत पूजा कर आंवला वृक्ष की परिक्रमा करते हुए उसके तने में कच्चा सूत या मौली लपेटा जाता है। परिवार की सुख समृद्धि की कामना की जाती है। परिवार के सभी सदस्य व मित्रों संग आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन भी किया जाता है। इस दिन आंवल फल के सेवन का खास महत्व बताया गया है। ज्योतिषाचार्य डॉ. शोनू बताती हैं कि आयुर्वेद में आंवला को आयु और आरोग्यवर्धक कहा गया है। अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा कर उसके नीचे बैठकर भोजन करने का बड़ा ही महत्व है। माना गया है कि इससे व्यक्ति को आरोग्य लाभ होता है।


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