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आलू भाड़ा तय करने को जुटे किसान आपस में भिड़े

जागरण संवाददाता, आगरा: आलू कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा तय करने के उद्देश्य से बैठक में आए किसान अफसरों के

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jul 2017 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jul 2017 07:56 PM (IST)
आलू भाड़ा तय करने को जुटे किसान आपस में भिड़े
आलू भाड़ा तय करने को जुटे किसान आपस में भिड़े

जागरण संवाददाता, आगरा: आलू कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा तय करने के उद्देश्य से बैठक में आए किसान अफसरों के सामने ही आपस में टकरा गए। गुत्थम-गुत्था व अपशब्दों के बीच बगैर किसी निर्णय के बैठक समाप्त हो गई। अफसरों ने रेट तय करने के मामले में शासन को पत्र लिखने का निर्णय लिया है।

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पिछले दिनों विकास भवन में हुई किसान गोष्ठी में यह मसला प्रमुखता से उठा था। इसलिए सीडीओ रविंद्र कुमार ने शनिवार को विकास भवन में आलू उत्पादक किसानों और कोल्ड स्टोरेज स्वामियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में किसानों का कहना था कि एक कुंतल आलू रखने पर कोल्ड स्टोरेज का खर्चा केवल 80 रुपये आता है, लेकिन स्टोरेज स्वामी किसानों से 220 रुपये वसूल करते हैं। आसपास के जनपदों में यह रेट आगरा से कम है। इसलिए यहां भी रेट कम हो। बैठक में कुछ किसानों ने कोल्ड स्टोरेज स्वामियों का पक्ष लेने की कोशिश की तो बाकी किसान आक्रोशित हो गए और पक्ष लेने वाले किसानों को दलाल बताने लगे। नाराज किसानों का कहना था कि ऐसे किसानों के कारण ही आलू किसानों का भला नहीं हो रहा है। कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का भाड़ा सरकार तय करे। कोल्ड स्टोरेज स्वामी हर साल 20-30 रुपये बढ़ा देते हैं। कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के समय ये बैंकों से किसानों के हित के नाम पर 1.20 करोड़ की सब्सिडी लेते हैं, लेकिन किसान हित के नाम पर ये कुछ नहीं करते। कोल्ड स्टोरेज स्वामी आलू भंडारण का बीमा नहीं कराते। कोल्ड स्टोरेज में आलू सड़ने पर ये इसके एवज में पैसा किसानों को नहीं देते। कोल्ड स्टोरेज स्वामी हर तरह से किसानों को परेशान करते हैं। हंगामे के दौरान परियोजना निदेशक व कार्यवाहक सीडीओ अवधेश कुमार वाजपेयी, जिला उद्यान अधिकारी अनीता सिंह ने किसानों को मनाने की कोशिश की। अफसरों का कहना था कि कोल्ड स्टोरेज स्वामी और किसान दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। लेकिन बात नहीं बनी। गुत्थम-गुत्था के बीच किसान बैठक का बहिष्कार कर बाहर आ गए और इसके बाद बैठक समाप्त हो गई। कार्यवाहक सीडीओ श्री वाजपेयी ने बताया कि रेट तय करने का प्रत्यावेदन शासन को भेजा जाएगा, ताकि यहां विवाद समाप्त हो सके। राम हरि प्रधान, बंगाली बाबू अरेला, लाखन सिंह त्यागी, पुष्पेंद्र जैन, राम बहादुर शर्मा, विजेंद्र सिंह और यमुना प्रसाद समेत काफी संख्या में किसान थे।

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