मकसद में विफल 'हाउस होल्ड सर्वे'
जागरण संवाददाता, आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग के हाउस होल्ड सर्वे के मकसद को शिक्षक ही विफल कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग के हाउस होल्ड सर्वे के मकसद को शिक्षक ही विफल कर रहे हैं। हाउस होल्ड सर्वे और स्कूलों में वंचित छात्रों का दाखिला होता तो हैं, लेकिन महज कागजों में। क्योंकि सर्वे में चिह्नित किए गए बच्चों में से 50 फीसद से ज्यादा बच्चे सालाना परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं। दाखिला कराने के चंद दिन बाद ही ये बच्चे स्कूल आना बंद कर देते हैं। और शिक्षक इन छात्रों को भुला देते हैं। उनके स्कूल न आने के कारणों को जानने की कोशिश नहीं की जाती है।
जानकार कहते हैं कि सरकार हर साल हाउस होल्ड सर्वे कराती है। इसमें हर साल अनिवार्य शिक्षा से वंचित करीब चार हजार बच्चों को चिह्नित किया जाता है। विभागीय अफसर बताते हैं कि शिक्षक वंचित छात्रों का दाखिला करा देते हैं। इससे संबंधित स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ जाती है और शिक्षकों की तैनाती बनी रहती है। हालांकि इन बच्चों में नियमित रूप से स्कूल कुछ ही बच्चे आते हैं। स्कूल न आने के पीछे सभी के जुदा कारण हैं। कोई भी शिक्षक इसकी वजह जानने और उन्हें स्कूल बुलाने को प्रयास नहीं करता। इसका परिणाम यह होता है कि चिह्नित बच्चों में महज 50 फीसद बच्चे ही पढ़ने आते हैं। और शेष 50 फीसद बच्चे स्कूल ड्रॉप कर देते हैं। इस बार हाउस होल्ड सर्वे में चार हजार बच्चे चिह्नित किए गए हैं। एबीएसए राजेश चौधरी कहते हैं कि कुछ बच्चे पारिवारिक परिस्थिति और अन्य कारणों के चलते बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों की उपस्थिति पर ध्यान दें। बच्चा नियमित स्कूल आएगा, तभी उसका पढ़ाई में मन लगेगा।
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-दिव्यांग बच्चों का भी यही हाल
आगरा: दिव्यांग बच्चों का भी हर साल सर्वे होता है, इस साल 3417 दिव्यांग बच्चे चिह्नित किए गए हैं। 2016 में 3398, 2015 में 3644 और 2013 में 3749 दिव्यांग बच्चे चिह्नित किए गए। जो कि 14 साल तक के हैं। ये स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। इनमें से 50 फीसद से ज्यादा बच्चों ने दाखिले के बाद स्कूल ड्रॉप कर दिया। समेकित शिक्षा के जिला समन्वयक कुलदीप तिवारी कहते हैं कि दाखिला के बाद तमाम दिव्यांग बच्चे स्कूल ड्रॉप कर लेते हैं।
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