सिख धर्म में गुरु अर्जुन देव की पहली शहादत
जागरण संवाददाता, आगरा: सिखों के पाचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी पर्व सोमवार को गुरुद्वारों में श्रद्
जागरण संवाददाता, आगरा: सिखों के पाचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी पर्व सोमवार को गुरुद्वारों में श्रद्धा से मनाया गया। सुबह श्री अखंड साहिब का भोग और शर्बत की प्याऊ लगाई गई।
गुरुद्वारा गुरु का ताल पर हजूरी रागी कुलदीप सिंह कोमल ने 'तेरा कीया मीठा लागे, हरि नाम पदार्थ नानक मागे' का गायन किया। उन्होंने बताया कि जहांगीर के आदेश पर चंदू दीवान ने गुरु को ज्येष्ठ के महीने में खौलते देग पर बैठाया और तपते तवे पर बैठा गर्म रेत शरीर पर डाली गई परंतु शान्ति के पुंज अत्याचारों से नहीं डिगे। ज्ञानी स्वर्ण सिंह ने कहा की गुरु अर्जुन देव की सिख धर्म में पहली शहादत हुई थी। इसलिए उन्हें शहीदों का सरताज कहा जाता है। ज्ञानी केवल सिंह ने भी उनके बारे में जानकारी दी। गुरुद्वारा गुरु के ताल के बाहर बड़ी छबील लगाई गई। मीठे शर्बत और छोले का वितरण किया गया। सेंट्रल जेल पर कैदियों के लिए छबील लगाई गई। मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह, मास्टर गुरनाम सिंह, बन्टी ग्रोवर, अजायब सिंह टीटू, सुन्दर सिंह, भूपेंद्र सिंह, हरजिंदर सिंह, राजवीर सिंह, गुरमीत गिल, महंत हरपाल सिंह आदि थे।
गुरूद्वारा माईथान में कीर्तन दरबार सजाया गया। मुख्य ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने श्री गुरू ग्रंथ साहब के हुकुमनामे के साथ दीवान की शुरूआत की। पहली बार यहां आए रागी गुरप्रीत सिंह, सुखमनी सेवा सभा के महेंद्र पाल सिंह, ज्ञानी ओंकार सिंह, इंद्रजीत सिंह दिलबाग और अंकित सिंह ने शबद-कीर्तन की धारा प्रवाहित की। छबील और खान-पान के स्टाल लगाए गए। कंवलदीप सिंह, ज्ञानी कुलविंदर सिंह, पाली सेठी, परमात्मा सिंह, देवेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, सन्नी, वात्सल्य उपाध्याय, कुमार ललित मौजूद रहे।