रंगलोक में बिखरे सुंगना रंग
जागरण संवाददाता, आगरा: पिता की मृत्यु के बाद सुगना के सपने चूर हो गए। कठपुतली वाले अधेड़ के साथ शादी
जागरण संवाददाता, आगरा: पिता की मृत्यु के बाद सुगना के सपने चूर हो गए। कठपुतली वाले अधेड़ के साथ शादी होने पर सुगना भी कठपुतली जैसी हो गई। नाटक के जरिये राजस्थान में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं को नाटक के जरिये प्रस्तुत किया गया तो दर्शकों की जमकर तालियां बजी।
शनिवार को रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान ने मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल की अध्ययन अनुदान योजना के तहत एकल नाट्य प्रस्तुति वनभारती का मंचन सूर सदन प्रेक्षागृह में किया। गरिमा मिश्रा द्वारा अभिनीत वनभारती मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी कठपुतली पर आधारित थी, जबकि परिकल्पना युवा रंगकर्मी सारांश भट्ट ने की।
वनभारती राजस्थान की पृष्ठभूमि में एक महिला किरदार सुगना की कहानी है। पिता की मृत्यु के बाद आर्थिक तंगी की हालत में सुगना की शादी कुछ रुपयों की खातिर अधेड़ उम्र के कठपुतली वाले रामकिशन से कर दी जाती है। समय के साथ सुगना के सपने- इच्छाएं धुंधली पड़ जाती है। वो एक कठपुतली की तरह दूसरों की इच्छाओं पर नाच रही है। सुगना महसूस करती है कि धीरे- धीरे कठपुतलियां उसके भीतर समाती जा रही है। सुगना की जिदंगी में नया मोड़ तब आता है, जब उसकी मुलाकात कुलधरा की बाबडी के पास जोगी से होती है। कहानी का अंत सुगना को एक ऐसी अग्नि परीक्षा के पास लाकर खड़ा कर देता है, जहां मर्यादाएं, सामाजिक जड़ताएं एक स्त्री के लिए कोई रास्ता नहीं छोड़ती। यह प्रस्तुति उस समय और भी प्रासंगिक हो जाती है, जब राजस्थान के दूर-दराज इलाकों में बेटी-मां के बेचने की खबरें लगातार समाज का वीभत्स चेहरा सामने ला रही हैं।
सुगना के भीतर उठते-गिरते मनोभावों को सधे संवादों के साथ गरिमा ने सशक्त रूप से दर्शकों के सामने रखा। संगीत संचालन दुर्गेश प्रताप सिंह, नितेश ऐसवाल का रहा, जबकि गिटार पर प्रशांत सिंह रहे। प्रकाश परिकल्पना- संचालन सारांश भट्ट, प्रकाश प्रबंध अख्तर अली, मंच प्रबंध शैलेंद्र यादव, मुदित शर्मा, विकास गौतम, मंच सामग्री रोहित राठौर, मोहन शर्मा ने किया। पूजा बघेल, आकांक्षी खन्ना, श्रुति भटनागर ने फोटो गैलरी सजाई। प्रस्तुति संयोजन रंगलोक के निदेशक डिम्पी मिश्रा की थी।