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उगेंगे नए सूरज, होंगे नए सवेरे

जागरण संवाददाता, आगरा: 'और भी जहां हैं इस जहां से आगे। अभी उगेंगे नए सूरज और होंगे नए सवेरे।' शुक्र

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Apr 2017 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 21 Apr 2017 09:54 PM (IST)
उगेंगे नए सूरज, होंगे नए सवेरे
उगेंगे नए सूरज, होंगे नए सवेरे

जागरण संवाददाता, आगरा: 'और भी जहां हैं इस जहां से आगे। अभी उगेंगे नए सूरज और होंगे नए सवेरे।' शुक्रवार को ¨हदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड कंप्यूटर स्टडीज कॉलेज में दैनिक जागरण के सात सरोकार की कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने जनहित की मुहिम से जुड़ने का जो उत्साह दिखाया, उसने 'जितने सूरज और उतने सवेरे' की सोच को और विस्तार दिया। विशेषज्ञों ने समस्या से सुलह के बजाए समाधान खोजने को प्रेरित किया। विद्यार्थियों से लक्ष्य तय करने और उसे पाने तक सतत परिश्रम करने की राह दिखाई। ये भी कहा कि आइडिया जितना आसान होगा, अमली रूप देना उतना ही मुश्किल होगा।

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कार्यशाला के आरंभ में गांधी फेलोशिप पाने वाले सोशल इंटरप्रिन्योर राजेश राम ने छात्र-छात्राओं को जनहित से जुड़े जागरण के सात सरोकारों (गरीबी उन्मूलन, जल संरक्षण, जनसंख्या नियोजन, नारी सशक्तीकरण, पर्यावरण संरक्षण, सुशिक्षित समाज और स्वस्थ समाज) की विस्तार से जानकारी दी। इसका मकसद विद्यार्थियों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के साथ सोशल इंटरप्रिन्योरशिप के लिए प्रेरित करना था। राजेश राम ने समस्याओं से सुलह करने की जगह उनका समाधान ढूंढने को कहा। उनका कहना था कि समस्याओं को सुलझाने या दूर करना सिर्फ सरकार की ही नहीं, समाज की भी जिम्मेदारी है। अशिक्षा, दूषित पेयजल, प्रदूषण, भुखमरी आदि समस्याओं को लेकर छात्रों का क्या नजरिया है? इससे निपटने को उनके पास क्या आइडिया है? विद्यार्थियों ने अपने-अपने सुझाव दिए।

नासा के पूर्व वैज्ञानिक और 'इंडिया राइजिंग' संस्था के संस्थापक डॉ. आनंद राय ने कार्यशाला में बताया किस तरह वह अपने स्तर से छोटी शुरुआत करके उसे व्यापक मुहिम का रूप दे सकते हैं। वह दस साल पहले अमेरिका से लौटे। तीन साल पहले कुछ साथियों के साथ मिलकर शहर का कूड़ा साफ करने का बीड़ा उठाया। शुरुआत में चंद लोग ही उनसे जुड़े, लेकिन जनहित से जुड़ी होने के चलते मुहिम के लिए कुछ ही समय में कारवां बढ़ता गया। उनका कहना था कि कोई मकसद ठान लें और ईमानदारी से करें तो परिणाम जरूर मिलता है।

सोशल इंटरप्रिन्योर अनीश मुखर्जी ने जागरण के सात सरोकारों को सोशल इंटरप्रिन्योरिशप का हिस्सा बताया। विद्यार्थियों से रूबरू अनीश का कहना था पुरानी समस्याओं को अनूठे तरीके से सुलझाने की कला ही सोशल इंटरप्रिन्योरशिप है। इसके लिए उन्होंने ओला कैब समेत कई माध्यमों का उदाहरण दिया, जो पुरानी होने के साथ ही जनहित से जुड़ी हैं। अनीश ने बताया कि आइडिया जितना आसान है, उसे अमलीजामा पहनाना उतना ही मुश्किल है। यह तभी आसान हो सकता है जब आपका प्रयास ईमानदारी भरा हो।

कार्यशाला के दौरान सोशल इंटरप्रिन्योरशिप के विशेषज्ञ वक्ताओं के साथ विद्यार्थियों का संवाद काफी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने 'जनहित जागरण' से जुड़े सात सरोकारों को लेकर अपने विचार रखे। साथ ही आइडिया भी पेश किए, जिससे कि वह समाज में सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बन सकें।

इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मास्टर आफ कंप्यूटर अप्लीकेशन (एमसीए) के विभागाध्यक्ष एनके मिश्रा ने अनीश मुखर्जी, डिप्टी हेड (एमबीए) शांतनु साहू ने डॉ. आनंद राय और दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी अवधेश गुप्त ने राजेश राम को बुके प्रदान किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. अभिलाषा सिंह, रिजू अग्रवाल, कपिल चौधरी, विवेक, प्रशांत शर्मा, विवेक पांडे उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन स्वाति सक्सेना ने किया।

सोशल इंटरप्रिन्योरशिप के लिए 'जागरण' देगा मदद

'जनहित जागरण' से जुड़े राजेश राम ने विद्यार्थियों को बताया कि यदि सात सरोकारों से संबंधित उनके पास यूनिक आइडिया है तो 'जागरण' इसे साकार करने के लिए दस लाख रुपये की आर्थिक मदद देगा। प्रोजेक्ट या आइडिया ज्यूरी पैनल द्वारा चयनित किया जाएगा। मदद तीन हिस्सों में तीन साल तक दी जाएगी जिससे कि सोशल इंटरप्रिन्योर कंपनी को अपने पैरों पर खड़ा कर सके।


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