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बस्ती वालों को पूजा की अनुमति, बाहर वालों को रोका

जागरण संवाददाता, आगरा: लोहामंडी के खातीपाड़ा में धर्मस्थल को लेकर हुए बवाल के बाद मंगलवार को तनाव भरी

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 10:51 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 10:51 PM (IST)
बस्ती वालों को पूजा की अनुमति, बाहर वालों को रोका
बस्ती वालों को पूजा की अनुमति, बाहर वालों को रोका

जागरण संवाददाता, आगरा: लोहामंडी के खातीपाड़ा में धर्मस्थल को लेकर हुए बवाल के बाद मंगलवार को तनाव भरी शांति रही। विवादित जगह बताकर वहां डाला गया ताला तोड़ने के बाद बड़ी संख्या में फोर्स तैनात रहा। बस्ती की महिलाओं ने पुलिस के साए में पूजा शुरू की। इस दौरान दूसरे संप्रदाय के कुछ युवकों ने मोबाइल से वीडियो बनाने का प्रयास किया, तो लोगों ने उनको खदेड़ दिया गया।

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खातीपाड़ा में अराफात के मकान के बराबर में स्थित प्लाट को लेकर विवाद चल रहा है। बस्ती वालों का कहना है कि इस जगह पर कई दशक से शीतला माता का मंदिर है। वहीं, अराफात का दावा है कि वहां मजार थी। दोनों संप्रदाय के लोग वहां पर नियमित रूप से अपने-अपने धर्म के अनुसार उपासना करते थे। आठ महीने पहले विवाद बढ़ने पर प्रशासन ने ताला डाल दिया। मंगलवार को ¨हदूवादी संगठनों और बस्ती वालों ने मिलकर विवादित जगह का गेट उखाड़कर तोड़फोड़ कर दी थी। बवाल होने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। बस्ती की महिलाओं का कहना था कि दशकों से पूजा करती चली आ रही हैं। इसके साथ ही वह मंदिर में पूजा करने पर अड़ गईं।

मंगलवार सुबह बस्ती की दर्जनों महिलाएं वहां पूजा करने पहुंच गई। परंपरागत रूप से सालों से चली आ रही पूजा के मद्देनजर अधिकारियों ने उन्हें इस शर्त के साथ पूजा की अनुमति दी कि केवल बस्ती के लोग ही पूजा कर सकेंगे। हालांकि दूसरे संप्रदाय के लोगों द्वारा विरोध की आशंका पर बड़ी संख्या में फोर्स तैनात रहा। इस दौरान दूसरे संप्रदाय के कुछ युवकों ने वहां पहुंचकर मोबाइल से पूजा करते लोगों का वीडियो बनाने का प्रयास किया। इस पर बस्ती के लोगों ने उन्हें खदेड़ दिया। इसके चलते कुछ देर के लिए तनाव की स्थिति पैदा हो गई।

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सूझबूझ से दूसरे दिन टला टकराव

सोमवार की घटना से सबक लेकर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने सूझबूझ का परिचय दिया। विवादित परिसर का गेट उखाड़ने के बाद आसपास की बस्ती के सैकड़ों लोगों ने सुबह ही वहां पूजा करने की तैयारी कर रखी थी। इसकी जानकारी पुलिस को लगने पर उसने बस्ती वालों को मंदिर में परंपरागत रूप से होने वाली पूजा करने की अनुमति दे दी। साथ ही उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया कि बाहर के लोग वहां पूजा करने नहीं आएंगे। महिलाएं इसके लिए तैयार हो गई, उनका कहना था कि वह शांति पूर्ण तरीके से पूजा करना चाहती हैं। बस्ती वालों ने बाहरी लोगों को वहां आकर पूजा करने से खुद रोक दिया।

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नजूल की जमीन पर कब्जे का है विवाद

बस्ती वालों का कहना है कि सारा विवाद नजूल की जमीन पर कब्जे का है। अराफात के पिता ने सात साल पहले मकान खरीदा था। उसके बराबर में नजूल की खाली जमीन पड़ी है। अराफात का कहना था कि उक्त जमीन पर स्थित कुएं में आला बना था, जिसमें हर गुरुवार को चिराग जलाया जाता था। एक साल पहले कुएं में गिरकर जानवर की मौत होने के बाद से उसे बंद करा आला ऊपर शिफ्ट कर दिया था। मंगलवार को हुए बवाल के बाद पुलिस ने जमीन के दस्तावेज निकाले, इसमें भी उक्त जगह नजूल की दर्शाई गई है।

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कई बार आई टकराव की नौबत

खातीपाड़ा में पुलिस की तैनाती के बावजूद मंगलवार को कई बार टकराव की स्थिति पैदा हुई, जिसे पुलिस ने बीच में पड़कर टाल दिया। पहली बार मोबाइल से पूजा करने का वीडियो बनाने पर विवाद की नौबत आई। वहीं, दूसरी बार अराफात पक्ष द्वारा आले पर चिराग जलाने का दावा करने पर विवाद हुआ।

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थाने में हुआ था समझौता

आठ महीने पहले विवाद होने पर आबिद पक्ष और भारत सिंह के बीच थाने में 17 अप्रैल 2016 को लिखित समझौता हुआ था। इसमें यह तय हुआ था कि दोनों पक्ष वहां पर कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं करेंगे।

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मुकदमा वापस न लेने पर आंदोलन की धमकी

वहीं, पुलिस द्वारा अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से ¨हदूवादी संगठनों में आक्रोश है। पुलिस ने बवाल में ¨हदूवादी संगठनों के दिग्विजयनाथ तिवारी, गौरव राजावत, बंटी ठाकुर, अभिषेक समेत आधा दर्जन से अधिक नामजद और अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। संगठनों ने मुकदमा वापस न लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

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लाठीचार्ज में घायल महिलाओं ने भी की पूजा

सोमवार को बवाल के दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने पर हेमलता, नंदरानी, कविता समेत सात-आठ महिलाएं घायल हो गई थी। इसमें हेमलता को अधिक चोट आई है। मंगलवार को घायल महिलाएं भी पूजा करने पहुंचीं। इनका कहना था कि पुलिस ने उनको जान बूझकर निशाना बनाया।

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रात भर जागती रही बस्ती

सोमवार रात हुए बवाल के बाद खातीपाड़ा छावनी में बदल गया था। इसके चलते बस्ती के लोग रात भर जागते रहे। दबिश की आशंका के चलते महिलाएं बच्चों को लेकर घरों के दरवाजे पर बैठ गई, ताकि पुलिस को यह शक न हो कि घर के अंदर कोई पुरुष है।

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'खातीपाड़ा बस्ती के जो घर परंपरागत रूप से पूजा करते आए हैं, उन्हें ही पूजा की अनुमति दी गई है। बाहर के लोगों को पूजा नहीं करने दी गई। मामला एसीएम कोर्ट-1 में चल रहा है। वहां से जब तक कोई फैसला न आ जाए, रोक जारी रहेगी।'

सुशील घुले, एसपी सिटी

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