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दबंगों ने फाय¨रग कर पुलिस को दौड़ाया

खंदौली: गांव बास सोना में गुरुवार को दबंगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। कोर्ट के आदेश पर फसल कटवाने ल

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Mar 2017 10:37 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 10:37 PM (IST)
दबंगों ने फाय¨रग कर पुलिस को दौड़ाया
दबंगों ने फाय¨रग कर पुलिस को दौड़ाया

खंदौली: गांव बास सोना में गुरुवार को दबंगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। कोर्ट के आदेश पर फसल कटवाने लेखपाल और मजदूरों के साथ गई पुलिस पर अंधाधुंध फाय¨रग कर दी। उसे वहां से जान बचाकर भागना पड़ा। जानकारी होने पर पुलिस बल के साथ पहुंचे अधिकारियों ने स्थिति को संभाला। फोर्स की मौजूदगी में शाम को फसल काटी जा सकी। खंदौली निवासी मनोज सिकरवार और भोलेंद्र निवासी बास गांव सोना के बीच कई वर्षो से खेत को लेकर विवाद चला आ रहा है। अपर न्यायालय से नवंबर 2016 में फैसला मनोज सिकरवार के पक्ष में हो गया था। इसके विरुद्ध भोलेंद्र ने हाईकोर्ट में अपील कर रखी है।

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फसल काटने के समय विवाद की स्थिति को देखते हुए हाल में आगरा न्यायालय ने 25 मार्च तक आलू व सरसों की फसल क ो कटवाने का आदेश एसडीएम एत्मादपुर को दिया था। इसी के तहत गुरुवार को लेखपाल रूपेश चौधरी थाना पुलिस के साथ मजदूर लेकर पहुंचे थे। सुबह साढे़ दस बजे मजदूरों ने जैसे ही फसल को काटना शुरू किया तभी खेत के पास खड़ी झाड़ियों में पहले से घात लगाए भोलेंद्र ने छह-सात लोगों के साथ अंधाधुंध फाय¨रग शुरू कर दी। अचानक हुए हमले से अफरातफरी मच गई। पुलिसकर्मियों के साथ ही लेखपाल और मजदूर जान बचा वहां से भाग खड़े हुए।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस को साथ लेकर फसल काटने गए लोगों पर 25 राउंड ताबड़तोड़ फाय¨रग की गई। इसकी जानकारी होने पर दोपहर 12.30 बजे एसडीएम योगेंद्र कुमार, एसपी ग्रामीण मंशाराम गौतम, सीओ सुरेशचंद एत्मादपुर, नायब तहसीलदार श्रीराम गौड़ बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ गांव पहुंच गए। तब तक हमलावर वहां से फरार हो चुके थे। पुलिस ने आरोपियों के घर दबिश दी लेकिन वहां सिर्फ महिलाएं और बच्चे ही मिले।

एसपी ग्रामीण मंशाराम गौतम ने बताया कि फसल को कटवाकर तीसरे पक्ष संजय सिंह निवासी पैंतीखेड़ा के हवाले कर दिया है। हमलावरों के खिलाफ पुलिस ने अपनी ओर से मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है।

पहले भी दो बार इसी खेत पर चल चुकी हैं गोलियां

इसी खेत पर पहले फसल में पानी काटने के पीछे भी गोलियां चल चुकी हैं। 2012 में खेत में पानी लगा रहे मजदूरों ने फाय¨रग कर दी थी। इसमें कई मजदूर घायल हो गए थे। दूसरी बार 2013 में फसल काटने के पीछे गोलियां चली थीं। इसमें पुलिस की लापरवाही की वजह से आरोपी हर बार बच जाते हैं।

पुलिस ने नहीं लिया सबक

दोनों पक्षों में चल रही खूनी रंजिश की जानकारी होने के बावजूद पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। लेखपाल और मजदूरों के साथ थाने से सिर्फ चार सिपाहियों को फसल कटवाने भेजा गया। ग्रामीणों का कहना था कि जिस तरह से अंधाधुंध फाय¨रग की गई, उससे गोली सिपाहियों को भी लग सकती थी।

लेखपाल से एक कदम दूर थी मौत

ताबड़तोड़ फाय¨रग में लेखपाल से मौत सिर्फ एक कदम आगे थी। लेखपाल रूपेंद्र चौधरी ने बताया कि गोली उनके पैरों के ठीक सामने खेत में गिरी थी। जमीन पर गोली के गिरते ही धूल का गुब्बारा उठने पर वह दहशत में आ गए थे। अगर एक कदम आगे होते तो गोली उनको लगती।


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