चुनाव प्रचार सामग्री का शुरू नहीं हुआ कारोबार
जागरण संवाददाता, आगरा: चुनावी संग्राम चरम पर पहुंच चुका है। आए दिन प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला ह
जागरण संवाददाता, आगरा: चुनावी संग्राम चरम पर पहुंच चुका है। आए दिन प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला हो रहा है। इसके बावजूद चुनाव प्रचार सामग्री का बाजार ठंडा पड़ा है। आचार संहिता लगने के इतने दिनों बाद भी कारोबार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
बिजनेस के लिहाज से यह समय सबसे मुफीद माना जाता है। इस दौरान मशीनें मुश्किल से ही थमने का नाम लेती हैं। फिलहाल कहानी बिल्कुल उलट है। कारोबारी की सुस्ती दूर होने का नाम नहीं ले रही है। सेठगली स्थित कारोबारी विष्णु अग्रवाल कहते हैं कि पिछले कई साल से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा मंदी है। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते नाम मात्र के ऑर्डर भी नहीं आ रहे हैं।
इधर प्रकाश चंद्र गोयल कहते हैं कि नोटबंदी के कारण भी बाजार प्रभावित हो चुका है। कैश की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है, जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में ऑर्डर थे। इस बार तो ग्राहक ही नदारद है।
फ्लैक्स कारोबार भी पिटा : संजय प्लेस स्थित कारोबारी अरविंद सिकरवार के मुताबिक इस समय सामान्य बिक्री भी नहीं है। व्यापार करना काफी मुश्किल हो गया है, जबकि इस समय मुश्किल से फुर्सत मिल पाती थी।
26 जनवरी से कुछ उम्मीदें
इधर 26 जनवरी से व्यापारियों को उम्मीदें बंधी हुई हैं। झंडे, टोपी, बैनर की थोड़ी बहुत बिक्री चल रही है। स्कूलों से कारोबार बढ़ने की संभावना है।
गायब सपा-बसपा की चमक
कारोबारियों का कहना है कि ब्रिकी के लिहाज से सपा और बसपा दोनों ही हमेशा बेहतर साबित हुई हैं। इस बार यह चमक गायब है। बीते दिनों सपा के चुनाव चिन्ह पर बनी असहमति के कारण भी ऑर्डर नहीं मिल पा रहे थे, लेकिन अब मामला सुलझने के बाद भी स्थिति यथावत है।