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सारस संरक्षण और ईको टूरिज्म पर रहेगा जोर

आगरा: जरार के चंबल सफारी में तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल का समापन हो गया। अगले फेस्टिवल में मुलाकात करन

By Edited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 10:22 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 10:22 PM (IST)
सारस संरक्षण और ईको टूरिज्म पर रहेगा जोर

आगरा: जरार के चंबल सफारी में तीन दिवसीय बर्ड फेस्टिवल का समापन हो गया। अगले फेस्टिवल में मुलाकात करने के साथ ही देश-विदेश से आए बर्ड वाचर भी यहां से विदा हो गए।

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समापन समारोह के मुख्य अतिथि वन विभाग के प्रबंध निदेशक एसके उपाध्याय थे। उन्होंने कहा कि सारस संरक्षण और ईको टूरिज्म की दिशा में चल रहे कार्य पर जोर रहेगा। सारस संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट चल रहा है। यहां पर ईको टूरिज्म बनाने के लिए बात की जा रही है। अगले वर्ष इसके लिए बड़ा आयोजन कराने पर विचार है। आगरा, इटावा, मैनपुरी के एक दर्जन से अधिक स्कूलों से आए बच्चों को पक्षियों के संरक्षण के बारे में जानकारी दी गई।

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लुप्त हो रही प्रजातियों पर चिंता

तीन दिन तक चले बर्ड फेस्टिवल में देश-विदेश से आये पक्षी विशेषज्ञों ने पक्षियों के संरक्षण पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उप्र में इस तरह के आयोजन की अपार संभावनाएं हैं। चंबल क्षेत्र पक्षियों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है।

पक्षी विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कई पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो रही है। खासकर इंडियन स्कीमर, रिवर, रिवरटन, ग्रेटथिंकी जो अब कम ही देखने को मिलती हैं।

दिल्ली की ज्योत्सना सेठी कहती हैं कि चंबल में सबसे बड़ी बात यह है कि यहां कोई घाट नहीं है। बर्ड की लाइफ के लिए ये सुरक्षित जगह है। यहां पर नेस्टिंग होनी है।

पक्षी विशेषज्ञ जैनथन का कहना था कि तीन दिन तक चंबल में बहुत ही लुत्फ उठाया है। ऐसे आयोजनों से क्षेत्र का नाम तो होता ही है विकास की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसा ही कुछ यूके के मैथ्यूज, डोमनिक, जॉहनसन आदि का कहना है।

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ग्रामीणों को करेंगे जागरूक

बाह: लुप्त प्राय: प्रजाति में पहुंचे इंडियन स्कीमर के संरक्षण के लिए दिसंबर से कार्य शुरू हो जाएगा। बम्बई की रिसर्चर परवीन शेख का कहना है कि इंडियन स्कीमर की संख्या कम होती जा रही है। इसके लिए दिसंबर के अंतिम सप्ताह से बीएनएसएस कार्य करेगी। चंबल में कितने नेस्ट हैं और कितने बचे हैं। इंडियन स्कीमर के अलावा ब्लैकवेली टर्न, रिवर, रिवरटर्न, ग्रेटथिंकी भारत में मिलते हैं। इनकी प्रजातियां संकटग्रस्त हैं। इंडियन स्कीमर गंगा-यमुना से चंबल में अधिक सुरक्षित है। यहां पानी का प्रवाह कम होने से परेशानी नहीं होती है। बीएनएचएस चंबल नदी के किनारे के ग्रामीणों को जागरूक करेगी। वो जाने अंजाने में इनके नेस्ट नष्ट कर देते हैं। स्कूलों में जाकर भी बच्चों को जागरूक किया जाएगा।

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पोस्टर प्रतियोगिता में कंचन प्रथम

बर्ड फेस्टिवल में मैनपुरी जिले के विश्वनाथ इंटर कॉलेज तपोस्थली इंटर कॉलेज, आदर्श राष्ट्रीय आवासी विद्यालय डीएबी इंटर कॉलेज के बच्चों ने पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लिया। इसमें विश्वनाथ कॉलेज की कंचन प्रथम, तपोस्थली के अनुराग द्वितीय, आदर्श राष्ट्रीय आवासीय विद्यालय के अंकुल तृतीय स्थान पर रहे। सभी को पुरस्कार दिए गए।


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