दीपावली: फिजां में ना घोलें आतिशबाजी का जहर
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजनगरी के नागरिक पर्यावरण के प्रति फिक्रमंद है। वर्षा जल संचयन को तालाब खोदन
जागरण संवाददाता, आगरा: ताजनगरी के नागरिक पर्यावरण के प्रति फिक्रमंद है। वर्षा जल संचयन को तालाब खोदने को कुदाल उठाना हो या फिर धरा को हरा-भरा रखने को पौधे लगाना। सभी ने स्वप्रेरणा से कदम आगे बढ़ाया। अब एक पग और उठाना है। बच्चों, बुजुर्गो व मरीजों को परेशानी ना हो और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे, इसलिए इस दीपावली पर फिजां में आतिशबाजी का जहर ना घोलें। खुशियों के त्योहार पर दीप जलाकर रोशनी करें।
दीपावली पर लोग खूब पटाखे चलाते हैं। शहर में करोड़ों रुपये की आतिशबाजी का काला धुआं आसमान में छा जाता है। मगर इससे हमें मिलता क्या है? कान फोड़ू आवाज, वायु प्रदूषण। आतिशबाजी के बाद उनसे निकले रसायन व पदार्थ शहर की हवा में घुलकर उसे जहरीला बना देते हैं। जिसका असर हमारे शरीर पर पड़ता है। अस्थमा, एलर्जी व श्वास रोगियों को सबसे अधिक परेशानी होती है। बुजुर्गो व मासूमों की नींद खराब होती है और वह सो नहीं पाते हैं। इसलिए इस दीपावली पर पटाखों को ना बोलें और स्वयं को प्रदूषण से बचाएं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी वीके शुक्ला बताते हैं कि आतिशबाजी से ध्वनि व वायु प्रदूषण की मात्रा कई गुना अधिक बढ़ जाती है। प्रदूषणकारी तत्वों के हवा में घुलने से कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है।
ताजनगरी में आई गिरावट
पर्यावरण संरक्षण को फिक्रमंद शहरवासियों की पहल का असर देखने को मिला है। वर्ष 2012 में पीएम10 का स्तर शांत क्षेत्र (ताजमहल) में 542 था, जो 2015 में घटकर 295 रह गया। हालांकि, 2014 में यह केवल 191 ही रह गया था। इस मुहिम को जारी रखने की जरूरत है, जिससे दीपावली पर शहर में प्रदूषण नियंत्रित रहे।
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पिछले वर्षो में स्थिति
ताजमहल
वर्ष - एसओ2 - एनओ2 - पीएम10
2012 - 4 - 27 - 542
2013 - 4 - 31 - 524
2014 - बीडीएल - 16 - 191
2015 - बीडीएल - 23 - 295
एत्माद्दौला
वर्ष - एसओ2 - एनओ2 - पीएम10
2012 - बीडीएल - 28 - 519
2013 - 5 - 27 - 697
2014 - 5 - 29 - 271
2015 - 4 - 29 - 346
(यह आंकड़े माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में हैं।)
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यह है फुल फार्म
एसओ2 - सल्फर डाइआक्साइड
एनओ2 - नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड
पीएम10 - श्वसनीय निलंबित कण
बीडीएल: बिलो डिटेक्शन लिमिट।