जेल में भूख हड़ताल, दीवानी में बंदियों का हंगामा
जागरण संवाददाता, आगरा: चौदह साल की सजा काट चुके बुजुर्ग बंदियों की रिहाई न होने को लेकर आक्रोश बढ़ता
जागरण संवाददाता, आगरा: चौदह साल की सजा काट चुके बुजुर्ग बंदियों की रिहाई न होने को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को सेंट्रल जेल में भूख हड़ताल जारी रही। वहीं दीवानी में पेशी पर आए कैदियों ने मांग के समर्थन में हंगामा किया।
14 साल की सजा काट चुके बुजुर्ग बंदियों की रिहाई के लिए सोमवार से सेंट्रल जेल में बुजुर्ग बंदी भूख हड़ताल पर हैं। मंगलवार दोपहर एडीएम सिटी धर्मेद्र और एसपी सिटी सुशील घुले ने सेंट्रल जेल में पहुंचकर कैदियों से उनकी मांगों के संबंध में वार्ता की।
वहीं दोपहर दीवानी में पेशी को पहुंचे लूट और हत्या के आरोपी किरावली के अभुआपुरा निवासी दशरथ उर्फ जस्सो, लेखपाल सिंह और दूसरे बंदियों ने अदालत में जाने से पहले हंगामा शुरू कर दिया। एक लिखित पत्र देकर अपनी बात प्रदेश सरकार तक पहुंचाने का आग्रह किया।
सभी बंदियों का कहना था कि अन्य राज्यों में 14 साल की सजा पूरी कर चुके बुजुर्ग बंदियों की रिहाई हो गई है। मगर, यहां किसी का ध्यान नहीं है। यहां 30-30 साल की सजा पूरी कर चुके तमाम बंदी जेल में हैं। आगरा सेंट्रल जेल में 2060 बंदी हैं। इनमें से 350 बंदी मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए रिहा किया जाना चाहिए। जब तक इस मामले में सरकार सकारात्मक निर्णय नहीं लेगी, तब तक भूख हड़ताल जा रही रहेगी। डीआइजी जेल शरद का कहना है कि बंदी रिहाई और पैरोल की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांगों को शासन तक पहुंचाया जा रहा है। भूख हड़ताल समाप्त कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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रिहाई की आस में 238 बंदी
जेल प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक सेंट्रल जेल में 67 बंदी ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 वर्ष है। उन्होंने चौदह साल की सजा पूरी कर ली है। जबकि 171 बंदी ऐसे हैं जिनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक है, लेकिन चौदह साल की सजा अभी पूरी नहीं हुई है। ऐसे कुल 238 बंदी रिहाई की आस में हैं।
ये बंदी हैं भूख हड़ताल पर
मैनपुरी निवासी 85 वर्षीय नवरतन, मुजफ्फरनगर निवासी 70 वर्षीय सुधीर, अलीगढ़ निवासी 70 वर्षीय विशाल अवस्थी, हाथरस निवासी 71 वर्षीय मुबारक।