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गड्ढों में दफन हाईवे पर निर्माण के नियम

जागरण संवाददाता, आगरा: राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के निर्माण में नियमों की कब्र बन गई है। एनएचएआइ अफस

By Edited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 01:09 AM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 01:09 AM (IST)
गड्ढों में दफन हाईवे पर निर्माण के नियम

जागरण संवाददाता, आगरा: राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के निर्माण में नियमों की कब्र बन गई है। एनएचएआइ अफसरों की निर्माण कंपनी को शह से वह सड़क पर जलभराव रोकने का इंतजाम नहीं कर रही। निर्माण के दौरान ट्रैफिक और सेफ्टी मैनेजमेंट का कोई प्लान नहीं बनाया है। बड़े-बड़े गढ्डों से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। वर्षा के चलते गुरुवार को तो पूरे हाईवे पर जगह-जगह जलभराव हो गया। वहीं फ्लाईओवर निर्माण के चलते तीन चौराहों पर हर दिन जाम लगता है।

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एनएच-2 पर दिल्ली से आगरा तक सिक्सलेन का कार्य चल रहा है। कार्य के टेंडर के वक्त ही इंडियन रोड कांग्रेस-2013 के नियम के तहत निर्माण कंपनी से एग्रीमेंट किया गया था, लेकिन यह कागजों में ही सिमट कर रह गया है। नियम है कि नए निर्माण से जलभराव न हो। इसके जल निकासी का समुचित इंतजाम किया जाए। इसके बाद भी लेकिन वाटरव‌र्क्स से रुनकता तक इस बात का ध्यान नहीं रखा गया है। यही वजह है कि बारिश के चलते एनएच-2 पर पानी भर जाता है। गुरुवार को बारिश के दौरान सिकंदरा पर तो हालत यह हो गई कि वाहन कुछ घंटे सड़क के एक ही ओर दौड़ सके। मधु रिसॉर्ट के सामने तो रात तक पानी ही भरा था।

वहीं नियमानुसार निर्माणाधीन फ्लाई ओवर के आसपास साइनेज लगने चाहिए। बैरीकेडिंग (लोहे की शीट) होनी चाहिए, जिस पर रिट्रो रिफ्लेक्टिंग पेंट से काली व सफेद पुताई होनी चाहिए। साइनेज पर्याप्त संख्या में नहीं लगाए गए हैं। जहां पर लगे हैं, वह सड़क पर टूटे पड़े हैं। कुछ यही हाल बैरीकेडिंग का भी है। वाटरव‌र्क्स, सुल्तानगंज की पुलिया, कामायनी अस्पताल, केके नगर मोड़, सिकंदरा तिराहे व थाने के दोनों ओर की रोड पर गड्ढों की भरमार है। सड़क पर गड्ढे आधा फीट से लेकर तीन फीट तक के हैं। गुरुवार को एक कार चालक ने ऐसे गढ्डे को देखकर अचानक ब्रेक लगाया तो पीछे से तेज गति से आते ट्रक ने टक्कर मार दी।

प्राथमिक इलाज का हो इंतजाम

हाईवे निर्माण की गाइड लाइन के अनुसार जहां भी निर्माण कार्य चल रहा है, वहां प्राथमिक इलाज का भी इंतजाम होना चाहिए। जिससे अगर किसी मजदूर को चोट लगती है, तो उसे तत्काल इलाज मिल सके। परंतु ऐसा कुछ नहीं किया गया है।

रिपेय¨रग के नाम पर आंखों में झोंकी धूल

हाईवे रिपेय¨रग के नाम पर कंपनी ने आंखों में धूल भी खूब झोंकी है। इसकी वजह है कि सामग्री खराब क्वालिटी की है। वैसे गाइड लाइन के अनुसार अगर किसी क्षेत्र में मरम्मत या नया निर्माण हो रहा है, तो इसमें इस्तेमाल होने वाले मैटीरियल की जांच की जाएगी।

अवैध कट पर नहीं कंट्रोल

वाटरव‌र्क्स से लेकर शास्त्रीपुरम आरओबी तक विभिन्न स्थलों पर अवैध कट बन गए हैं, जिन्हें एनएचएआइ द्वारा बंद नहीं कराया जा रहा है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं।

जगह-जगह टूटी पड़ी रेलिंग

शास्त्रीपुरम आरओबी से लेकर सिकंदरा थाने तक हाईवे की रेलिंग अधिकांश जगह टूट चुकी है। कहीं यह रोड की ओर झुक गई है, तो कई जगहों पर है ही नहीं।

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- आगरा के तीन फ्लाई ओवर पर भले ही धीमी गति से कार्य चल रहा हो, लेकिन दिसंबर 2016 तक कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

मोहम्मद सफी, परियोजना निदेशक एनएचएआइ, मथुरा

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