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टूटी सड़क और गंदगी से कैलाश महादेव पहुंचेंगे भक्त

जागरण संवाददाता, आगरा: सावन के तीसरे सोमवार को कैलाश महादेव की पूजा को श्रद्धालु उमड़ते हैं। हाईवे से

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 01:20 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 01:20 AM (IST)
टूटी सड़क और गंदगी से कैलाश महादेव पहुंचेंगे भक्त

जागरण संवाददाता, आगरा: सावन के तीसरे सोमवार को कैलाश महादेव की पूजा को श्रद्धालु उमड़ते हैं। हाईवे से लगभग डेढ़ किलोमीटर अंदर स्थित मंदिर पर पहुंचने के लिए अबकी भक्तों को टूटी सड़क, पथरीले रास्ते, गंदगी और गड्ढों से होकर गुजरना होगा। प्रशासन ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए अभी तक कोई सुध नहीं ली है।

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छह अगस्त को कैलाश मेले का उद्घाटन होना है और सोमवार को महादेव के जलाभिषेक के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालु उमड़ेंगे। टूटी सड़कों के साथ ही मंदिर पहुंचने वाले रास्ते पर लाइटें खराब हैं। नालियों में सिल्ट भरी है, जिससे तेज बारिश में पानी सड़कों पर आ जाता है। सावन के दूसरे सोमवार को परिक्रमार्थी और तीसरे सोमवार को मेले में उमड़ने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

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त्रेतायुग का है महादेव का शिवलिंग

मंदिर के महंत महेश गिरी बताते हैं कि महादेव का शिवलिंग त्रेतायुग का है। पूर्वजों के अनुसार महर्षि जम्दागिनी और उनके पुत्र महर्षि परशुराम दोनों रेणुका धाम, रुनकता से कैलाश पर्वत तक प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए जाते थे। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दोनों से वर मांगने को कहा। महर्षि परशुराम ने भगवान शिव से कहा कि धन की लालसा नहीं और आपकी कृपा से बल की कमी नहीं। बस हम इतना चाहते हैं कि माता रेणुका इतनी दूर आपकी सेवा के लिए नहीं आ पाती हैं, कृपया रेणुका धाम चलें। भगवान शिव ने कहा कि मैं कैलाश छोड़कर कहीं नहीं जाता हूं, लेकिन कैलाश के कण-कण में मैं हूं। इसलिए कोई सा भी पत्थर उठा लो मैं उसमें विराजमान मिलूंगा। दोनों ऋषि एक-एक शिवलिंग लेकर चले आए। रास्ते में संध्या वंदन के लिए दोनों शिवलिंग यमुना किनारे रखे, जो बाद में उठाने पर हिले नहीं। भगवान शिव ने आकाशवाणी की मैं अचलेश्वर हूं, जहां एक बार स्थापित हो जाता हूं वहीं रहता हूं। यहीं मेरी पूजा किया करें। इसके बाद यहां बड़े-बड़े मिट्टी के टीले बन गए। 1500 वर्ष पूर्व एक गाय शिवलिंग वाले टीले पर स्वयं दूध देती थी। मिट्टी को खोदा गया तो शिवलिंग दिखाई दिए और महर्षि परशुराम लिखित ताम्रपत्र भी मिला।

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महंत नेत्र गिरी की 13वीं पीढ़ी कर रही सेवा

पंडित गौरव गिरी ने बताया कि मंदिर के महंत स्व. नेत्र गिरी ने टीले से मिलने के बाद कैलाश महादेव की सबसे पहली सेवा की थी। उनके परिवार की 13वीं पीढ़ी वर्तमान में सेवा कर रही है। पुजारी चंद्रकांत गिरी ने बताया कि मंदिर में शिव परिवार के साथ ही हनुमान जी, दुर्गा मां, राधाकृष्ण की प्रतिमा भी विराजमान हैं।

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जल्द लगेगी महर्षि जम्दागिनी, परशुराम की प्रतिमा

दिलीप गिरी ने बताया कि मंदिर में जल्द ही महर्षि जम्दागिनी और महर्षि परशुराम की प्रतिमा लगेगी। इसके लिए स्थान बनकर तैयार हो गया है।

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कटे हुए किनारे बन सकते हैं हादसे का कारण

कैलाश महादेव मंदिर पहुंचने के लिए हाईवे से लगभग डेढ़ किलोमीटर अंदर जाना होता है। सड़क के दोनों ओर किनारे कट कर गहरे गड्ढे हो गए हैं। कुछ स्थानों से लगता है मिट्टी को प्रयोग कर लिया गया है। ऐसे थके हुए कांवड़ियों और भीड़ उमड़ने पर हादसे का कारण बन सकते हैं।

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हाईवे का भी है बुरा हाल

मंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते के साथ ही हाईवे का भी बुरा हाल है। बड़े-बडे़ गड्ढे और जगह-जगह जलभराव है। ऐसे में मेले में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं को समस्याओं से जूझना होगा।

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वर्षभर से हाईमास्क पड़ी है खराब

मंदिर की पिछली तरफ यमुना बहती है। यहां पक्का घाट बना है, लेकिन गंदगी का अंबार है। प्रशासन की ओर से कोई सफाई की व्यवस्था नहीं है, जबकि वर्षभर से हाईमास्क तक खराब पड़ी है। ऐसे में अंधेरे के समय मंदिर दर्शन आने वाले अगर यमुना दर्शन को जाते हैं, तो हादसे का शिकार हो सकते हैं।

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मंदिर के पीछे गोबर और मलबे का ढेर

सर्वेश गिरी ने बताया कि मंदिर की पिछली तरफ खाली पड़े प्लाट में गोबर और मलबे का ढेर लगा है। इससे मेले के दौरान भक्तों को खासी दिक्कतें होती हैं।


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