एनजीटी पहुंचा कूड़े का मामला
जागरण संवाददाता, आगरा: शहर के दामन पर बदनामी का दाग लगा रहा कूड़ा अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)
जागरण संवाददाता, आगरा: शहर के दामन पर बदनामी का दाग लगा रहा कूड़ा अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट मॉनीट¨रग कमेटी के सदस्य और पर्यावरणविद डीके जोशी ने शहर में कूड़ा जलाने, उसकी अवैध डंपिंग और निस्तारण में बरती जा रही खामियों के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर की है। मंजूरी से पहले याचिका के विभिन्न पहलुओं को जांचा परखा जा रहा है।
स्मार्ट सिटी की रेस हो या साफ सफाई में शहर की रैंकिंग, कूड़े की वजह से हर बार शहर को शर्मिदा होना पड़ा है। शहर में जहां-तहां पड़े कूड़े को उठाने वाला कोई नहीं है। एक बड़ी दिक्कत आग लगाकर कूड़ा जलाना आम बात हो गई है, यह काम निगमकर्मी ही करते हैं।
वहीं कूड़ा डंपिंग के लिए कुबरेपुर में ग्राउंड स्थित है, मगर निगम कर्मचारी यमुना नदी के किनारे, नालों या सुनसान स्थानों पर कूड़ा डंप करते हैं। शहर का कूड़ा अब आम लोगों की चर्चा से निकलकर अदालत की दहलीज तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट मॉनीट¨रग कमेटी के सदस्य डीके जोशी की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई है, जिसमें कूड़ा निस्तारण में लापरवाही का आरोप लगाते हुए टीटीजेड, जिला प्रशासन, नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 14 विभागों को पार्टी बनाया गया है। एनजीटी में दायर डीके जोशी की याचिका में कूड़ा निस्तारण में लापरवाही, कूड़ा जलाने, कूड़े को नालों व सुनसान स्थानों पर डंप करने का आरोप लगाया है। फिलहाल एनजीटी याचिका का परीक्षण कर रही है। परीक्षण के उपरांत याचिका पर फैसला लिया जाएगा।
याचिका के प्रमुख बिंदु
नगर निगम सहित किसी भी जिम्मेदार विभाग को यह नहीं पता कि शहर से कितना इंडस्ट्रियल वेस्ट निकल रहा है और कहां जा रहा है। इसी तरह हेजर्ट वेस्ट के बारे में भी सरकारी विभाग अनभिज्ञ हैं। याचिका में कूड़े की वजह से ताजमहल पर पड़ रहे दुष्प्रभाव, आम लोगों की सेहत पर पड़ रहे प्रभाव, इससे उत्पन्न होने वाली बीमारियों और वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण के बारे में भी वैज्ञानिक तरीके से आंकड़े पेश किए हैं। इसके अलावा आगरा की नगर पालिकाओं व कैंट बोर्ड पर भी ठीक से कूड़ा निस्तारण न करने का आरोप लगाया है।
यह हैं हालात
जनवरी 1996 में नीरी ने सर्वे के बाद रिपोर्ट बनाई थी, जिसमें दावा किया था कि शहर में रोजाना 1030 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है। साथ ही यह भी संभावना जताई थी कि वर्ष 2000 तक कूड़े की मात्रा 1500 मीट्रिक टन का आंकड़ा पार कर जाएगा। इस रिपोर्ट को आधार मानें तो वर्ष 2016 तक यह आंकड़ा 2000 मीट्रिक टन पार कर चुका होगा। हालांकि निगम इस दावे को नकारता है। निगम का दावा है कि वह रोजाना 600 से 700 मीट्रिक टन कूड़ा उठवाया है। हालांकि निगम यह भी मानता है कि शहर से शत-प्रतिशत कूड़ा नहीं उठाया जा पा रहा है।
शहर में कूड़ा बड़ी समस्या है। इसके निस्तारण के लिए केवल एनजीटी ही अकेला चारा बचा था। देखते हैं कि आगे क्या होगा।
डीके जोशी