नौकरी मांगने वाला नहीं, देने वाला बनना होगा
जागरण संवाददाता, आगरा: देश को नौकरी मांगने वालों की जरूरत नहीं, नौकरी देने वालों की है। चंद हजार रु
जागरण संवाददाता, आगरा: देश को नौकरी मांगने वालों की जरूरत नहीं, नौकरी देने वालों की है। चंद हजार रुपये की नौकरी के लिए जूता घिसना छोड़िए। हुनर विकसित कीजिए। देश के एक करोड़ लोग हुनर के बल पर रोजी-रोटी कमा रहे हैं, चाहें वह चाय वाला हो या पंचर जोड़ने वाला। कारीगर हो या मिस्त्री। यह कहना है केंद्रीय राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया का। वह आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन (एआइसीटीई) द्वारा तकनीकी कॉलेजों के लिए आयोजित प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर विचार व्यक्त कर रहे थे। जेपी सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के शिक्षकों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को जन-जन पहुंचाने के लिए इंजीनिय¨रग और पॉलीटेक्नीक कॉलेजों को साथ लिया जा रहा है। एआइसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि इंजीनिय¨रग करने वाले 25-30 फीसद बच्चों को उनकी अपेक्षा के अनुसार रोजगार मिलता है, बाकी बेरोजगार रह जाते हैं। ऐसे में उन्हें ट्रेनिंग लेकर अन्यत्र जॉब खोजना पड़ता है। अगले तीन साल में 10.5 लाख युवक-युवतियों को कौशल में पारंगत करने का लक्ष्य मंत्रालय ने दिया है। काउंसिल के सचिव एपी मित्तल ने योजना की जानकारी देते हुए कहा जो बच्चे हायर एजूकेशन में नहीं जा पाते, अथवा जल्दी नौकरी करना जिनकी मजबूरी होती है, यह योजना उन बच्चों के लिए है। योजना का उद्देश्य मैनपावर का टेक्निकल डेवलपमेंट है।
उत्तराखंड विवि के कुलपति प्रो. पीके गर्ग ने कहा कि भारत में केवल दो फीसद स्किल्ड लोग हैं, जबकि जापान में इनकी संख्या 75 फीसद है। सक्सेजफुल एंटरप्रेन्योर बनने के लिए डिग्री नहीं, बल्कि स्किल की जरूरत होती है। काउंसिल के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. मनोज तिवारी ने योजना की विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर डॉ. मुकेश बघेल आदि शिक्षक मौजूद थे।
इंजीनिय¨रग कॉलेजों में नौ लाख सीटें खालीं
देश की बीस लाख इंजीनिय¨रग सीटों में नौ लाख सीटें खाली हैं। इन कॉलेजों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को कौशल विकास के प्रशिक्षण के लिए उपयोग में लाया जाएगा। आइटी खंदारी के निदेशक डॉ.वीके सारस्वत ने बताया कि जो कॉलेज केंद्र बनना चाहते हैं, उन्हें दस जून तक अप्लाई करना है। स्टूडेंट के प्रशिक्षण में जो खर्च आएगा, वह सरकार देगी। कॉलेज इसमें धांधली न कर सकें, इसके लिए पूरा पैसा एक साथ नहीं दिया जाएगा। कॉलेज के अकाउंट में अंतिम किश्त तब डाली जाएगी, जब छात्र का प्लेसमेंट हो जाएगा। 32 सेक्टरों में विभिन्न कैप्सूल कोर्स चलाए जाएंगे।
वेबसाइट पर देखिए, अच्छे दिन आ गए हैं
केंद्रीय मंत्री कठेरिया ने केंद्र सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मोदी सरकार का जमकर गुणगान किया। उन्होंने कहा कि आज से ठीक दो साल पहले एक ऐसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बना था, जिसकी मां दूसरों के बर्तन मांजती थी और पिता चाय बेचते थे। दो साल पहले उन्होंने कहा था कि अच्छे दिन आएंगे। आप लोगों को भले ही इसकी अनुभूति नहीं हो रही हो, लेकिन वेबसाइट पर सारे आंकड़े मौजूद हैं। मोदी सरकार से पहले जो लोग सांसद, नेता और मंत्री को चोर मानते थे, अब उनकी सोच में बदलाव आ रहा है। आधार कार्ड का फायदा बताते हुए कहा कि आधार कार्ड जरूरी होने के बाद से विधवा पेंशन, स्कॉलरशिप व अन्य योजनाओं में देश के सात से आठ हजार करोड़ रुपये बचाए गए हैं। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए वैश्विक स्तर के बीस विवि स्थापित किए जाएंगे, जिसमें दस प्राइवेट सेक्टर और दस सरकारी सेक्टर में होंगे।
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