जनधन का नमो-नमो, सोने पर न चमकी सरकार
- प्रधानमंत्री जनधन, मुद्रा योजना, जीवन ज्योति व सुरक्षा को मिली सफलता - नहीं लुभा पाई अटल पेंशन व
- प्रधानमंत्री जनधन, मुद्रा योजना, जीवन ज्योति व सुरक्षा को मिली सफलता
- नहीं लुभा पाई अटल पेंशन व गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम
जागरण संवाददाता, आगरा: वादों और इरादों के साथ देश की सत्ता संभालने वाले नरेंद्र मोदी ने बहुत उम्मीदें बंधाई। अब दो साल के बाद ये उम्मीदें कसौटी पर हैं। दूसरों मामलों भले ही कोई कुछ कहे, लेकिन वित्तीय समावेशन से जनता को जोड़ने के मामले में मोदी सरकार आगे निकल गई। जनधन से लेकर बीमा योजनाओं तक को लोगों ने हाथोंहाथ लिया, मुद्रा योजना ने भी कारोबारियों को राह दिखाई। लेकिन अटल पेंशन योजना और गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम जनता में विश्वास न जगा पाई।
जनधन से जुड़ा जन-जन
जनधन योजना को पूरे देश की तरह जिले में भी उत्साह से अपनाया गया। यहां इसके रिकार्ड छह लाख खाते खोले गए हैं। हालांकि खातों के संचालन को लेकर खाता धारक जागरूक नहीं हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस पर एक लाख का दुर्घटना बीमा व पांच हजार रुपये की ओवर ड्राफ्ट की सुविधा है। जबकि लोगों को लगा कि खाते खुलवाने भर से ही यह लाभ मिल जाएगा। वास्तव में इसका लाभ 45 दिनों (अब 90 दिन) के अंतर्गत हुए ट्रांजेक्शन के बाद ही मिलता है। ऐसे में कई खाते शून्य अवस्था में पड़े हुए हैं। किरकरी होते हुए देख बैंक अधिकारियों ने बीते दिनों खुद ही खातों में नकद डालना शुरू कर दिया। लीड बैंक के आंकड़ों के हिसाब से इस समय लगभग 3.5 लाख खाते ठीक तरह से संचालित हो रहे हैं। वहीं 1.80 लाख खातों में अभी भी जीरो बैलेंस में हैं।
सुरक्षा कवच पर भी जताया भरोसा
असंगठित लोगों को बीमा प्रदान करने के लिए लांच की गई जीवन ज्योति व जीवन सुरक्षा योजना में भी लोगों ने खासी रुचि दिखाई। इसमें 12 और 330 रुपये के वार्षिक प्रीमियम पर दुर्घटना मृत्यु व विकलांगता में दो लाख रुपये का बीमा कवर मिलता है। आंकड़ों के मुताबिक अब तक जीवन ज्योति में लगभग 1.28 लाख, वहीं जीवन सुरक्षा में 2.34 लाख लोगों ने योजना ली है।
छोटे कारोबारियों को मिला बड़ा सहारा
माइक्रो और स्माल सेक्टर के लिए लांच हुई मुद्रा योजना का भी जिले में बड़ा लाभ लिया गया। बीते वित्तीय वर्ष में 350 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण हो चुका था। इसमें तीन चरण है। शिशु में 50 हजार, किशोर में 50 हजार से पांच लाख व तरुण में पांच से 10 लाख रुपये तक ऋण वितरित करने का प्रावधान है। जानकारों के मुताबिक बिना ज्यादा सिक्योरिटी व न्यूनतम कागजी कार्यवाही के चलते लोगों को पसंद आई है।
खातों में सीधा होने लगा भुगतान
विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत होने वाले अनुदान की राशि अब सीधे खातों में पहुंच रही है। हालांकि यह व्यवस्था वर्ष 2008 से सक्रिय है, लेकिन बैंक अधिकारी इस बात को मानते हैं कि इसका सही क्रियान्वयन मोदी सरकार में होना शुरू हुआ। अब खातों में 100 फीसद डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) हो रहा है। इसके लिए खाते आधार से लिंक किए जा रहे हैं।
न सोना दिया, न ली पेंशन
प्रधानमंत्री की अटल पेंशन योजना लोगों को लुभा नहीं सकी। जिले में अब तक केवल 5670 लोगों ही शामिल हुए। इसकी सफलता के लिए बैंक के बाद डाक विभाग को भी इसका जिम्मा सौंपा गया, लेकिन तब भी बहुत ज्यादा रेस्पांस नहीं मिलता दिखा। दूसरी तरफ बेकार पड़े सोने से आय प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम जिले में बहुत कामयाब नहीं रही। अधिकारियों का कहना है कि तमाम मशक्कत के बाद योजना में पांच से छह किलो सोना ही जमा हो पाया।
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अटल पेंशन और गोल्ड स्कीम को नजरंदाज करें तो अन्य योजनाओं में लोगों ने अच्छा उत्साह दिखाया है।
पंकज सक्सेना, अग्रणी जिला प्रबंधक लीड बैंक
किसान और उड़ान को भूल गए मोदी
लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र मोदी ने आगरा के एयरपोर्ट का वादा और प्रमुख उपज आलू के प्रसंस्करण को दिशा दिखाने का इरादा जताया था। लेकिन बीते दो साल में ताजनगरी वासियों की आंखें इन सपने के धरातल पर उतरने का इंतजार करते-करते थक चुकी हैं।
इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मामले में न तो केंद्र सरकार ने सुध ली और न जनप्रतिनिधियों ने। हां, एयरपोर्ट के नाम पर सब अपनी राजनीति जरूर चमकाते रहे। हकीकत में केंद्र की तरफ से उल्टे जेवर में एयरपोर्ट को हरी झंडी देने की कसरत हो रही है। टूरिज्म गिल्ड के राजीव सक्सेना कहते है कि प्रधानमंत्री वादा भूल गए, ये दुर्भाग्यपूर्ण है।
दूसरी तरफ, सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए कई माह तक कसरत चली, लेकिन इसके बाद यह कन्नौज की झोली में चला गया। हालांकि इतना जरूर हुआ कि विदेशों से आलू बीज के आयात की दिशा में सरकार ने कदम आगे बढ़ाए हैं। कोल्ड स्टोर एसोसिएशन के सचिव राजेश गोयल ने बताया कि मोदी सरकार भले ही रिसर्च सेंटर का वादा पूरा नहीं कर पाई, लेकिन बीज आयात से उन्हें अभी उम्मीदें बाकी हैं।