एनजीटी ने तलब किए कमिश्नर
जागरण संवाददाता, आगरा: यमुना किनारे के निर्माणों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिल्डर्स से ज
जागरण संवाददाता, आगरा: यमुना किनारे के निर्माणों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिल्डर्स से ज्यादा कड़ा रुख अबकी बार अफसरों पर दिखाया है। एनजीटी ने कहा कि तीन बार आदेश किए जा चुके हैं, लेकिन कोई काम नहीं किया गया। इसके बाद एनजीटी ने कमिश्नर समेत सभी संबंधित विभागों के अफसरों को 31 मई को तलब होने के आदेश दिए।
ताजनगरी के पर्यावरणविद डीके जोशी की याचिका पर बुधवार को एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की बेंच में सुनवाई हुई। प्रारंभ में ही बेंच ने सिंचाई विभाग के अफसरों से पूछा कि वर्ष 2010 के आधार पर यमुना का डिमार्केशन किया या नहीं। अफसरों ने कहा कि वह डिमार्केशन कर चुके हैं। बेंच ने इस पर सवाल उठाया कि यह नदी के दोनों तरफ करना था। एक ही ओर क्यों किया। बेंच ने फिर सवाल उठाया कि डूब क्षेत्र को निर्धारित करने वाली मुड्डी बिल्िडगों से कितनी दूर हैं, तो अफसर जवाब नहीं दे सके। कागज पलटने लगे। इस पर बेंच ने नाराजगी जता डूब क्षेत्र के निर्धारण पर सवाल उठाए। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के काम नहीं करने का भी बेंच ने संज्ञान लिया।
वादी अधिवक्ता राहुल चौधरी ने कहा कि यमुना की सफाई नहीं हो रही। प्रदूषण से ताज पीला पड़ रहा है और यमुना की गंदगी में पनपा कीड़ा गोल्डी काइरोनोमस उस पर गंदगी के दाग छोड़ रहा है। इस पर चेयरपर्सन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मैं तीन बार यमुना की सफाई के आदेश दे चुका हूं। मगर कुछ काम नहीं हो रहा। उन्होंने कमिश्नर प्रदीप भटनागर समेत नगर निगम, सिंचाई विभाग, जल निगम, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित विभागों के प्रमुखों को 31 मई को तलब किया है। वहीं अफसरों पर कड़ाई के साथ बिल्डर्स की धड़कनें भी तेज हो गई हैं। यदि एनजीटी ने कड़ाई की तो आखिर उन पर ही डंडा चलेगा।
पहले गुरुवार को ही पेश होने को कहा
बेंच ने ताजनगरी के अफसरों को पहले गुरुवार को ही तलब करने के निर्देश दिए थे। बाद में 31 मई की तिथि नियत की। मामले पर सबसे अंत में सुनवाई होगी, जिससे अधिक समय मिल सके।