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लाशों ने सुनाई बेजुबानों के संघर्ष की दास्तान

अमित दीक्षित, आगरा: एक ऐसी जंगल बुक, जिसके हर पन्ने पर दर्द है। ममत्व है, अपनों के लिए कुर्बान होने

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:05 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:05 AM (IST)
लाशों ने सुनाई बेजुबानों के संघर्ष की दास्तान

अमित दीक्षित, आगरा: एक ऐसी जंगल बुक, जिसके हर पन्ने पर दर्द है। ममत्व है, अपनों के लिए कुर्बान होने की कहानी है। जंगल में जब आग लगी, तो बेजुबान जंतु और पक्षी खुद को बचाने के बजाय अपनों के बचाने में कुर्बान हो गए। आग की तपिश से अंडों को बचाते-बचाते खुद की जान गंवा दी। संरक्षित जंगल कीठम में 12 घंटे तक भड़की आग में जले जीव- जंतुओं के शव संघर्ष की दास्तान सुना रही थी। आग ठंडी पड़ने के बाद यहां के हालात देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गई।

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हॉलीवुड की फिल्म 'द जंगल बुक' के नायक मोगली के रक्त फूल (जलती मशाल) से जंगल में आग लगी, ठीक उसी तरह के हालात संरक्षित वन क्षेत्र कीठम में थे। यहां की आग के लिए हाईटेंशन लाइन से निकली चिंगारी रक्त फूल बन गई। शुक्रवार को जंगल में आग उस वक्त लगी, जब यहां रहने वाले जीव-जंतुओं की नेस्टिंग शुरू हो गई थी। मोर, बगुला, नीलकंठ, कोयल, उल्लू, लार्ज व लिटिल कारमोरेंट का परिवार बढ़ने का समय था। इसके अलावा अजगर, कोबरा समेत अन्य प्रजातियों के पशु पक्षी भी थे।

शनिवार को जब आग बुझी, तो हर तरफ बुजबानों की लाशें बिखरी थीं। जले हुए अजगर का मुंह खुला था, तो सेही लोथड़ा बन चुकी थी। अंडों के नजदीक मोर, बगुला, नीलकंठ आदि के जले हुए अवशेष पड़े थे। आग की तपिश का अहसास होते ही ये भाग सकते थे, मगर अंडों को बचाने में इन सबकी जानें चलीं गई। कई जगह जानवरों के समीप उनके बच्चे जले हुए पड़े थे।

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खाक हो गए हजारों घोंसले

विशेषज्ञों के अनुसार अप्रैल से पक्षियों की नेस्टिंग शुरू हो जाती है, जो तीस जून तक चलती है। जंगल के रेड जोन में हजारों पक्षियों के घोंसले थे। इन घोंसलों के पास ही कोबरा, अजगर सहित अन्य प्रजाति के सांपों का डेरा था। झील पास होने के चलते सेही, तीतर-बटेर व खरगोश भी यहां रहते थे। वन अधिकारी अवध बिहारी ने बताया कि तीस जून तक पक्षियों की नेस्टिंग होती है। आग में ये सब जल गए।

बिल में घुट गया दम

कोबरा, अजगर सहित कई अन्य प्रजातियों के सांप ऐसे थे, जो आग से बचने के लिए बिलों में घुस गए थे। आग की लपटों ने बिल को घेर लिया। इससे ऑक्सीजन खत्म हो गई और बिल में ही इनका दम घुट गया। इस तरह के अवशेष भी मिले हैं।

फिर चलने लगी जिंदगी

यह जंगल है, जहां मौत के मंजर के बाद जिंदगी फिर चल पड़ी। शनिवार को कीठम में शवों को खाने के लिए गीदड़ सहित अन्य जानवर पहुंच गए, जबकि राख में बड़ी संख्या में पशु-पक्षी खाने की तलाश करते रहे।

गमगीन बंदरों ने दौड़ाए पर्यटक

कीठम में आग से हुए नुकसान को देखने के लिए सुबह बड़ी संख्या में पर्यटक व स्थानीय लोग पहुंचने लगे। अजगर प्वाइंट के पास सड़क पर बंदरों का झुंड बैठा हुआ था। एक पर्यटक ने बंदरों को हटाने का प्रयास किया। इस पर उन्होंने पर्यटकों को दौड़ा लिया। पर्यटकों ने ईट-पत्थर फेंके, तब वे डरकर भागे।

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