विदेशी भी सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़वाते बच्चे
जागरण संवाददाता, आगरा: भारतीयों कोसरकारी स्कूल में बच्चे न पढ़ाने की आदत सार्क देशों में एक सामान्य
जागरण संवाददाता, आगरा: भारतीयों कोसरकारी स्कूल में बच्चे न पढ़ाने की आदत सार्क देशों में एक सामान्य आदत है। यह खुलासा सार्क टीचर्स फेडरेशन की कार्यशाला में हुआ।
गुरुवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल चाणक्य में तीन दिवसीय सार्क टीचर फेडरेशन कार्यशाला के अंतिम दिन अध्यक्ष बाबूराम थापा ने यह तथ्य सामने रखा। सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने को लेकर हाईकोर्ट ने कुछ दिन पूर्व अधिकारी, जनप्रतिनिधि आदि के बच्चों को इनमें पढ़ाने का फैसला सुनाया था। श्री थापा ने कहा कि सार्क देश शिक्षा को बढ़ाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 3-4 फीसद ही खर्च करते हैं, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 20-25 फीसद है। इसे समान करने को लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया।
इस दौरान एशिया पैसिफिक रीजन की चीफ कॉर्डिनेटर शशिबाला सिंह एवं यूनेस्को के प्रतिनिधि अलीशेर उमरान ने शिक्षकों को गुणवत्तापरक शिक्षा के महत्वपूर्ण सुझाव दिए। प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल सिंह ने शिक्षिका निधि श्रीवास्तव को एआइपीटीएफ की वूमेन नेटवर्क का सदस्य घोषित है।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर, प्राथमिक शिक्षा संघ के जिलामंत्री बृजेश दीक्षित, शिवराज सिंह, बीपी बघेल, यादवेंद्र शर्मा, दिनेश चाहर, राजेंद्र त्यागी, आनंद शर्मा, चेतन शर्मा, राकेश त्यागी, चौधरी जागीर सिंह, प्रताप सिंह, बबीता वर्मा, डॉ.रानी परिहार आदि मौजूद रहीं।
नहीं तो आंदोलन
शिक्षा के निजीकरण पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो श्रीनगर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में शिक्षक सड़क पर आंदोलन करेंगे।
केंद्रीय मंत्री से पेंशन की मांग
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया से वर्ष 2004 के बाद नियुक्त अध्यापकों को पेंशन देने की मांग भी की गई। श्री कठेरिया ने आश्वस्त किया कि जल्द इसे केंद्र के समक्ष रखा जाएगा।