Move to Jagran APP

विद्यालय को आदर्श बनाकर बने 'आदर्श'

संवाद सूत्र, सैंया: 'उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है, अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।' व

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 02:01 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 02:01 AM (IST)
विद्यालय को आदर्श बनाकर बने 'आदर्श'

संवाद सूत्र, सैंया: 'उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है, अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।' वसीम बरेलवी का यह शेर एक अध्यापक के संघर्ष पर एकदम सटीक नजर आता है। इंटर कॉलेज के अहाते में स्थित प्राइमरी स्कूल के बंद होने की चुनौती आ गई तो एक अध्यापक ने वही किया, जो उसे करना चाहिए था। पहले सरकारी सुविधा का प्रचार कर छात्रों की संख्या बढ़ाई और फिर शिक्षा का स्तर उठा कर मिसाल पेश की।

loksabha election banner

ये कहानी है ब्लॉक शमसाबाद के कुर्राचित्तरपुर स्थित प्राइमरी विद्यालय नंबर दो की। स्कूल के प्रधानाध्यापक अनिल अग्रवाल की बदौलत यह परिषदीय विद्यालय, पब्लिक स्कूलों को आईना दिखा रहा है। सन 2004 में अनिल अग्रवाल की नियुक्ति इस विद्यालय में एक सहायक अध्यापक के रूप में हुई। तब विद्यालय में छात्रों की संख्या न के बराबर थी। उनके प्रयासों के बाद भी ग्रामीण सरकारी स्कूल में बच्चों को भेजना पसंद नहीं करते थे। सन 2011 में अनिल को यहीं का प्रधानाध्यापक बना दिया गया। एक बार फिर उन्होंने दोगुनी मशक्कत कर छात्रों को स्कूल भेजने के लिए प्रयास शुरू किए। इस बीच एक इंटर कॉलेज ने मुफ्त की प्राइमरी शिक्षा देने का एलान किया तो स्कूल के बचे छात्र भी प्राइवेट स्कूल का रुख करने लगे। अनिल ने इसे चुनौती माना। स्टाफ के साथ गांव में घर-घर जाकर लोगों से बात की। पर्चे छपवाकर बंटवाए। अभिभावकों को समझाया कि स्कूल में सब प्रकार की सुविधा और अच्छी शिक्षा का वचन दिया। छात्रों की संख्या बढ़ने लगी। मेहनत रंग लाई और छात्र संख्या 100 से बढ़कर 200 से ऊपर जा पहुंची। आज विद्यालय में सभी कक्षाओं में 240 छात्र हैं।

वह गर्व से बताते हैं कि अब पहली कक्षा में ही पचास से अधिक छात्र है। जबकि पास ही चल रहे प्राइवेट इंटर कॉलेज में निश्शुल्क शिक्षा के बाद भी बच्चे उंगलियों पर गिनने लायक है। आसपास के गांवों में अधिकतर अभिभावक उनके ही विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं। उधर, ग्रामीण भी शिक्षक के परिश्रम की तारीफ करते हैं। पूर्व ग्राम प्रधान मोहन लाल जैन बताते हैं कि मास्साब ने स्कूल के लिए बहुत मेहनत की। तभी तो यहां इतनी अच्छी पढ़ाई होती है।

स्टाफ की चेकिंग

अनिल खुद भी सभी कक्षाओं में अध्यापन कराते हैं। साथ ही शिक्षकों के शिक्षण पर भी नजर रखते हैं। स्कूल का माहौल सुधारने में सभी अध्यापक उनका सहयोग कर रहे हैं। वर्तमान में अनिल अग्रवाल के अलावा प्रीती चौधरी, रेनू, रजनी, विजयलक्ष्मी, गीता सहित छह का स्टाफ है। अनिल कुमार ने बताया कि उनके विद्यालय की शिक्षा की गुणवत्ता देख खंड शिक्षा अधिकारी शमसाबाद आलोक श्रीवास्तव ने विद्यालय को गोद ले लिया था। कहते हैं कि स्कूल को खेलकूद से संबंधित सामग्री भी मिल जाये तो विद्यालय से अच्छे खिलाड़ी भी निकलेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.