खंडहर में रसूख तलाश रही सीबीआइ
जागरण संवाददाता, आगरा: काले धन से उजला महल खड़ा करने वाले इंजीनियर यादव सिंह का अतीत 70 गज के खंडहर म
जागरण संवाददाता, आगरा: काले धन से उजला महल खड़ा करने वाले इंजीनियर यादव सिंह का अतीत 70 गज के खंडहर में सिमटा है। इसी मकान में चार भाइयों के साथ इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करने वाला बीस साल में धन कुबेर बन गया। मंगलवार को नंदपुरा स्थित पुश्तैनी घर पर पहुंची सीबीआइ इसी खंडहर से यादव सिंह के रसूख का अक्स खोजती रही। बीस साल से बंद पड़े इस जर्जर घर के एक-एक सामान का रिकॉर्ड बनाया गया है।
सदर में देवरी रोड स्थित नंदपुरा में रहने वाले लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार प्रभूदयाल के घर में पैदा हुआ यादव सिंह पांच भाइयों में दूसरे नंबर का है। संकरी गली में बनाए गए दो कमरों के मकान में बचपन गुजरा और जवानी भी आई। जूनियर इंजीनियर की नौकरी लगने तक वह इसी घर में रहा। यादव सिंह के चार भाई ओमप्रकाश, ज्ञान चंद्र, थान सिंह और कपूरचंद हैं। सभी अलग-अलग स्थानों पर नौकरी कर रहे हैं। इनमें से थान सिंह और कपूरचंद आगरा में रहते हैं। अन्य सभी बाहर नौकरी पर हैं।
बसपा सरकार में नोएडा विकास प्राधिकरण का चीफ इंजीनियर बने यादव सिंह ने कमाई की रफ्तार पकड़ी तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसने आगरा में देवरी रोड और जलेसर रोड पर तमाम बेनामी संपत्तियां खरीदकर डाल दीं। इनमें से कुछ अपने परिवार वालों तो कुछ रिश्तेदारों के नाम करा दीं। इसके बाद अमित विहार में तीन सौ गज की दो मंजिला आलीशन कोठी बनाई। आठ कमरों की कोठी में चार एसी और एक जनरेटर लगा है। इस कोठी में सिर्फ उसके नौकर रहते थे। जब कभी आगरा आता तो कुछ समय कोठी में बिताता था। इस कोठी की एक-एक चीज रईसी का बयान करती है। जबकि पिता द्वारा अपनी मेहनत से बनवाया गया नंदपुरा वाला मकान पुरानी स्थिति को दिखाने को काफी है। खंडहर मकान में टूटी चारपाई और कुर्सी पड़ी हैं। इसके अलावा वहां पड़ा वर्ष 1996 का कलेंडर यह बताता है कि मकान बीस साल से बंद है। यहां नीचे बने एक कमरे में चाऊमीन की ठेल लगाने वाला एक परिवार किराए पर रहता है।
सीबीआइ की टीम पहले कोठी पर पहुंची और यहां से दस्तावेज खंगालने के बाद पुश्तैनी घर पर पहुंची। टीम ने खंडहर में तब्दील हुए पुश्तैनी घर के एक-एक सामान का रिकॉर्ड तैयार किया।
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नौकरियां बांटता था यादव सिंह
यादव सिंह ने अपने बेटे और भतीजे समेत दर्जन भर से अधिक लोगों की नोएडा विकास प्राधिकरण और एक्सप्रेस वे प्राधिकरण में नौकरी लगवाई थीं। इसके एवज में रिश्तेदारों ने धन की वसूली भी की।
एक दामाद आइएएस दूसरा आइपीएस
यादव सिंह ने बड़ी बेटी की शादी यूपी कॉडर के आइएएस अधिकारी से की, जबकि दूसरी बेटी की शादी झारखंड कॉडर के आइपीएस अधिकारी से की। इकलौते बेटे सनी को वह अपनी विरासत पर बिठाने में कामयाब रहा। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में उसे अधिकारी बनवाया। साथ ही उसकी शादी एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के अधिकारी की बेटी से कराई।