बिल्डर के लिए हरियाली का कत्ल-नोट
जागरण संवाददाता, आगरा: बिल्डरों के लिए पलक पांवड़े बिछाने वाले सरकारी महकमों की लिस्ट में नया नाम है
जागरण संवाददाता, आगरा: बिल्डरों के लिए पलक पांवड़े बिछाने वाले सरकारी महकमों की लिस्ट में नया नाम है वन विभाग का। पूर्व डीएफओ ने टीटीजेड क्षेत्र में एक बिल्डर को वन विभाग की जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए 25 हजार पेड़ कटवा दिए। यही नहीं ताज के 500 मीटर दायरे में भी 4 हजार पेड़ों की कत्ल कर दिया गया। मुख्य वन संरक्षक की रिपोर्ट में ताजे खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है।
पूर्व डीएफओ एनके जानू के खिलाफ प्रमुख वन संरक्षक के यहां शिकायत की गई थी। शिकायत में उनके द्वारा आगरा वन प्रभाग की बाईपुर रेंज के बाबरपुर वन ब्लाक में बिल्डर के लिए पेड़ कटवाने व वन विभाग की 250 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पर कब्जा कराने और ताज महल क्षेत्र में भी पेड़ कटवा देने का आरोप लगाया गया था। प्रमुख वन संरक्षक के आदेश से इस मामले में मुख्य वन संरक्षक एके जैन ने पूरे मामले में जांच की और रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में पूर्व डीएफओ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
बाबरपुर में मचाई तबाही
प्रमुख वन संरक्षक को भेजी गई शिकायत में बाईपुर के बाबरपुर वन ब्लाक में तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा 200 से 250 करोड़ रुपये मूल्य की 25 एकड़ वन भूमि पर एक बिल्डर को कब्जा कराने के लिए पेड़ कटाने का आरोप था। इस पर हुई जांच में बिल्डर द्वारा कब्जा करने से पूर्व और बाद की सेटेलाइट तस्वीरों का सहारा लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उक्त सारे वन क्षेत्र का फारेस्ट कवर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, जो कि पूर्व में .7 से .9 के बीच घनत्व का था। इस वन क्षेत्र के 80 प्रतिशत क्षेत्र में प्रोसोपिस के पूर्णतया स्थापित वृक्षों को उखाड़ दिया गया। गणना के मुताबिक इस क्षेत्र में 2 से 3 डायमीटर के लगभग 8000 पेड़ और 0 से 2 डायमीटर के इससे कई गुना अधिक पेड़ काट डाले गए। आरोप है कि इस अतिक्रमण से पूर्व भी पूर्व डीएफओ ने अपना वन के नाम पर आठ स्थानों पर इसी तरह आरक्षित वन क्षेत्रों के पेड़ उखड़वाए। आठ स्थलों की तलाश अभी की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक इस क्षेत्र में करीब 25 हजार पेड़ उखाड़े गए।
ताज क्षेत्र भी किया घायल
पूर्व डीएफओ पर ताजमहल को भी घायल करने का आरोप है। रिपोर्ट के मुताबिक ताजमहल से 500 मीटर की परिधि में ताज वन ब्लॉक के .9 से 1 डायमीटर के प्रोसोपिस पेड़ों का जंगल पूर्णता प्राप्त कर चुका था। यह जंगल आसपास रहने वाले जंगली जानवरों के लिए वर्षा और धूप में शरणस्थली था। आरोप है कि एनके जानू ने 30 साल पुराने पेड़ों को जेसीबी से उखड़वा दिया। गणना के मुताबिक इस क्षेत्र में लगभग 4 हजार बड़े और परिपक्व पेड़ रहे होंगे। इस गणना में भी जांचकर्ता ने पहले और बाद के सेटेलाइट तस्वीरों का परीक्षण किया है।
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पेड़ भी काटे, कमाई भी की
रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व डीएफओ ने पेड़ ही नहीं काटे बल्कि आर्थिक अपराध भी किया। दोनों ही स्थानों पर काटे गए पेड़ों को अवैध रूप से बिकवा दिया गया। यही नहीं ताज क्षेत्र में जिस स्थान से जंगल उखाड़ा गया, उसे हरा भरा करने के लिए हरी घास लगाई गई और फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई। आरोप है कि जंगल से काटी गई 250 टै्रक्टर ट्राली लकड़ी एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के घर रखी गई। बाद में इसी कर्मचारी को घास लगवाने का ठेका भी दिलाया गया।
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कर्मचारियों में था जानू का खौफ
जांच में पूर्व डीएफओ पर दहशत फैलाने का आरोप लगाया गया है। कहा गया कि जानू के आतंक की वजह से कोई कर्मचारी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। जांचकर्ता ने जांच पूरी होने तक जानू को मंडल से दूर तैनाती कराने के लिए भी लिखा है।
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खास-खास
-टीटीजेड यानी ताज ट्रिपेजियम जोन में एक वृक्ष के कटाने के लिए भी उच्चतम न्यायालय की अनुमति जरूरी है। ताज ब्लॉक का मामला और अधिक गंभीर है क्योंकि यह वन क्षेत्र ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में है। जबकि दोनों ही प्रकरणों में 30 हजार से अधिक पेड़ उजाड़ दिए गए, मगर परमीशन नहीं ली गई।
-ताज वन ब्लॉक में काटा गया प्रोसोपिस का पेड़ कांटा रहित वैरायटी का था। यह कदाचित पाया जाने वाले पेड़ है। इसके लिए विभाग में रिसर्च भी चल रही है, क्योंकि प्रोसोपिस में कांटा ही असली समस्या होता है।