कहां से आएगा 60 हजार लीटर शुद्ध दूध
जागरण संवाददाता, आगरा: प्रदेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड-डे
जागरण संवाददाता, आगरा: प्रदेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए मिड-डे मील में एक दिन दूध देने की योजना बनाई है। मगर, बच्चों को दूध पिलाने की बात सोचकर ही शिक्षकों को पसीना आ रहा है। मिड-डे मील की कनवर्जन कॉस्ट में बच्चों को दूध पिलाना उनके बूते से बाहर है। जिले में करीब 60 हजार लीटर दूध स्कूलों में कैसे पहुंचेगा। इसके बाद जहां छात्र संख्या 500 से ज्यादा है वहां पर इसे गर्म करना भी चुनौती होगा।
कहां से लाएंगे दूध
सबसे बड़ा संकट यह है कि शिक्षक दूध कहां से लाएंगे। बिना मिलावट वाला दूध लाना उनके लिए चुनौती भरा काम होगा। सिंथेटिक दूध को जांचने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं होगा। ऐसे में शिक्षकों को डर सता रहा है कि मिलावटी दूध से बच्चों को कुछ हो गया तो उनकी जान फंस जाएगी।
ऐसे लगेगा 60 हजार ली. दूध
एक छात्र को दूध- 200 मिली
जिले में छात्र संख्या- तीन लाख
3 लाख बच्चों के लिए - 60 हजार लीटर दूध
100 बच्चों पर जेब से जाएंगे 440 रुपये
शुद्ध दूध के साथ शिक्षकों को कम रेट में दूध कैसे खरीदेंगे, ये चिंता भी सता रही है। एक शिक्षक ने बताया कि उन्हें प्राइमरी के बच्चों के लिए मिड डे मील की कनवर्जन कॉस्ट 3.59 रुपये प्रति बच्चा मिलता है। इस प्रकार 100 बच्चों के लिए उन्हें 359 रुपये मिलेंगे। जबकि 200 मि. ली. के हिसाब से 100 बच्चों के लिए उन्हें 20 लीटर दूध चाहिए। 40 रुपये के हिसाब से 20 लीटर दूध 800 रुपये का हुआ। ऐसे में 440 रुपये कहां से आएंगे।
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बच्चों को दूध देने का आदेश सभी खंड शिक्षाधिकारियों को दे दिए गए हैं। दूध का इंतजाम कराया जाएगा। रही बात पैसे की तो शासन से इसकी भी व्यवस्था की जाएगी।
ओंकार सिंह, बीएसए आगरा