बर्बादी के सदमे में तीन और किसानों की मौत
जेएनएन, आगरा: प्रकृति के कहर के मारे किसानों के दम तोड़ने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। कहीं उ
जेएनएन, आगरा: प्रकृति के कहर के मारे किसानों के दम तोड़ने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। कहीं उपज कम होने, तो कहीं फसल बर्बादी के सदमे से किसान मर रहे हैं। रविवार को भी सदमे से तीन किसानों की मौत हो गई।
फतेहाबाद तहसील के गांव थोक अभयचंद खंडेर निवासी 45 वर्षीय किसान महावीर सिंह ने चार बीघा में गेहूं की फसल बोई थी। शुक्रवार रात उन्होंने थ्रेसर से गेहूं निकलवाया। चार बीघा जमीन में कुल चार कट्टे गेहूं निकला। यही नहीं, बटाई पर लिए गए 10 बीघा खेत में बोई गई आलू की फसल की फसल भी बारिश की भेंट चढ़ गई। किसान शनिवार को दिन भर खेत में पड़े भूसे को घर लाने में जुटा रहा। देर शाम अचानक महावीर सिंह की हालत बिगड़ गई। परिजन इलाज के लिए फतेहाबाद के हॉस्पिटल ले गए, जहां से शांति मांगलिक हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। वहां इलाज के दौरान महावीर की मौत हो गई। बडे़ भाई ओमप्रकाश ने बताया कि महावीर के पांच बेटियां और एक बेटा है। पांच लाख रुपये साहूकार का कर्जा भी है। मौके पर पहुंचे तहसीलदार बृजेंद्र कुमार ने परिवार को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना और मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया।
दूसरी घटना फतेहपुर सीकरी ब्लॉक क्षेत्र के रोझोली गांव की है। 45 वर्षीय किसान गजेंद्र सिंह ने साढ़े तीन बीघा खेत में गेहूं की फसल बोई थी। रविवार सुबह 11 बजे करीब गेहूं का दाना कम और पतला निकलता देख गजेंद्र को सदमा लग गया। अचेत होकर वह खेत में गिर पड़ा। परिजन इलाज के लिए आगरा ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया है।
उधर, जगनेर ब्लॉक के गुलाबगंज निवासी किसान 55 वर्षीय ओमप्रकाश ने एक एकड़ जमीन में गेहूं की फसल बोई थी। बारिश और ओलावृष्टि से फसल नष्ट हो गई। शनिवार देर शाम कुल पांच कुंतल गेहूं निकलता देख किसान को दिल का दौरा पड़ गया। रात में उनकी मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि ओमप्रकाश ने जगनेर की एक बैंक से 80 हजार रुपये का कर्ज ले रखा था। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया है। एसडीएम खेरागढ़ रामसिंह गौतम ने बताया कि परिजनों को किसान दुर्घटना बीमा योजना और मुख्यमंत्री राहतकोष के तहत मुआवजा दिया जाएगा।