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वो प्यार के मुहावरे, रूमानियत की बोली

आगरा: आती दीवाली याद, याद आती है होली, वो प्यार के मुहावरे, रूमानियत की बोली। डॉ. कुसुम चतुर्वेदी की

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 10:07 PM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 10:07 PM (IST)
वो प्यार के मुहावरे, रूमानियत की बोली

आगरा: आती दीवाली याद, याद आती है होली, वो प्यार के मुहावरे, रूमानियत की बोली। डॉ. कुसुम चतुर्वेदी की इन्हीं पंक्तियों के साथ आराधना लेखिका मंच के होली मिलन समारोह की शुरुआत हुई। फाल्गुन की होली, रंगों की ठिठोली विषयक गोष्ठी का आयोजन आराधना भवन पर गुरुवार को किया गया। गोष्ठी की वाचिक परंपरा में तीन पीढि़यों की रचनाकार डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, डॉ. मंजू दीक्षित तथा डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने अपने काव्यपाठ से माहौल में होली के रंग भरे। मुख्य अतिथि डॉ. कुसुम चतुर्वेदी थीं। मुख्य कवयित्री डॉ. मंजू दीक्षित ने फागुन के मौसम पर पंक्तियां प्रस्तुत करते हुए कहा, पग-पग पर पायल की रुनझुन अनगित रंग बिखेरे, मेंहदी और महावर की खुशबू महके सांझ सवेरे, मेरे सर से लेकर पांव तक लगता फागुन का मौसम है।

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गोष्ठी का परिचय डॉ. हृदेश चौधरी ने दिया। उन्होंने गुलाल लगाकर सभी को होली की शुभकामना दी। रचना कपूर, अंजलि स्वरूप, रुचि शर्मा, रेखा साहनी, अलका अग्रवाल, रितु गोयल, रश्मि गुप्ता, अंजू, अनीता, रचना, चंद्रावती, कल्पना, निर्मला, सुनीता, रेखा कुलश्रेष्ठ आदि मौजूद थीं। मंच के संस्थापक पवन आगरी ने धन्यवाद दिया।


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