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खंडपीठ की जंग में दीवानी बनी 'अखाड़ा'

जागरण संवाददाता, आगरा: उच्च न्यायालय खंडपीठ के लिए संघर्ष कर रही समिति में आपसी रण शुरू हो गया है है

By Edited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 05:21 AM (IST)
खंडपीठ की जंग में दीवानी बनी 'अखाड़ा'

जागरण संवाददाता, आगरा: उच्च न्यायालय खंडपीठ के लिए संघर्ष कर रही समिति में आपसी रण शुरू हो गया है है। संघर्ष समिति ने दो वरिष्ठ सदस्यों को बर्खास्त किए जाने का एलान कर दिया। वहीं ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन ने अपने अध्यक्ष को हटाने की घोषणा कर दी। ग्रेटर आगरा बार 29 जनवरी से हड़ताल समाप्त करने का एलान कर चुकी है, वहीं बुधवार को संघर्ष समिति ने हड़ताल दो फरवरी तक बढ़ाने का निर्णय ले लिया।

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खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति की बैठक बुधवार को दीवानी स्थित बार हॉल में हुई। इसमें कई एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल हुए। निर्णय लिया गया कि जसवंत सिंह आयोग की सिफारिश लागू होने तक आंदोलन बरकरार रखने की जरूरत है। वहीं, वक्ताओं ने उप्र बार काउंसिल के सदस्य एवं पूर्व अध्यक्ष पीके सिंह और ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन के महासचिव दुर्गविजय सिंह भैया के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। आरोप लगाए कि दोनों अधिवक्ता अपने निजी स्वार्थो के लिए आंदोलन को कमजोर कर रहे हैं। निंदा प्रस्ताव पारित कर दोनों को संघर्ष समिति से बर्खास्त कर दिया। साथ ही आंदोलन में सहयोग के लिए ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र लाखन का स्वागत किया गया। इसके साथ ही यह घटना मंगलवार के घटनाक्रम से जुड़ गई। मंगलवार को ग्रेटर आगरा बार की साधारण सभा की बैठक बुलाई गई। दावा किया गया था कि सभी सदस्यों ने सहमति से प्रस्ताव पारित कर सुरेंद्र लाखन को अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया। जबकि सुरेंद्र लाखन का कहना था कि मेरी अनुमति के बिना बुलाई गई साधारण सभा ही अवैध है।

इसके अलावा संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि अब अधिवक्ता दो फरवरी तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। दो फरवरी को सभी समर्थक 17 जिलों के अधिवक्ता संघों की पदाधिकारियों की बैठक बुलाकर आंदोलन की आगामी रणनीति भी तय की जाएगी।

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बैठक में ये रहे मौजूद

संघर्ष समिति संयोजक केडी शर्मा, उप्र बार काउंसिल की सदस्य दरवेश सिंह, आगरा बार के अध्यक्ष अविनाश शर्मा, लाल बहादुर राजपूत, गजेंद्र बाबा, ओमवीर चौहान, समिति सचिव अरुण सोलंकी, विजय शर्मा, सुधीश जैन, शैलेंद्र रावत, मेहताब सिंह, मनीष सिंह, अरुण पचौरी, जितेंद्र यादव, शिशुपाल कसाना, सत्यप्रकाश सिंह, मृगेश कुलश्रेष्ठ, ब्रजराज परमार, हेमंत भारद्वाज, आशुतोष श्रोत्रिय, रेनू यादव, कंचन यादव, दर्शना सिंह आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।


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