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कचरे में फेंके भ्रूण, नोच रहे थे कुत्ते

जागरण संवाददाता, आगरा: मुमकिन है वो मासूम लड़कियां रहीं होंगी। तभी तो कोख में ही उनकी कब्रगाह बना दी

By Edited By: Published: Sat, 24 Jan 2015 09:51 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jan 2015 04:55 AM (IST)
कचरे में फेंके भ्रूण, नोच रहे थे कुत्ते

जागरण संवाददाता, आगरा: मुमकिन है वो मासूम लड़कियां रहीं होंगी। तभी तो कोख में ही उनकी कब्रगाह बना दी गई। प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के बीच शनिवार सुबह नाई की मंडी में कचरे में चार भ्रूण (फीटस) पड़े मिले। जिन्हें कुत्ते नोंच रहे थे। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस फोर्स पहुंच गया। यहां से डिब्बे और पॉलीथिन में बंद भ्रूणों को कब्जे में ले जिला अस्पताल जांच के लिए भेजा गया है।

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कटरा नील, नाई की मंडी में पतली गली है। यहां कचरे के साथ गंदा पानी भरा रहता है। कई दिनों से इस कचरे में डिब्बे और पॉलीथिन में बंद भ्रूण पड़े थे। इनके अंग भी विकसित थे। इन्हें कुत्ते नोच रहे थे। एक भ्रूण के धड़ को तो कुत्ते खा गए। यह देख काफी संख्या में आस-पास के लोग एकत्रित हो गए। कुछ ही देर में पुलिस फोर्स पहुंच गया। सीओ मनीषा सिंह ने बताया कि डिब्बे और पॉलीथिन में बंद चार भू्रणों को जब्त किया गया है। इन्हें जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग को सौंपा जाएगा। साथ ही भ्रूणों के फेंके जाने की जांच कराई जा रही है।

लिंग निर्धारण के बाद तो नहीं फेंके

गर्भधारण के तीन महीने के बाद भ्रूण के अंग विकसित होने लगते हैं। इसके बाद ही लिंग परीक्षण किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कचरे में मिले चारों भ्रूण तीन महीने से अधिक के हैं। आशंका है कि लिंग परीक्षण के बाद डिब्बे में बंद कर रखे गए भू्रण को मौका लगते ही कचरे में फेंक दिया गया होगा। नाई की मंडी क्षेत्र में आधा दर्जन हॉस्पिटल हैं। इसके साथ ही तमाम अवैध क्लीनिक भी संचालित हैं।

कन्या भ्रूण हत्या पर नहीं लग रही रोक

लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम नहीं कर पा रहा है। इसके लिए अल्ट्रासाउंड सेंटरों और हॉस्पिटलों में छापेमार कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे शहर में लिंग परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या लगातार जारी है।

हॉस्पिटल में भ्रूण रखना गलत

कई हॉस्पिटल संचालक डिब्बे में बंद भ्रूण (फॉर्मिलिन सॉल्युशन के साथ) रख लेते हैं। यह गलत है। मेडिकल संस्थानों, जहां चिकित्सकीय पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं, वहां ही भ्रूण को प्रिजर्व करके रखा जा सकता है। यह काफी समय तक सुरक्षित रखे रहते हैं।

ये है नियम

- गर्भधारण के तीन महीने से पहले गर्भपात- एक डॉक्टर की सलाह पर, सीएमओ कार्यालय में ब्योरा दिया जाता है।

गर्भधारण के तीन महीने से अधिक का गर्भपात - गर्भस्थ शिशु में विकृति होने पर दो डॉक्टरों की सलाह पर गर्भपात किया जाता है। इसका ब्योरा भी सीएमओ कार्यालय में देना होता है।

इस मामले की पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करेगी। वैसे भी हॉस्पिटल में भू्रण प्रिजर्व करके रखना गलत है। लिंग परीक्षण के बाद तो भू्रण नहीं फेंके गए हैं, इसकी भी जांच की जाएगी।

डॉ. एचएस दानू, सीएमओ


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